कोरोना वैक्सीन बूस्टर डोज

नई दिल्ली। देशभर में जारी कोरोना वैक्सीनेशन अभियान के बीच एक बुरी खबर सामने आ रही है। दरअसल महिला स्वास्थ्यकर्मी जिसको कोरोना नहीं था, लेकिन टीका लगने के 20 दिन बाद पीलिया हुआ और अस्पताल में भर्ती कराया गया। टीका लगने के करीब एक सप्ताह बाद बुखार और थकान महसूस हुआ, महिला का थायराइड ग्लैंड का 8 साल से इलाज चल रहा था। कुछ समय बाद महिला स्वस्थ हो गई।

जबकि एक 62 वर्षीय बुजुर्ग को टीका लगने के 16 दिन बाद बुखार, पीलिया, भूख न लगना जैसी दिक्कतें हुईं। अस्पताल में भर्ती होने के समय लिवर फंक्शन टेस्ट में बिलीरूबीन का स्तर बढ़ा था। पांच बार प्लाजमा थेरेपी दी गई। परिवार ने इलाज में असमर्थता जताई और भर्ती होने के 3 सप्ताह बाद मौत हो गई।

वहीं एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि कुछ लोगों में कोविशील्ड टीके से थ्रॉबोएंबोलिक और ऑटो इम्यून हेपेटाइटिस के दो मामले सामने आए हैं। टीके से ब्लड क्लॉट के मामले काफी मिले हैं।

गौरतलब है कि द इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर डिजीज एंड ट्रांसप्लांटेशन, डॉक्टर रेला इंस्टीट्यूट एंड मेडिकल सेंटर भारत इंस्टीट्यूट ऑफ हायर एजुकेशन एंड रिसर्च चेन्नई के वैज्ञानिकों ने टीकाकरण में ऑटो इम्यून हेपेटाइटिस शीर्षक से प्रकाशित लेख में यह दावा किया है।

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