infrarenal aortic dissection
एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टरों द्वारा सफलता पूर्वक आपरेशन किया गया।

रायपुर। डॉ भीमराव अम्बेडकर अस्पताल में पांच दिन पहले राजधानी निवासी एक व्यक्ति को भर्ती कराया गया था जो एक इन्फ्रारीनल एओर्टिक डायसेक्शन नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित था जिसका इलाज विगत पांच दिनों से चल रहा था जिसका एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टरों द्वारा सफलता पूर्वक आपरेशन किया गया।

हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जन डॉ. कृष्णकांत साहू के अनुसार यह दुर्लभ बीमारी तीस लाख लोगों में से एक को होती है तथा समय पर इलाज न मिलने से 50 प्रतिशत मरीज की मृत्यु 24 से 48 घंटे में हो जाती है। यह राज्य में प्रथम और किसी भी शासकीय संस्थान में पहला आपरेशन है। वर्तमान में राज्य के लगभग 90 प्रतिशत थोरेसिक एवं वैस्कुलर सर्जरी के केस एसीआइ के कार्डियक सर्जरी विभाग में हो रहे हैं।

बीमारी के लक्षण

मरीज के बड़े भाई टी. अरैया के अनुसार मेरा 40 वर्षीय भाई तीन महीनों से पेट और कमर दर्द की समस्या से परेशान था। स्थानीय डॉक्टरों को दिखाने के बाद उसे किडनी की पथरी समझकर उसका उपचार किया। ओड़िशा के अस्पतालों में दिखाया। उसके बाद वहां पर भी कोई डायग्नोसिस नहीं पता चल पाया। जहां पर उसके पेट की महाधमनी की एंजियोग्राफी (एओर्टोग्राम) की गई तो पता चला कि पेट के अंदर स्थित महाधमनी (एब्डामिनल एओर्टा) में किडनी के ठीक नीचे स्थित महाधमनी (इन्फ्रारीनल एओर्टा) की आंतरिक दीवार के फट जाने के कारण रक्त आंतरिक एवं मध्य दीवार के बीच भर रहा था, जिसके कारण पेट से नीचे अंगों में रक्त पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पा रहा था। इसके कारण उसके पैरों एवं पेट में दर्द रहता था। जिसके बाद अम्बेडकर अस्पताल में भर्ती कराया गया जिसके पांच दिन बाद आपरेशन हुआ।

infrarenal aortic dissection
एडवांस कार्डियक इंस्टीट्यूट के हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी विभाग के डाक्टरों द्वारा सफलता पूर्वक आपरेशन किया गया।

हार्ट, चेस्ट एवं वैस्कुलर सर्जरी के विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णकांत साहू और उनकी टीम ने इस दुर्लभ बीमारी का सफल आपरेशन करते हुए बताया की इस बीमारी में मरीज के धमनी की आंतरिक दीवार क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और रक्त का प्रवाह धमनी के बाहर होने लगता हैं जिसे एओर्टिक डायसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन कहते हैं। जिसके बाद क्षतिग्रस्त महाधमनी के हिस्से को काटकर शरीर से अलग करते हुए महाधमनी की जगह में 7×14 साइज का कृत्रिम नस (आर्टिफिशियल ग्राफ्ट) लगाकर उसे दोनों पैरों की नसों से जोड़ दिया जिससे दोनों पैरों में पुनः रक्त संचार प्रारंभ हो गया।

यह भी पढ़े:अब 5 माह की बच्ची तीरा की जान बचाने के लिए पीएम मोदी हुए भावुक… तुरंत लिया एक्शन, दवा पर 6 करोड़ किया माफ

क्या है एओर्टिक डायसेक्शन

महाधमनी मानव शरीर की सबसे बड़ी और मुख्य धमनी होती होती है जो पूरे शरीर में रक्त का संचार करती है। कई बार धमनी की आंतरिक परत से रक्त का रिसाव (लीक) होने लगता है जिसे एओर्टिक डायसेक्शन या महाधमनी विच्छेदन के नाम से जाना जाता है। एओर्टिक डायसेक्शन एक गंभीर स्थिति है जिसमें धमनी की आंतरिक परत एंटाइमा (intima) में छेद होने के कारण रक्त का रिसाव आंतरिक परत एंटाइमा (intima) और मध्य परत के बीच होने लगता है। यही रक्त अगर महाधमनी के बाहरी दीवार से भी बाहर निकलने लगता है तो जानलेवा हो जाता है।यह बीमारी 60 या 70 साल की अधिक उम्र में कोलेस्ट्रॉल जमने से या फिर नसों की जन्मजात बीमारी (मार्फेन सिंड्रोम) में भी कम उम्र के लोगों में होता है या फिर आंतरिक चोट लगने के कारण होता है। अत्यधिक ब्लड प्रेशर की समस्या होने के कारण भी होता है परंतु किडनी के ठीक नीचे महाधमनी में डायसेक्शन बहुत ही दुर्लभ है। इस बीमारी में सबसे बड़ी समस्या इस बीमारी का पता न लगाना होता है और इसका समय पर इलाज भी जरूरी है।

Hindi News के लिए जुड़ें हमारे साथ हमारे फेसबुक, ट्विटरटेलीग्राम और वॉट्सएप पर