पत्रकार विनोद दुआ का निधन, बेटी मल्लिका ने सोशल मीडिया पर दी जानकारी

टीआरपी डेस्क। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के शिमला में पत्रकार विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज राजद्रोह के मामले को खारिज कर दिया है। विनोद दुआ पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अपने यूट्यूब शो के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर वोट बैंक की राजनीति के लिए मौत और आतंकी हमलों का इस्तेमाल करने का झूठा दावा किया है।

बता दें कि यह मामला हिमाचल प्रदेश के एक स्थानीय भाजपा नेता श्याम ने विनोद दुआ के खिलाफ दर्ज कराया था। बीजेपी नेता ने यह एफआईआर उनके एक यूट्यूब प्रोग्राम को लेकर दर्ज कराई थी।

जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस विनीत सरन की बेंच ने पिछले साल छह अक्टूबर को विनोद दुआ, हिमाचल प्रदेश सरकार और मामले में शिकायतकर्ता की दलीलें सुनने के बाद याचिका पर फैसला सुरक्षित रख लिया था। आपको बता दें कि पिछले साल 20 जुलाई को, शीर्ष अदालत ने इस मामले में किसी भी दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। लेकिन उनके खिलाफ चल रही जांच पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। साथ ही उनकी सुरक्षा को अगले आदेश तक बढ़ा दिया था।

विनोद दुआ पर भाजपा की महासू इकाई के अध्यक्ष अजय श्याम की एक शिकायत के आधार पर धारा 124ए (देशद्रोह), 268 (सार्वजनिक उपद्रव), 501 (ऐसी धारा हैं जिसमे अगर आप की वजह से किसी की मानहानि होती हैं तो ऐसे में आपको आर्थिक दंड या जेल या दोनों भुगतना पड़ता हैं) और 505 (कोई व्यक्ति कोई झूठा बयान, अफवाह आदि फैलाता है जिससे समाज में अशांति हो) के तहत आरोप लगाया गया था।

पत्रकारों की ढाल बनता है 1962 का यह आदेश

बता दें कि 1962 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाया गया एक फैसला आज भी पत्रकारों की ढाल बनता है। केदारनाथ बनाम बिहार राज्य के केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राजद्रोह का केस तभी चलेगा जब कोई भी बयान ऐसा हो जो कि हिंसा फैलाने की मंशा से दिया गया हो। इसके अलावा फारूख अब्दुल्ला के एक मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सरकार से अलग विचार रखना राजद्रोह नहीं है। उन्होंने धारा 370 हटने को लेकर टिप्पणी की थी।

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