टीआरपी डेस्क। उत्तर प्रदेश में कांवड़ यात्रा को लेकर आज शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। इस दौरान कोर्ट ने कहा कि धार्मिक भावनाएं जीवन के अधिकार से बड़ी नहीं हैं। इस यात्रा के आयोजन से देश के सभी नागरिकों के स्वास्थ्य पर असर पड़ सकता है। इसलिए राज्य सरकार खुद ही इस पर विचार कर निर्णय लें। वहीं कोर्ट ने योगी सरकार को कांवड़ यात्रा की इजाजत दिए जाने पर फिर से विचार करने के लिए कहा है।

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राज्य में सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर रोक
कोर्ट ने यूपी सरकार से कहा- हम आपको विचार करने का एक और मौका देना चाहते हैं। आप सोचिए कि यात्रा को अनुमति देनी है या नहीं। हम सब भारत के नागरिक हैं। अनुच्छेद 21 के तहत सबको जीवन का मौलिक अधिकार है। हमको बताया गया की राज्य में सभी प्रकार के धार्मिक आयोजन पर रोक है। इसमें कावड़ यात्रा भी आती है। हम आपको सोमवार (19 जुलाई) तक समय दे रहे हैं। नहीं तो हमको जरूरी आदेश देना पड़ेगा।
Centre files affidavit in SC -State govts mustn't permit movement of Kanwariyas for bringing 'Ganga Jal' from Haridwar in view of #COVID19. However, considering religious sentiments, State govts must develop system to make 'Ganga Jal' available via tankers at designated locations pic.twitter.com/oliWcKl0vo
— ANI (@ANI) July 16, 2021
Centre further tells SC that State govts must ensure that distribution of 'Ganga Jal' among devotees &rituals by such devotees in the nearby Shiv Temples take place while mandatorily ensuring social distancing, wearing masks & adhering to all steps required during #COVID19 crisis
— ANI (@ANI) July 16, 2021
यात्रा को सांकेतिक रूप से चलाना बेहतर
आज केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की चिंता से सहमति जताते हुए कहा कि इस यात्रा को सांकेतिक रूप से चलाना बेहतर होगा। केंद्र के लिए पेश सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा, “हरिद्वार से गंगाजल लेकर कांवड़ियों का अपने इलाके के मंदिर तक आना कोरोना के लिहाज से उचित नहीं होगा। बेहतर हो कि टैंकर के ज़रिए गंगाजल जगह-जगह उपलब्ध करवाया जाए। हालांकि, इस बारे में फैसला राज्य सरकार को ही लेना है।”
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दरअसल, 13 जुलाई को योगी सरकार ने यूपी में 25 जुलाई से होने वाली कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी थी। इसके लिए कोविड-19 प्रोटोकॉल के पालन की शर्त रखी थी। योगी सरकार के इस फैसले का सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। सुनवाई के लिए 16 जुलाई यानी आज का दिन तय किया था। साथ ही केंद्र और यूपी सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया था।
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उत्तराखंड में भी किया गया कांवड़ यात्रा रद्द
वहीं बुधवार, 14 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन और बी आर गवई की बेंच ने मामले पर स्वतः संज्ञान लिया था। कोर्ट ने कहा था कि उत्तराखंड ने कोरोना की तीसरी लहर की आशंका को देखते हुए यात्रा रद्द कर दी है लेकिन यूपी ने ऐसा नहीं किया है। राज्य सरकारों का यह रवैया लोगों को भ्रमित करने वाला है। कोर्ट ने मामले में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। कोर्ट ने यह भी कहा था कि चूंकि यात्रा 25 जुलाई से शुरू होनी है। इसलिए, इस मसले पर जल्द सुनवाई ज़रूरी है।
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