जमानत
किसी आरोपी को जमानत देते वक्त अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा

टीआरपी डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी आरोपी को जमानत देते समय अदालत को कथित अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा और बिना कोई कारण दर्शाए आदेश पारित करना न्यायिक प्रक्रियाओं के मौलिक नियमों के विपरीत है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को दरकिनार करते हुए यह टिप्पणी की, जिसने दहेज हत्या मामले में एक आरोपित को जमानत दे दी थी।

पीठ ने कहा, ‘वर्तमान मामले की तरह कथित अपराध की गंभीरता से हाई कोर्ट अनजान नहीं हो सकता, जहां एक महिला की शादी के एक वर्ष के अंदर ही अप्राकृतिक मौत हो गई।’ पीठ ने कहा, ‘आरोपों को देखते हुए कथित अपराध की गंभीरता का आकलन करना होगा कि दहेज के लिए उसका उत्पीड़न किया गया।’ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दहेज के लिए आरोपित के खिलाफ उत्पीड़न के विशिष्ट आरोप हैं।

पीठ ने कहा, ‘बिना किसी कारण के आदेश पारित करना न्यायिक प्रक्रियाओं को दिशा दिखाने वाले मौलिक नियमों के विपरीत हैं। हाई कोर्ट द्वारा आपराधिक न्याय तंत्र को महज सामान्य टिप्पणियों वाला मंत्र नहीं बनाया जा सकता। कारण संक्षिप्त हो सकते हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता मायने रखती है।

मृत महिला के भाई ने प्राथमिकी में आरोप लगाए थे कि शादी के समय 15 लाख रुपये नकद, एक वाहन और अन्य सामान दहेज के रूप में दिए गए थे, लेकिन वर पक्ष और पैसे की मांग कर रहा था। प्राथमिकी में आइपीसी और दहेज निषेध कानून की संबंधित धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर…