बाल विवाह
छत्तीसगढ़: तीन बालिकाओं के बाल विवाह की थी तैयारी

मुंगेली। छत्तीसगढ़ में बाल विवाह रोकने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। जिले में कलेक्टर पी.एस एल्मा के निर्देश पर महिला एवं बाल विकास विभाग की टीम बाल विवाह रोकने के लिए लगातार मॉनिटरिंग कर रही है। इसी तारतम्य में महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी राजेन्द्र कश्यप के मार्गदर्शन में जिला बाल संरक्षण इकाई मुंगेली ने तीन बालिकाओं का बाल विवाह रोकने में सफलता पाई।

दूसरे दिन आने वाली थी बारात

जिला बाल संरक्षण अधिकारी ने बताया कि जरहागांव थाना क्षेत्र के एक ग्राम मे एक नाबालिक की शादी हो रही थी। सूचना पर विभाग की टीम तुरंत कार्यवाही करते हुए संबंधित गांव पहुंची, जहाँ बारात दूसरे दिन आने वाली थी। टीम ने परिजनों को समझाईश देते हुए बाल विवाह न कराने का शपथ पत्र लिया। इसी तरह लोरमी थाना क्षेत्र के एक ग्राम में नाबालिग लड़की के यहां बारात आने वाली थी। यहाँ पर भी टीम द्वारा गांव पहुंचकर परिजनों को समझाईश देते हुए बाल विवाह न कराने शपथ पत्र लिया गया।

यहाँ विवाह से पहले पहुंची टीम

इसी क्रम में लोरमी थाना क्षेत्र के ही एक ग्राम में एक नाबालिग बालिका के विवाह से पहले ही बाल विवाह रोकथाम की कार्यवाही की गई। बाल विवाह रोकथाम टीम के द्वारा कार्यवाही करते हुए बालिकाओं का उम्र सत्यापन संबंधी दस्तावेज शैक्षणिक अंकसूची की जांच की गई। दस्तावेज के आधार पर सभी बालिकाओं की आयु 18 वर्ष से कम होना पाया गया। जो बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार बालिकाओं की उम्र विवाह योग्य नही था।
बाल विवाह एक सामाजिक बुराई

इस पर बाल विवाह संयुक्त टीम ने बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 की जानकारी देते हुए बाल विवाह स्थगित कराया गया। बाल विवाह रोकथाम टीम के द्वारा बालिका एवं बालक के परिजनों को बताया कि बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 के प्रावधानों के अनुसार लड़की की आयु 18 वर्ष से कम व लड़का की आयु 21 वर्ष से कम उम्र के विवाह को प्रतिबंधित किया है। बाल विवाह केवल एक सामाजिक बुराई ही नहीं अपितु कानूनन अपराध भी है।

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