टीआरपी डेस्क। छत्तीसगढ़ के इस जिले में कोरोना हर रोज विकराल रूप ले रहा है। आलम यह है कि यहाँ 7 दिनों मे 17 मौतें हो चुकी हैं, 3327 एक्टिव केस है, वहीं हर रोज 500 से ज्यादा संक्रमितों के आंकड़े सामने आ रहे हैं। ऐसे मे जिले के किसी निजी हॉस्पिटल ने 12 अप्रैल से जारी आदेश के बावजूद अब तक सरकार से कोरोना ईलाज के लिए अनुबंध नही किया है। जबकि जिले मे 45 निजी हॉस्पिटल हैं, जहॉ सुविधा मिलने से बड़ी राहत मिल सकती है।
यह जिला है बिलासपुर संभाग का जांजगीर-चांपा, जहाँ के डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल मे 15 वेंटिलेटर सहित 80 बेड और आकांक्षा परिसर मे मौजूद 83 बेड फुल हैं। स्वास्थ्य विभाग अब नये सुविधा विहीन भवनों को सुविधा संपन्न कर प्रारंभ करने की तैयारी मे है। वहीं अगर सरकार के गाईड लाईन के अनुसार निजी हॉस्पिटलों का अनुबंध हो जाता है तो जिले वासियों के लिए बड़ी राहत रहेगी। सरकार अपनी ओर से व्यवस्था तो कर रही है, लेकिन दूसरी लहर में जिस तरह रोज बड़ी संख्या में मरीज मिल रहे हैं, ऐसे में प्राइवेट अस्पतालों में भी मरीजों का इलाज किया जाना है।
सरकार का आदेश दरकिनार
सरकार ने प्राइवेट अस्पतालों में 20 प्रतिशत बेड सुरक्षित रखने का निर्देश भी दिया है तथा प्रतिदिन के इलाज की दर भी तय कर दी है। राज्य सरकार द्वारा जारी आदेश के तहत निजी अस्पतालों में इलाज के लिए नई दरें निर्धारित करते हुए अनुबंध का आदेश दिया गया है जिसका परिणाम जांजगीर-चांपा जिले मे सिफर है। जिले के मरीजों को यह सुविधा यहां नहीं मिल पाएगी, क्योंकि जिले के किसी भी प्राइवेट अस्पताल के संचालक ने कोरेाना का इलाज करने के लिए अनुबंध नहीं किया है। ऐसे में यदि 20 प्रतिशत बेड सुरक्षित रखे भी जाएंगे तो उसका कोई मतलब भी नहीं है। क्योंकि मरीज भर्ती भी कर दिए जाएं तो उन्हें इलाज मिलेगा ही नहीं।
निजी अस्पताल क्यों नहीं कर रहे हैं अनुबंध..?
जांजगीर-चांपा जिले में कोई भी निजी अस्पताल कोरोना मरीजों का इलाज करने के लिए तैयार नहीं है। इस संबंध मे अनुबंध नही करने के पीछे आईएमए के सदस्य डॉ संतोष मोदी ने कई अड़चनें बताईं। उनके मुताबिक अधिकांश निजी अस्पतालों में बेड काफी कम हैं, इसके अलावा ट्रेंड स्टाफ की भी कमी है, और सबसे महत्वपूर्ण तथ्य ये है कि जिले के निजी अस्पतालों में वेंटिलेटर और ऑक्सीजन सिलेंडर की भी भारी कमी है। यही वजह है कि यहाँ के निजी अस्पताल कोरोना मरीजों के इलाज के लिए तैयार नहीं हैं।
राम भरोसे चल रहा है यहां का कोविड हॉस्पिटल
जिले के डेडिकेटेट कोविड हॉस्पिटल की बात करें तो यह के हालात बद से बदतर हैं, यहां तैनात डाक्टर खुद को असहज और असहाय महसूस करते हैं। इनका कहना है कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी बदतर होती स्थितियों के बावजूद सुविधाएं नही बढ़ा रहे हैं, और न ही स्टाफ की कमी को पूरा कर रहे हैं। पिछले नौ महिने से जो डाक्टर ड्यूटी कर रहे हैं, उन्हे ही घसीटा रहा है। डॉक्टर बताते कि वेंटिलेटर और आक्सीजन सप्लाई सिस्टम मे तकनिकी खामी है, स्टाफ की कमी की वजह से उन्हे खुद लाश भी पैक करना पड़ता है। कुल मिलाकर हालात बदतर होते जा रहे हैं।
CMO ने जवाब देने से बचने का किया प्रयास
डेडिकेटेड कोविड हॉस्पिटल में तमाम अव्यवस्था के बावजूद मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ एसआर बंजारे इस मसले पर बात भी करने को तैयार नही हुए, उन्होंने इतना जरूर बताया कि सरकार के डॉ खूबचंद बघेल योजना अंतर्गत नर्सिंग होम एक्ट के तहत रजिस्टर्ड किसी भी निजी हॉस्पिटल ने अनुबंध अब तक नही कराया है। वहीं जिला हॉस्पिटल के इंचार्ज डॉ अनिल जगत परेशानियों को बताते बताते अचानक रुक जाते हैं और कैमरे के सामने चुप्पी साध लेते हैं।