बीजिंग/नई दिल्ली। पूरे विश्व में कहर बरपा रहे कोरोना वायरस पर महत्वपूर्ण शोध के लिए चीन ने अपनी वुहान लैब “वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी” (Wuhan Institute of Virology) को देश के सर्वोच्च स्तर के अवॉर्ड के लिए नामित किया है।

बता दें कि पूरी दुनिया में कोरोना का सबसे पहला संक्रमण भी इसी लैब में दर्ज किया गया था। आज अधिकतर शोधकर्ताओं का यही मानना है कि वुहान लैब ही कोरोना वायरस की जन्मदात्री संस्था है और विश्व में इस घातक महामारी को फैलाने के लिए भी उसी को जिम्मेदारी माना जा रहा है।
चीन की मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार चाइनीज अकेदमी ऑफ साइंसेज ने Covid-19 पर बेहतरीन रिसर्च करने के लिए वुहान स्थित इस विवादित लैब को सबसे बड़े अवॉर्ड देने के लिए नामित किया गया है। चाइनीज अकेदमी ऑफ साइंसेज के अनुसार इस लैब द्वारा किए गए शोध के बाद ही कोरोना वायरस की उत्पत्ति, इसके प्रभाव और उसके मैकेनिज्म को समझने में मदद मिली। लैब के इन्हीं प्रयासों की बदौलत कोरोना वायरस के विरुद्ध दवाएं और वैक्सीन बनाना संभव हो पाया।
चीन ने वुहान लैब के लिए मांगा नोबेल अवार्ड
चीनी मीडिया के अनुसार चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियांग ने कहा था कि इंस्टीट्यूट में काम करने वाले चीनी वैज्ञानिकों पर दोषारोपण किए जाने के बजाय उन्हें सबसे पहले नोवल कोरोना वायरस का जीन सीक्वेंस खोज लेने के लिए चिकित्सा जगत के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाना चाहिए।
शुरूआत से ही विवादास्पद रही चीन की भूमिका
कोरोना की शुरूआत से ही चीन की भूमिका विवादास्पद रही। शुरू में कहा गया कि यह जंगली जानवरों को भोजन के रूप में खाने के कारण फैल रहा है। बाद में कई चीनी विशेषज्ञों ने खुलासा किया कि वुहान लैब में कोरोना वायरस पर शोध हो रहा था। इसके बाद कई लीक हुई कई ईमेल्स के आधार पर अमरीका सहित दुनिया के कई देशों ने चीन पर आरोप लगाए जिनका चीन अब तक खंडन करता रहा है।
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