छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस

टीआरपी डेस्क। भारतीय रेल के सबसे भव्य इमारत वाला रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (विक्टोरिया टर्मिनस) को खरीदने में अडाणी (Adani) भी इच्छुक हैं। इससे पहले वह राष्ट्रीय राजधानी (National Capital) नई दिल्ली में कनॉट प्लेस (CP) के पास स्थित नई दिल्ली रेलवे स्टेशन (New Delhi Railway Station) को खरीदने के लिए भी अपनी रूचि दर्शा चुके हैं।

शिवाजी टर्मिनस के लिए 10 कंपनियां है रेस में 

अडाणी समूह की अडाणी रेलवेज ट्रांसपोर्ट लिमिटेड समेत 10 कंपनियों ने इस परियोजना में रुचि दिखाई है। आवेदन जमा करने वालों में जीएमआर एंटरप्राइजेज, आईएसक्यू एशिया इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट्स, कल्पतरु पावर ट्रांसमिशन, एंकरेज इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेन्ट्स होल्डिंग्स, ब्रुकफील्ड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड, मॉरिबस होल्डिंग्स, गोदरेज प्रोपर्टीज, कीस्टोन रियलटर्स और ओबेरॉय रियल्टी शामिल हैं।

इस तरह होगा री-डिवेलपमेंट

भारतीय रेलवे स्टेशन विकास प्राधिकरण (IRSDC) ने इस यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज को पीपीपी मोड में री-डिवेलप करने की योजना बनाई है। 1,640 करोड़ रुपये से अधिक की इस परियोजना में मुंबई के छत्रपति शिवाजी रेलवे स्टेशन टर्मिनल को आधुनिक, विश्वस्तरीय रेलवे टर्मिनल के तौर पर विकसित किया जाना है। इसका री-डिवेलपमेंट DBFOT के तहत होगा। इसमें ठेका पाने वाली कंपनी स्टेशन ‘डिजाइन, बिल्ट, फाइनेंस, ऑपरेट और ट्रांसफर’ करेगी। परियोजना का ठेका पाने वाली कंपनी को स्टेशन के परिचालन का 60 वर्ष का लाइसेंस मिलेगा।

देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक

देश के व्यस्ततम रेलवे स्टेशनों में से एक छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस को कामर्शियल डेवलपमेंट (Commercial Development) के लिए 60 साल, जबकि रेसिडेंसियल डेवलपमेंट (Residential Development) के लिए 99 साल की लीज पर निजी कंपनी को सौंपा जाएगा। रेलवे का अनुमान है कि इसके रिडेवलपमेंट में निजी कंपनी हजारों करोड़ रुपये का निवेश करेगी।

गोथिक शैली में हुआ निर्माण

वर्ष 1887 में विक्टोरिया टर्मिनस के नाम से बने इस स्टेशन की बिल्डिंग को बनाने में उस समय 16.13 लाख रुपए की लागत आई थी। इस भवन का निर्माण भारतीय वास्तुकला को ध्यान में रखते हुए गोथिक शैली में किया गया है। यह इंग्लिश के अक्षर ‘सी’ के आकार में संतुलित तथा योजनाबध्द तरीके से पूर्व और पश्चिम दिशा में बनाया गया है। इस बिल्डिंग का मुख्य आकर्षण इसका केंद्रीय गुंबद हैं, जिसके ऊपर ग्रोथ को दर्शाने वाली 16 फीट 6 इंच बड़ी प्रतिमा लगी है।

यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल है स्टेशन बिल्डिंग

इसके वास्तु वैभव को देखते हुए वर्ष 2004 में यूनेस्को ने इसे ‘विश्व विरासत’ की सूची में शामिल किया था। इसका डिजाइन विक्टोरिया और मुगलकालीन आर्किटेक्चर से प्रभावित है। सीएसटी का डिजाइन ब्रिटेन के बहुत से रेलवे स्टेशनों से मिलता-जुलता है।

चार बार बदला जा चुका है इसका नाम

अंग्रेजों ने जब भारत में रेल का परिचालन शुरू किया, तब मुंबई के बोरीबंदर इलाके में बने इस स्टेशन को बोरीबंदर स्टेशन के नाम से जाना जाता था। वह इलाका ग्रेट इंडियन पेनिनस्यूला रेलवे के पास था। उसने नए सिरे से स्टेशन के निर्माण के लिए मई 1878 में काम शुरू किया था और यह 1888 में बनकर तैयार हो गया। सन् 1887 में महारानी विक्टोरिया के शासन की 50वीं वर्षगांठ के अवसर पर इस भवन का नाम ‘विक्टोरिया टर्मिनस’ रखा गया बाद में सन् 1996 में इसका नाम विक्टोरिया टर्मिनस से बदलकर छत्रपति शिवाजी टर्मिनस रखा गया। बाद में इसका नाम छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस कर दिया गया।

वहीं हुआ था सबसे बड़ा आतंकी हमला

वर्ष 2008 में मुंबई पर बड़ा आतंकी हमला हुआ था। इस हमले में सबसे पहले सीएसएमटी को ही टार्गेट किया था। आतंकवादी अजमल कसाब और उसके साथियों की वहां हुई फायरिंग में 58 लोगों की मौत हुई थी। उस हमले की वजह से वह रेलवे स्टेशन सुर्खियों में आया था।

ये है योजना

अनुमानित लागत- 1642 करोड़
निर्माण लागत- 1232 करोड़
सुधार के लिए लागत- 53 करोड़
हैरिटेज ट्रांसफॉर्मेशन कॉस्ट- 30 करोड़
वित्तीय लागत- 328 करोड़
प्रोजेक्ट की डेडलाइन- 4 साल

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