108 संजीवनी
छत्तीसगढ़ में 108 संजीवनी एक्सप्रेस और एमएमयू के संचालन में अनियमितताओं का अंबार

रायपुर। छत्तीसगढ़ में 108 संजीवनी एक्सप्रेस के संचालन में कई बड़ी खामियां सामने आने के बावजूद अब तक कोई कड़ी कार्यवाही नहीं की गई है।108 संजीवनी एक्सप्रेस के संचालनकर्ता कंपनी जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस पर नियमों की धज्जियाँ उडाए जाने के गंभीर आरोप लगे हैं. जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस के खिलाफ पॉइंट टू पॉइंट शिकायत प्रदेश के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से लिखित रूप से की गई है। हालांकि शासन ने 8 माह से कंपनी के भुगतान पर रोक लगा दी है।

ज्ञात हो कि महत्वाकांक्षी योजनाओं में से 108 संजीवनी एक्सप्रेस व एमएमयू यानी चलित चिकित्सा ईकाई का क्रियान्वयन शासन द्वारा जन हिताय के नजरिये से किया गया था। किंतु वर्तमान में जिस संस्था के हाथों में इन योजनाओं की बागडोर दिया गया है, वह जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस है। कंपनी द्वारा इन दोनों योजनाओं के संचालन में बहुत सारे घोटाले एक साथ उजागर हुए है। इसके अंतर्गत आपातकालीन सेवा एवं दूरस्थ इलाके में निवास कर रहे ग्रामीण अंचल के हितग्राहियों को प्रदान किये जाने वाली सेवाओं में गुणवत्ता की खामियां भी सामने आई है.

आवश्यक योग्यताओं को अपूर्ण मेडिकल कर्मचारियों को रख लिया गया। इसके चलते इमरजेंसी सेवा में कई बार मरीजों की जान तक चली गई है। जबकि नियमों के अनुरूप ही कंपनी को मेडिकल के कर्मचारियों को रखे जाने का शर्त शासन द्वारा दी गई थी।

ज्ञात हो कि एमएमयू योजना के तहत कंपनी को दूरस्थ ग्रामीण अंचल के हितग्राहियों को प्राथमिक मुहैया कराना था। जबकि आज तक सिर्फ यहां तैनात डॉक्टरों की खानापूर्ति ही की गई है। यहां सिर्फ डॉक्टर अपने हाजिरी ही लगाने आते है। कहीं कहीं तो पदस्थ ही नहीं हैं, वहां तृतीय श्रेणी का नान मेडिकल कर्मचारी लोगों के स्वास्थ्य का इलाज करते हैं। ऐसे में कई बार लोगों की जान आफत में पड़ जाती है।

डिग्री भी गाइड लाइन के अनुरूप नहीं

बता दें, यहां जो भी डॉक्टर नियुक्त हैं, उनकी योग्यता नहीं है। डिग्री भी गाइड लाइन के अनुरूप नहीं है। शासन को अंधेरे में रखकर करोड़ों रूपये की चपत लगाई जा रही है। इस प्रकार अयोग्य कर्मचारियों के हाथों सेवा का संचालन किये जाने से लोगों को गुणवत्ताविहीन सेवा प्रदान किया जा रहा है। ऐसे में इनके गलत इलाज किये जाने शिकायतें अब आम बात हो गई है। लोगों का इन पर भरोसा उठ गया है, इस वजह से अधिकांश लोग शहर में छोटी-छोटी बीमारियों का इलाज कराने आ रहे हैं।

मिलीभगत का चल रहा खेल

इस योजना के संचालन में विभाग के अधिकारी और कर्मचारियों की मिलीभगत कर इस योजना की हकीकत से शासन को अंधेरे में रखा जा रहा है।

चिकित्सा सुविधा के बजाय सिर्फ लूटखसोट का जरिया बना

दूरस्थ ग्रामीण अंचल में निवास कर रहे लोगों को प्राथमिक चिकित्सा मुहैया कराये जाने के लिए इस महत्वाकांक्षी योजना को शुरू किया गया था। जो आज लोगों को चिकित्सा सुविधा के बजाय सिर्फ लूटखसोट का जरिया बन गया है। जर्जर वाहनों को ही रंग रोगन करके ही इसे संचालित किया जा रहा है। जो कि दूरस्थ इलाकों में सेवा देने के लिए अनुपयोगी है।

शासन रोका भुगतान

बार-बार समय पर एंबुलेंस नहीं पहुंचने पर लोगों की मौत हो जाने की शिकायत विभाग को मिल रही थी। साथ ही इनके जर्जर होने के कारण ही जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस को एमएमयू यानी चलित चिकित्सा ईकाई सेवा विरुद्ध पिछले 8 माह के प्रदायक भुगतान शासन द्वारा लंबित रखा गया है। उक्त खामियों को पाये जाने के बावजूद अभी तक शासन ने कोई कार्यवाही नहीं किया है।

जानिए पॉइंट टू पॉइंट की गई शिकायत

नंबर 1 कंपनी ने गलत दस्तावेज से हासिल किया संचालन

108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा संचालन के लिए जय इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा प्रस्तुत सभी दस्तावेज गलत हैं, कंपनी द्वारा जो दस्तावेज दिया गया था, उसका निष्पक्ष जांच कर जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस के विरुद्ध कार्यवाही की मांग सीएम से की गई।

नंबर-2 थर्ड पार्टी आडिट से हो जांच, शासन को लगा रही अतिरिक्त चूना

जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस का थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाये क्योंकि एनएचएम से प्रत्येक माह जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा 40 से 50 लाख की राशि अतिरिक्त लिया जा रहा। इसलिए थर्ड पार्टी ऑडिट कराया जाना इसलिए आवश्यक है। क्याेंकि जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा संचालित सेवा में बिना केस के ही गये वाहनों की रिपोर्ट आफिस में स्वयं ही जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा बनाकर विभाग के समक्ष भुगतान के लिए देयक प्रस्तुत किया जाता है। इस घृणित कार्य में विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं।

नंबर-3-बिना निविदा जारी किये ही पहुंचा रहे आर्थिक लाभ

हैरतवाली बात है कि 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा संचालन के लिए विभाग द्वारा 40 अतिरिक्त वाहनों को चालने की स्वीकृति प्रदान किया गया है। जिसके लिए विभाग द्वारा किसी भी प्रकार की निविदा जारी नहीं की गई। और इसके अतिरिक्त वाहनों के संचालन के लिए पुराने वाहनों के संचालन की स्वीकृति प्रदान कर दिया गया। इसके लिए विभाग द्वारा 1 लाख 30 हजार रुपये प्रस्तावित किया गया। साथ ही इसके संचालन के लिए निविदा जारी किये जाने पर यह कार्य नये वाहनों के साथ ही प्रस्तावित राशि से कम में भी आसानी से किया जा सकता था। लेकिन ऐसा नहीं कर विभाग द्वारा सिर्फ जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस को आर्थिक लाभ पहुंचाने का खेल खेला गया।

नंबर-4-प्राइवेट अस्पतालों में इसे रेफर करने का बनाया जरिया

जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों को रेफर करने का सिर्फ माध्यम बना लिया गया है। इस खेल में कंपनी के अधिकारी और विभागीय कर्मचारी शामिल हैं।

नंबर-5-वाहन चालकों के पास वैध लाइसेंस तक नहीं

जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा 108 संजीवनी एक्सप्रेस सेवा में अयोग्य वाहन चालाकों की भर्ती कर ली गई। इससे चलते आपातकालीन सेवा में इसके दुर्घटनाग्रस्त होने का भय बना रहता है। वाहन चालक के पास वैध लाइसेंस नहीं है। इसके भी जांच की आवश्यकता है।

नंबर-6-कम वेतन देना पड़े इसलिए अपूर्ण योग्ता वाले चिकित्साकर्मी रखे

जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा 108 संजीवनी एक्सप्रेस में अपूर्ण योग्यता वाले मेडिकल कर्मचारियों की भर्ती कर ली गई। ताकि उन्हें कम मासिक वेतन देना पड़े।

नंबर-7-फर्जी काल करवा कर कंपनी केस बढ़ाने के खेल में जुटी

जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा जीवनदायिनी सेवा 108 संजीवनी एक्सप्रेस के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा फाल्स काल भी करवाया जाता है। ताकि केस की संख्या भी बढ़े।

नंबर-8-डॉक्टर भी गलत योग्यता वाले रखे लिये

एमएमयू यानी चलित चिकित्सा इकाई में 108 की भांति अयोग्य डॉक्टरों की भर्ती करने का शर्मनाक खेल भी कंपनी ने खेला, जबकि इस पूरे मामले की जानकारी स्वास्थ्य महकमेे को थीं। बता दें, जैसा कि विभाग द्वारा जारी आरएफपी में स्पष्ट अक्षरों में लिया गया था कि डॉक्टर की योग्यता एमबीबीएस ही मान्य होगा। किंतु जय अंबे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा पैसा बचाने के लिए उद्देश्य से बीएएमएस एवं अन्य अाहर्ताधारी का भर्ती किया गया है। जिसको चिकित्सा के क्षेत्र में अपूर्ण जानकारी है। इसके बावजूद इनके जरीये ही लोगों को इलाज की सुविधा दी जा रही है।

नंबर-09-सभी डॉक्टरों की सील और हस्ताक्षर कंपनी खुद के आफिस में कराती है

एमएमयू यानी चलित चिकित्सा ईकाई सेवा हेतु जारी आरएफपी का पालन कंपनी द्वारा नहीं किया गया है। बिना कैम्प किये ही फाल्स रिपोर्ट शासन के समक्ष भुगतान हेतु प्रस्तुत किया जाता है। सेवा के देखरेख हेतु जिलों में विकासखंडों में पदस्थ डॉक्टरों का सिल एवं हस्ताक्षर कपंनी द्वारा आफिस में ही किया जाता है।

नंबर-10-नये वाहनों की निविदा में भी जय अम्बे कंपनी की अवहेलना

एमएमयू यानी चलित चिकित्सा इकाई में बहुत सी जगहों पर पुराने वाहनों को ही रखा गया है। जो आरएफपी के नियमानुसार नहीं हैं। शासन द्वारा 30 नये वाहनों के लिए निविदा जारी किया गया था। किंतु जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस द्वारा जारी निविदा का अवहेलना किया गया था। इसके बाद भी विभाग हाथ में हाथ में रखे बैठे हुई है। इससे प्रतीत होता है कि विभाग के कुछ अधिकारी और कर्मचारी जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस के साथ मिले हुए हैं।

नंबर-11-भुगतान रोका गया

जय अम्बे इमरजेंसी सर्विसेस को इन्हीं कारणों से 8 माह से भुगतान रोका गया है। लेकिन अभी तक इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

नंबर-12-अवसान तिथि के बावजूद जय अम्बे कंपनी की इमरजेंसी सेवा में दवाओं का इस्तेमाल किया जा रहा है।

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