सिलगेर के कैंप का हजारों ग्रामीण कर रहे हैं विरोध, कोविड गाइडलाइन की उड़ रही धज्जियां
सिलगेर के कैंप का हजारों ग्रामीण कर रहे हैं विरोध, कोविड गाइडलाइन की उड़ रही धज्जियां

सुकमा। जिले के सिलगेर में खुले ज्वाइंट कैंप के विरोध में आंदोलन को शुरू हुए 12 दिन बीत चुके हैं, मगर प्रशासन ग्रामीणों को अब तक समझा नहीं सका है, यहाँ एक साथ 20 से 25 हजार लोग एकत्र हो रहे हैं, जिससे यहाँ कोरोना के फैलने का खतरा भी बढ़ता जा रहा है।

झड़प में ग्रामीणों की हो चुकी है मौत

छत्तीसगढ़ के धुर नक्सली क्षेत्र में पुलिस विभाग द्वारा बारी-बारी से कैंप खुलवाए जा रहे हैं। इसी कड़ी में सुकमा के सिलगेर में पुलिस और अर्धसैनिक बल का संयुक्त कैंप खोला गया है, जिसके विरोध में ग्रामीण पहले दिन से ही यहाँ इकट्ठे होने लगे। इसी दौरान पुलिस की ग्रामीणों की हुई झड़प में 3 ग्रामीणों की मौत हो गई, वही कई अन्य घायल हो गए। सिलगेर में गोलीबारी के बाद तो ग्रामीणों में जमकर आक्रोश है। कल सिलगेर में कोण्टा ,जगरगुंडा, गंगालूर, बासागुड़ा, पामेड़, दरभा, केरलापाल एरिया के लगभग 25 हजार ग्रामीण एकत्र हो गए और यहाँ तिल धरने की जगह तक नजर नहीं आ रही थी।

पूर्व विधायक ने ग्रामीणों से की मुलाकात

शनिवार को यहाँ माकपा नेता और पूर्व विधायक मनीष कुंजाम, सोनी सोरी सहित सर्व आदिवासी समाज के प्रमुखों ने भी सिलगेर के ग्रामीणों के बीच पहुंचकर उनका हाल जाना, साथ ही विरोध प्रदर्शन में घायल हुए ग्रामीणों से मुलाकात कर स्थिति का जायज़ा लिया। मनीष कुंजाम ने मिडिया के समक्ष आरोप लगाया कि पुलिस सारे ग्रामीणों को नक्सली मानती है, और यह समझती है की नक्सलियों के उकसावे पर ही ये विरोध प्रदर्शन हो रहा है।

कोविड गाइडलाइन का खुला उल्लंघन

सिलगेर में जिस तरह के हालात नजर आ रहे हैं, उससे यहाँ कोरोना फैलने का काफी खतरा है। जहाँ पर हजारों ग्रामीण एक साथ बैठे हों वहां कोरोना की गाइडलाइन का पालन हो, ऐसा संभव ही नहीं है। ऐसे में अगर कोई कोरोना संक्रमित व्यक्ति इनके बीच हो तो इसका क्या अंजाम होगा इसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल होगा। कोरोना गाइडलाइन का पालन कराने वाला प्रशासन भी इन ग्रामीणों के सामने बेबस नजर आ रहा है।

बहरहाल सिलगेर के कैंप का मामला अब तक सुलझ नहीं सका है, और ना ही पुलिस ने अपनी तरफ से कोई ठोस पहल की है। सूत्र बताते हैं कि आने वाले दिनों में इसका कोई सर्वमान्य हल निकाल लिया जायेगा, जिसमे बस्तर के आदिवासी नेताओं की भूमिका भी होगी।

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