टीआरपी डेस्क। आज कोरोना को लेकर दुनिया भर में जहां हाहाकार मचा हुआ। जिसका एक मुख्य कारण पर्यावण प्रदूषण भी माना जा रहा है। ऐसे में सोनीपत के रहने वाले देवेंद्र सुरा ने पूरे देश में एक अनूठी मिसाल पेश किया है। बता दें, चंडीगढ़ पुलिस में कोंसटेबल के पद पर कार्यरत देवेंदर सूरा ने अपने अभियान के द्वारा अब तक अनगिनत लाखों पेड़ लगाया है। जिस वजह से अब लोग उन्हें ‘हरियाणा का ट्री-मैन’ कहते हैं।

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गौरतलब है कि देवेंदर ने अपनी यह पहल अपने खुद के घर और शहर से शुरू की। जो आज हरियाणा से लेकर दिल्ली तक पहुँच चुकी है। देवेंदर सूरा ने बताया कि जब वह साल 2011 में चंडीगढ़ भर्ती के लिए गए थे तो सबसे ज़्यादा उन्हें इस शहर की हरियाली ने प्रभावित किया। सड़क के बीच में डिवाइडर पर और तो और रास्तों के दोनों तरफ भी पेड़ इस तरह से लगाये गये हैं कि इनकी छाँव में चलते समय आपको धूप का अंदाजा भी न होगा।
लोगों के लिए बन गये ‘ट्री-मैन’
देवेंदर ने आगे बताया कि उनमें हमेशा से ही देश के लिए कुछ करने का जज़्बा रहा है। उनके पिता एक रिटायर्ड फौजी हैं और उन्हीं से उन्हें देश और समाज के लिए कुछ करने की प्रेरणा मिली। चंडीगढ़ की हरियाली को देखकर उनके मन में ख्याल आया कि क्यों ना अपने सोनीपत को भी ऐसे ही हरा-भरा बनाया जाये। इस तरह पर्यावरण को संरक्षित कर, वे अपने देश का भी कल्याण करेंगें। फिर 2012 से पर्यावरण के लिए इस सिपाही का अभियान शुरू हुआ और देखते ही देखते वह लोगों के लिए ‘पर्यावरण मित्र’ और ‘ट्री-मैन’ बन गये।
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अपना पूरा वेतन पेड़ों पर ही खर्च करते हैं देवेंदर
देवेंदर बताते हैं कि जब उन्होंने यह काम शुरू किया, तब उनका परिवार पूरे मन से उनके साथ नहीं था क्योंकि देवेंदर अपना पूरा वेतन पेड़ों पर ही खर्च कर देते थे। इससे परिवारवालों को दिक्कत थी। लेकिन धीरे-धीरे, जब कई जगहों पर उनके प्रयासों से बदलाव आने लगा और ख़ासकर कि गांवों के युवा उनसे जुड़ने लगे तो उनके परिवार का भी पूरा साथ उन्हें मिला।
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इसके अलावा मानसून के मौसम में सबसे ज़्यादा पेड़ लगते हैं इसलिए देवेंदर कम से कम दो महीने के लिए छुट्टी ले लेते हैं। इन दो महीनों में वह अलग-अलग इलाकों में जाकर वृक्षारोपण करवाते हैं। घरों में ही सब्ज़ियाँ उगाने से लेकर खेतों पर, सडकों पर छायादार पेड़ लगाने तक, उनकी पहल रंग ला रही है। देवेंद अब तक सोनीपत के आस-पास के लगभग 182 गांवों में पेड़ लगवा चुके हैं।
65 पक्षी-विहार बनाने का उद्देश्य
देवेंदर का एक उद्देश्य शहर में 65 पक्षी-विहार बनाने का भी है। जहाँ पर पक्षियों के लिए दाने-पानी की पूरी व्यवस्था हो। इसके लिए उन्होंने शहर भर में 8, 000 मिट्टी के कसोरे (बर्तन) और लगभग 10, 000 लकड़ी के घोंसले बांटे हैं। कोरोना में उनका संदेश है कि हर एक घर के बाहर पक्षियों के विश्राम के लिए घोंसले होने चाहिए और साथ ही लोग अपनी छतों पर मिट्टी के बर्तनों में उनके लिए पानी भरकर रखें।
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हरियाली के प्रति लोगों को किया जागरूक
लोगों में हरियाली के प्रति जागरूकता लाने के लिए उन्होंने कई तरह के अलग-अलग प्रयास किये हैं और वह सभी सफल रहे हैं। उन्होंने लोगों को अपने जन्मदिन पर खुद के नाम से पेड़-पौधे लगाने का संदेश दिया है। क्योंकि हर साल आपका जन्मदिन आता है और अगर आप हर साल अपने जन्मदिन पर एक पेड़ भी लगाते हैं और उसकी देखभाल करते हैं। तब भी आप पर्यावरण के लिए बहुत-कुछ कर पायेंगें।
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स्थानीय निवासियों ने बेटियों के नाम पर लगाए 100 पेड़
सोनीपत के सेक्टर 23 को उन्होंने ‘ग्रीन सेक्टर’ बनाने की ठानी है। यहाँ पर उन्होंने मुख्य सड़क पर लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रेरित किया। उनके प्रयासों से लगभग 100 पेड़ यहाँ के निवासियों ने लगाये। यह सभी पेड़ लोगों ने अपनी बेटियों के नाम पर लगाये हैं और हर एक पेड़ पर किसी न किसी बच्ची का नाम आपको लिखा मिलेगा। इस पहल का उद्देश्य न सिर्फ़ बेटियों को समाज में बराबरी का सम्मान देना था बल्कि वह चाहते थे कि यह सभी लोग अपने-अपने पेड़ों की देखभाल भी करें जैसे कि वह अपने बच्चों की करते हैं।
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‘ट्री-मैन’ से जुड़े 8,000 से भी ज़्यादा ‘पर्यावरण मित्र’
इसके अलावा जो भी साथी पर्यावरण के लिए उनके साथ जुड़ते हैं, उन्हें ‘पर्यावरण मित्र’ का संबोधन दिया जाता है। साथ ही, उनका उत्साह बढ़ाने के उन्हें ‘पर्यावरण मित्र’ लिखी हुई टी-शर्ट दी जाती है। इस तरह से, अब तक उनके साथ 8,000 से भी ज़्यादा पर्यावरण मित्र जुड़े हुए हैं और अपने-अपने इलाकों में काम कर रहे हैं। उन्होंने अब तक 1, 54, 000 पेड़ लगवाए हैं और लगभग 2, 72, 000 पेड़ स्कूल, शादी समारोह, रेलवे स्टेशन, मंदिर आदि में जा-जाकर बांटे हैं। इनमें पीपल, जामुन, अर्जुन, आंवला, नीम, आम, अमरुद, हरसिंगार जैसे पेड़ शामिल हैं।
वहीं देवेंदर कहते हैं कि वह ताउम्र यही काम करना चाहते हैं। उन्हें कभी भी रुकना नहीं है, बल्कि उनका लक्ष्य हर एक गाँव-शहर को हरा-भरा बनाना है, जहाँ हर एक घर में पेड़ हो और साथ ही, लोग कम से कम गाड़ियों का इस्तेमाल करें। उनका उद्देश्य लोगों को प्रकृति को ध्यान में रखते हुए अपनी लाइफस्टाइल रखने के लिए प्रेरित करना है।
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