ब्रेकिंगः 40-40 हजार में रेमडेसिविर बेच रहा था देश का ये नामी डॉक्टर, 36 लाख कैश बरामद
ब्रेकिंगः 40-40 हजार में रेमडेसिविर बेच रहा था देश का ये नामी डॉक्टर, 36 लाख कैश बरामद

टीआरपी न्यूज। कोरोना मरीजों को रेमडेसिविर की कालाबाजारी कर बेचने में एक मामले में देश के नामी न्यूरोलॉजिस्ट को पुलिस ने गिरफ्तार किया गया है। उसके 2 सहयोगियों को भी टीम ने पकड़ा है। तीनों के पास से 70 रेमडेसिविर इंजेक्शन और 36 लाख रुपये से ज्यादा कैश मिला। करीब 48 हजार रुपये कीमत का एक और इंजेक्शन भी इनके पास से मिला है। आरोपी डॉक्टर दिल्ली एम्स में भी अपनी सेवाएं देता है। वह एक नामी फार्मा कंपनी में सीईओ भी है।


ममला गाजियाबाद का है। गाजियाबाद के एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि आरोपियों की पहचान डॉ. अल्तमश, कुमैल और जाजिब के रूप में हुई है। डॉ. अल्तमश देश का नामी न्यूरोलॉजिस्ट है और दिल्ली के निजामुद्दीन में रहता है। इंजेक्शन वही उपलब्ध कराता था। चंद दिनों की कालाबाजारी में ही उसने 36 लाख रुपए कमाए हैं। आरोपियों के पास जो कार मिली है, वह भी इन्हीं पैसों से खरीदी गई थी।

4 हजार का इंजेक्शन 40 हजार में बेचा

डॉ. अल्तमश का गैंग गंभीर मरीजों तक अपनी पहुंच बनाता था। 4 हजार रुपये का रेमडेसिविर इंजेक्शन 30 से 40 हजार रुपये के बीच बेच रहे थे। इसी बीमारी में इस्तेमाल होने वाले अक्टेमरा इंजेक्शन की भी कालाबाजारी करते थे। सामान्यतौर पर लगभग 48 हजार रुपये में मिलने वाले इस इंजेक्शन को डेढ़ लाख रुपये में बेचते थे। गाजियाबाद में डिमांड मिलने के बाद इंजेक्शन जाजिब और कुमैल के पास पहुंचता था।

इस तरह टूटा नेटवर्क

एसएसपी से लेकर थानेदारों तक रोज सैकड़ों लोग रेमडेसिवर इंजेक्शन के लिए कॉल करते हैं। खूब कोशिश के बाद भी ये अफसर इंजेक्शन नहीं दिला पाते थे। कई कॉल ऐसी मिली, जिसमें उन्हीं पीड़ितों ने इंजेक्शन का इंतजाम होने की बात कही। एसएसपी ने स्वाट टीम से संजय पांडेय और घंटाघर कोतवाली से संदीप सिंह को इस प्लान में शामिल किया। पता करने का टारगेट दिया गया कि आखिर ये इंजेक्शन का इंतजाम हुआ कहा से? फिर पुलिस टीम भी पीड़ित बनकर गैंग तक पहुंच गई।

डॉ. अल्तमश लोगों को कोरोना संक्रमण से बचने की सलाह भी दे रहा था। बड़ी कंपनी का सीईओ और नामी न्यूरोलॉजिस्ट होने की वजह से वह आसानी से रैमडेसिविर और दूसरे महंगे इंजेक्शन तक अपनी पहुंच बना लेता था। फिर इसके गैंग के लोग मरीजों तक पहुंचते थे। इंजेक्शन केवल उसी को दिया जाता था, जो इनके लिंक के जरिए आते थे। अनजान लोगों से ये किसी तरह की बात नहीं करते थे।

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