शुभेंदु अधिकारी
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टीआरपी डेस्क। बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने सोमवार शाम को राजभवन में पार्टी विधायकों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ राज्यपाल जगदीप धनखड़ से मुलाकात की थी। इस दौरान करीब 24 विधायकों ने मीटिंग से दूरी बना ली। तभी से अटकलें तेज हो गई हैं कि बंगाल भाजपा में टूट तो नहीं होने जा रही।

शुभेंदु स्वीकार नहीं

एक रिपोर्ट के अनुसार भाजपा नेताओं की बैठक का मकसद राज्यपाल को राज्य में हो रही कई हिंसक और गलत घटनाओं की जानकारी देना और अन्य महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करना था। मगर भाजपा के 74 में से 24 विधायक शुभेंदु के साथ नहीं आए। ऐसे में पार्टी से रिवर्स माइग्रेशन की अटकलें शुरू हो गईं हैं। ऐसी जानकारी है कि सभी भाजपा विधायक शुभेंदु को नेता के तौर पर स्वीकार नहीं करना चाहते।

कई विधायक बदलना चाहते हैं पाला

ऐसी खबरें आ रही है कि भाजपा के कई विधायक तृणमूल के संपर्क में हैं। माना जा रहा है कि कई भाजपा विधायक वापस तृणमूल कांग्रेस में जा सकते हैं। पिछले हफ्ते मुकुल रॉय तृणमूल में लौट आए। माना जा रहा है कि राजीव बनर्जी, दीपेंदु विश्वास और सुभ्रांशु रॉय सहित कई अन्य नेता भी रॉय के पीछे-पीछे घर वापसी कर सकते हैं।

30 से ज्यादा विधायक संपर्क में

इस बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी कहा था कि पार्टी उन लोगों के मामले पर विचार करेगी, जिन्होंने मुकुल के साथ तृणमूल छोड़ी थी और वापस आना चाहते हैं। TMC सूत्रों के मुताबिक, 30 से ज्यादा विधायक उनके संपर्क में हैं। रॉय से पहले सोनाली गुहा और दीपेंदु बिस्वास जैसे नेताओं ने खुलकर कहा था कि वे पार्टी में वापस लौटना चाहते हैं।

भाजपा अध्यक्ष की मीटिंग से भी कई विधायक गायब रहे थे

सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में बंगाल भाजपा अध्यक्ष दिलीप घोष की बुलाई बैठक में पार्टी के सांसद शांतनु ठाकुर और तीन अन्य विधायक नहीं पहुंचे थे। प्रभावशाली मतुआ समुदाय के एक प्रमुख सदस्य सांसद शांतनु ठाकुर विधानसभा चुनाव से पहले ही बंगाल में CAA कानून को लागू करने को लेकर भाजपा के रुख से असंतुष्ट हैं। इनके अलावा तीन विधायक बिस्वजीत दास (बगड़ा), अशोक कीर्तनिया (बोनगांव उत्तर) और सुब्रत ठाकुर (गायघाटा) के नाम की चर्चा हो रही है।

बंगाल की 294 में से 213 सीटें TMC ने जीती हैं। 77 सीटों पर BJP को जीत मिली है। चुनाव के चंद महीनों पहले TMC के 50 से ज्यादा नेताओं ने BJP का दामन थाम लिया था। इसमें 33 तो विधायक थे, उन्हें पूरी उम्मीद थी कि इस बार BJP ही जीतेगी। कई की आस BJP में आने के बाद भी पूरी नहीं हो पाई थी, क्योंकि पार्टी ने उन्हें टिकट ही नहीं दिया।

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