टीआरपी डेस्क। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से योग गुरु रामदेव के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है. आईएमए ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी किया। इसमें सोशल मीडिया पर वायरल हुए योग गुरु रामदेव (Yog Guru Ramdev) के वीडियो का जिक्र है जिसमें वे एलोपैथी के विरोध में बोल रहे हैं।

IMA ने ‘केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री से मांग कर कहा कि या तो वे इस आरोप को स्वीकार करें और आधुनिक चिकित्सा सुविधा को खत्म कर दें या फिर उनके खिलाफ कार्रवाई करते हुए महामारी रोग अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाए।’
एलोपैथ के प्रति लोगों को कर रहे गुमराह
प्रेस रिलीज में IMA ने कहा है कि भारत कोविड-19 महामारी का सामना कर रहा है और आधुनिक चिकित्सा पद्धति व भारत सरकार मिलकर लोगों की जिंदगियों को बचाने में जुटे हैं। इस संघर्ष में फ्रंटलाइन पर काम करने वाले 1200 एलोपैथ डॉक्टरों ने अपनी जिंदगी का बलिदान दे दिया। स्वास्थ्य मंत्री के संज्ञान में रामदेव के वीडियो को लाते हुए IMA ने कहा कि योगगुरु इसमें कह रहे हैं, ‘एलोपैथ एक ऐसी स्टुपिड और दिवालिया साइंस है।’
IMA issues press release over a video on social media where Yog Guru Ramdev allegedly speaks against Allopathy. IMA demands that the "Union Health Minister either accept accusation & dissolve modern medical facility or prosecute him and book him under Epidemic Diseases Act." pic.twitter.com/FnqUefGjQA
— ANI (@ANI) May 22, 2021
आधारहीन आरोप लगा रहे
इसमें यह भी कहा गया, ‘सर्वविदित है कि योगगुरु रामदेव और उनके सहयोगी आचार्य बालकृष्ण जब बीमार होते हैं तो आधुनिक चिकित्सा सुविधा ही लेते हैं और एलोपैथ की दवाइयां खाते हैं। अब यह आधारहीन आरोप लगा रहे हैं और लोगों को गुमराह कर रहे हैं ताकि अपनी गैरकानूनी और बिना मंजूरी प्राप्त दवाओं को बेच सकें ।’
एलोपैथ की दवाओं से हुई लोगों की मौत
दरअसल, रामदेव ने सार्वजनिक तौर पर कोविड-19 महामारी के कारण हो रही मौतों के पीछे एलोपैथ को कारण बताया है। रामदेव अपने वीडियो में यह कहते नजर आ रहे हैं कि रेमडेसिविर, फेविफ्लू व DCGI की मान्यता प्राप्त सभी दवाईयां असफल हैं। योग गुरु ने कहा, ‘लाखों लोगों की मौत एलोपैथी दवा खाने से हुई है। लोगों की मौत अस्पताल न जाने, ऑक्सीजन न मिलने की वजह से हुई उससे अधिक एलोपैथी की दवाइयां खाने से हुई हैं।’ वर्ष 2020 में रेमडेसिविर व फेविफ्लू को कोविड-19 मरीजों के इलाज के लिए CDSCO (Central Drug Standard Control Organisation) की ओर से मंजूरी दी गई थी।
IMA ने कहा कि इस तरह के विवादित बयान के जरिए रामदेव DCGI व स्वास्थ्य मंत्री को भी चुनौती दे रहे हैं। प्रेस रिलीज में कहा गया है कि लोगों को गुमराह करने व उनकी जिंदगियों को इस तरह के बयान से जोखिम में डालने के आरोप में रामदेव को सजा मिलनी चाहिए। फेविपिरावीर के संबंध में दिया गया उनका बयान मजाकिया और बेतुका है इससे उनके आधे-अधूरे वैज्ञानिक जानकारी के बारे में पता चलता है।
रामदेव के बयान पर फूटा गुस्सा
महामारी के संकट के बीच जान को दांव पर लगा अस्पताल में दिन रात काम कर हे डॉक्टरों व हेल्थवर्करों के बीच रामदेव के इस बयान से गुस्सा है। नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के रेसिडेंट्स डॉक्टर्स एसोसिएशन ने बाबा रामदेव के इस बयान पर आपत्ति जताते हुए महामारी रोग अधिनियम के तहत शिकायत दर्ज करने की मांग की है।
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