ममता बनर्जी
सियासी हलचल: CM ममता बनर्जी इस विधानसभा सीट से लड़ सकती हैं चुनाव

टीआरपी डेस्क। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी एक बार फिर अपनी पारम्परिक विधानसभा सीट भवानीपुर से चुनाव लड़ सकती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स से मिल रही जानकारी के मुताबिक बंगाल चुनाव में नंदीग्राम सीट से हारने वाली ममता बनर्जी के लिए उनकी पारम्परिक सीट खाली होने जा रही है। ख़बरों की मानें तो तृणमूल विधायक शोभन देव चटर्जी भवानीपुर सीट से इस्तीफा दे सकते हैं। ऐसे में लगभग तय माना जा रहा है कि ममता बनर्जी यहां से चुनाव लड़ सकती हैं, क्योंकि ये उनकी पारंपरिक सीट भी रही है।

बता दें कि ममता बनर्जी ने बंगाल विधानसभा चुनाव में अपनी पारम्परिक सीट छोड़कर नंदीग्राम से चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में ममता तृणमूल छोड़कर भाजपा में गए शुभेंदु अधिकारी से हार गई थी। ऐसे में ममता बनर्जी को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने के लिए 6 महीने के भीतर किसी सीट से विधायक का चुनाव लड़ना होगा।

विधायक शोभन देव के बयानों का हवाला

जानकारी के मुताबिक, तृणमूल विधायक शोभन देव चटर्जी ने इस्तीफा दे दिया है, लेकिन अभी इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है। हालांकि, कुछ रिपोर्ट्स में शोभन देव के बयानों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। शोभन ने इस्तीफा देने के बाद कहा कि मैं CM की सीट पर खड़ा हुआ था और जीत गया। मैं अब इस सीट से रिजाइन कर रहा हूं ताकि ममता इलेक्शन लड़ें और CM की सीट पर बनी रहें।

तीसरी बार भवानीपुर से चुनाव लड़ेंगी ममता

बंगाल में 2011 के विधानसभा चुनाव में भवानीपुर से तृणमूल के सुब्रत चुनाव जीते थे। उनके इस्तीफे के बाद ममता ने यहां उप-चुनाव लड़ा था और जीती थीं। 2016 में भी वे इसी सीट से लड़ीं और जीतीं। इस बार भी शोभन के इस्तीफे के बाद उनके भवानीपुर सीट से उप-चुनाव लड़ने की संभावना प्रबल हो गई है।

बंगाल में भाजपा प्रभारी की कमान केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में भले ही भाजपा को अपेक्षित सफलता न मिली हो मगर वह राज्य लंबी लड़ाई की योजना बना रही है। इस योजना के तहत पार्टी में कैलाश विजयवर्गीय की जगह केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को राज्य का प्रभारी नियुक्त करने जा रही है।

इसके जरिए पार्टी की योजना राज्य के 2.3 करोड़ महिला वोटर को साधने के अलावा सीएम ममता बनर्जी के समक्ष एक कद्दावर महिला नेता को मैदान में उतारने की है। दरअसल विधानसभा में भाजपा को उम्मीद के अनुसार सफलता न मिलने का एक अहम कारण महिला मतदाता रहीं, जिनका ममता बनर्जी पर विश्वास बना रहा।

पार्टी के रणनीतिकारों का आकलन है कि बांग्ला भाषा पर बेहतर पकड़ और ऊंचे राजनीतिक कद के कारण स्मृति ममता के खिलाफ खासतौर से महिला वर्ग में माहौल तैयार कर पाएंगे। स्मृति की ताकत को पार्टी भांपने में चूक गई। इस कारण उनकी अधिक रैलियां नहीं करा पाई।

जानिए कब तक रह सकती हैं प्रभारी

चर्चा इस बात की भी है कि स्मृति ईरानी को बतौर प्रभारी विजयवर्गीय की तरह लंबा समय मिलेगा। विजयवर्गीय ने पार्टी में एक ही राज्य का लगातार छह साल तक प्रभारी बन कर रिकार्ड बनाया था। अब स्मृति को अगले विधानसभा चुनाव तक बतौर प्रभारी बनाए रखा जाएगा।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…