टीआरपी डेस्क। जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के संस्थापक और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के निधन के बाद पार्टी बिखराव की ओर है। पार्टी के कई वरिष्ठ नेता साथ छोड़ कांग्रेस में वापसी कर चुके हैं। वहीं विधानसभा मानसून सत्र के पहले जनता कांग्रेस के 2 विधायकों ने पार्टी से अलग होकर नई पार्टी बनाने का एलान किया था। मगर अब इस बारे में जेसीसी की सुप्रीमो रेणु जोगी ने कहा है कि पार्टी का किसी प्रकार से विखंडन नहीं होगा।

विधायकों को मनाने में कामयाब रेणु जोगी

पार्टी सुप्रीमो रेणु जोगी ने कहा कि उन्हें समाचार पत्रों के माघ्यम से जानकारी मिली है कि उनकी पार्टी के दो विधायकों (देवव्रत सिंह और प्रमोद शर्मा) ने कुछ दिन पहले अलग से अपना दल बनाने की घोषणा की है। उन दिनों वह पेंड्रा के दौरे पर थी। उन्होंने आगे कहा, ‘मैंने दोनों विधायकों से फोन से इस संबंध में चर्चा की है, मैंने उनसे कहा कि हम लोग एक ही पार्टी से चुनाव लड़े थे और अब पार्टी में चार ही विधायक शेष हैं। तो वर्तमान में हम सब को एकजुट होकर परिवार के रूप में रहना है। दोनों विधायकों ने मुझे आश्वस्त किया है कि हम एक परिवार के रूप में ही रहेंगे। रेणु जोगी ने बताया कि उन्होंने विधायकों से कहा है कि वह ऐसा कोई भी फैसला चुनाव के वक्त ही लें।

क्या है मामला

जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के इन दोनों विधायकों ने पूर्व सीएम अजीत जोगी के कार्यकाल में पार्टी ज्वाइन की थी, लेकिन उनके निधन के बाद पार्टी के कामकाज के तरीके और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अमित जोगी से दोनों विधायक नाराज थे। जिसके बाद दोनों विधायकों ने पार्टी छोड़कर एक अलग पार्टी बनाने की बात कही थी। अगर यह विधायक पार्टी छोड़कर किसी दूसरी पार्टी में जाते हैं या नई पार्टी बनाते हैं तो उनकी दल-बदल विरोधी कानून के तहत विधानसभा में सदस्या रद्द हो सकती है।

क्या है दल-बदल विरोधी कानून

साल 1967 में हरियाणा के एक विधायक ‘गयालाल’ ने एक दिन में तीन बार पार्टी बदली थी। इस प्रकार की राजनीतिक उठापटक को रोकने के लिए 1985 में 52वां संविधान संशोधन किया गया। इस अनुसूची में दल-बदल विरोधी कानून को शामिल किया गया।

यह हैं नियम के प्रावधान

दल-बदल विरोधी कानून के प्रावधान के तहत जनप्रतिनिधि को अयोग्य घोषित किया जा सकता है यदि एक निर्वाचित सदस्य स्वेच्छा से किसी राजनीतिक दल की सदस्यता छोड़ देता है।

  • कोई निर्दलीय सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है तो उसकी भी सदस्यता रद्द हो सकती है।
  • किसी सदस्य द्वारा सदन में पार्टी के पक्ष के विपरीत वोट दिया जाता है या क्रॉस वोटिंग की जाती है।
  • कोई सदस्य स्वयं को वोटिंग से अलग रखता है, यानी वॉक आउट करता है।
  • 6 महीने खत्म होने के बाद कोई मनोनीत सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है।
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