श्रद्धांजलि सभा में स्वागत... वंदन... अभिनंदन! आखिर कहां जा रहे हैं हमारे प्रदेश के नेता

रायपुर। मदनवाड़ा नक्सली हमले में शहीद मिथलेश कुमार साहू की पुण्यतिथि पर 12 जुलाई को नवापारा में श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया था। हालांकि कार्यक्रम तो शोक का था मगर कांग्रेस के नेताओं द्वारा इस कार्यक्रम का प्रचार प्रसार इस तरह किया जैसे यह शोक का नहीं उत्सव का आयोजन हो।

मीडिया में इस कार्यक्रम के लिए बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए। शोक कार्यक्रम में शामिल होने वाले सभी नेताओं का स्वागत, वंदन और अभिनंदन भी किया गया। अब इस विज्ञापन को लेकर भाजपा के नेता गौरीशंकर श्रीवास ने कांग्रेस पर तंज कसते हुए सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा है कि…

पाठ्यपुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी जी “वीर सपूत शहीद मिथलेश” की पुण्यतिथि पर कैसे बेशर्मी के साथ बलौदाबाजार में अपनी राजनीति जमीन तलाशने जा रहे है। ईश्वर शैलेश जी को सतबुद्धि दे।

शहादत के नाम पर राजनीति

शहीद मिथलेश कुमार साहू की पुण्यतिथि पर श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया गया था। मगर इस आयोजन के प्रचार के लिए छपे विज्ञापन में शहीद की तस्वीर को ही दरकिनार कर दिया गया था। इतना ही नहीं श्रद्धांजलि सभा में शैलेश नितिन त्रिवेदी बतौर मुख्य अतिथि और विधायक प्रमोद कुमार शर्मा बतौर अध्यक्ष शामिल हुए।

कार्यक्रम में शामिल हुए नेता

छत्तीसगढ़ पाठ्य पुस्तक निगम के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी, बलौदाबाजार विधायक प्रमोद शर्मा, पूर्व विधायक जनक राम वर्मा, जिला पंचायत अध्यक्ष राकेश वर्मा, अध्यक्ष हितेंद्र ठाकुर, जनपद पंचायत उपाध्यक्ष ईशान वैष्णव, पूर्व जिला पंचायत सदस्य सीमा वर्मा, गांव के सरपंच भुनेश्वर वर्मा, अपर कलेक्टर राजेंद्र गुप्ता एसडीओपी कृष्ण बिहारी द्विवेदी सहित अन्य जनप्रतिनिधि गण उपस्थित थे।

12 जुलाई 2009 को शहीद हुए थे मिथलेश साहू

बता दें कि मिथलेश साहू सिमगा तहसील के अंतर्गत ग्राम नवापारा के निवासी थे जो आरक्षक के पोस्ट में राजनांदगांव के मदनवाड़ा थाना में पदस्थ थे। 12 जुलाई 2009 को राजनांदगांव जिले के मदनवाड़ा थाना के अंतर्गत कोरकोट्टी के जंगलों में नक्सलियों द्वारा बेहद दुर्भाग्यपूर्ण घटना को अंजाम दिया गया था। जिसमें तत्कालीन राजनांदगांव जिले के पुलिस अधीक्षक  विनोद कुमार चौबे सहित कुल 33 पुलिस के जवान शहीद हुए थे। इस नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में पहली गोली मिथलेश कुमार साहू को ही लगी थी।

इस आयोजन से उठ रहे कई सवाल

हालांकि यह आयोजन श्रद्धांजलि का था मगर इस आयोजन को राजनीति का रूप दे दिया गया। टीआरपी ने इस मामले में सोशल एक्टिविस्टों से चर्चा की । उनका यह कहना था राजनीति अपनी दिशा से भटक गई है। इस पर मंथन बेहद आवश्यक है। इस आयोजन से उठ रहे कुछ सवाल….

  • श्रद्धांजलि सभा में शामिल लोगों का स्वागत, वंदन, अभिनंदन किया जाना कितना सहीं?
  • श्रद्धांजलि सभा में मुख्यअतिथि या अध्यक्ष का क्या काम?
  • शहीद की पुण्यतिथि का आयोजन था मगर विज्ञापन में शहीद की ही तस्वीर को दरकिनार क्यों कर दिया गया?
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