रायपुर। 24 जुलाई से पूरे प्रदेश की 2058 सहकारी समितियों में कार्यरत कर्मचारियों के हड़ताल में होने के चलते प्रदेश की सहकारी समितियों में ताला लगा हुआ है और खाद, बीज, राशन आदि की बिक्री बंद हैं। इसी कड़ी में प्रांतीय संगठन के आह्वान पर प्रदेश भर में धान खरीदी नीति की प्रतियों को जलाया गया।

छत्तीसगढ़ में कृषि साख सहकारी समितियों के माध्यम से शासन की जनकल्याणकारी योजनाएं जैसे- समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी, सार्वजनिक वितरण प्रणाली,खाद-बीज, KCC वितरण अदि का संचालन किया जाता है। इन समितियों में कार्यरत कर्मचारियों के संगठन छ ग सहकारी समिति कर्मचारी संघ के बैनर तले विभिन्न मांगों को लेकर सारे कर्मचारी हड़ताल पर चले गए हैं। इससे समितियों का सारा कामकाज ठप्प है, और किसानों को खाद बीज के लिए भटकना पड़ रहा है।
अल्प वेतन पर दशकों से कर रहे हैं काम
छत्तीसगढ़ सहकारी समिति कर्मचारी संघ का कहना है कि 2058 प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों में लगभग 10 हजार कर्मचारी बीते 30-35 वर्षों बहुत ही कम वेतन पर काम कर रहे हैं, जिसके चलते सभी आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं और अपने भविष्य को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा समितियों को होने वले नुकसान का ठीकरा भी इन कर्मचारियों पर फोड़ा जाता है।
हड़ताल से कामकाज हुआ ठप्प
बीते 24 जुलाई से सभी सहकारी कर्मचारी कामबंद हड़ताल पर हैं। 27 जुलाई को हड़ताली कर्मियों ने राजधानी पहुंचकर विधानसभा को घेरने का प्रयास किया। वहीं 31 जुलाई को सभी जिलों में कर्मचारी संघ द्वारा धान खरीदी नीति वर्ष 2020-21 की प्रतियों को आग के हवाले करते हुए विरोध जताया गया। इनका आरोप है कि धान खरीदी की नई नीति से सहकारी समितियां बर्बाद हो रहीं हैं।
कर्मचारी संघ के प्रदेश महासचिव नरेंद्र साहू ने बताया कि उनकी प्रमुख मांगो में धान परिवहन में देरी के चलते धान में आ रहे सूखत एवं अतिरिक्त खर्च की राशि समितियों को वापस दिलाई जाये, कर्मचारियों को शासकीय सेवा में नियमित करने और समान वेतन देने, वरिष्ठ कर्मियों को पदोन्नत करके प्रबंधक बनाने सहित 05 प्रमुख मागें शामिल हैं। संघ को उम्मीद थी कि विधानसभा सत्र के दौरन सरकार उनकी मांगों को लेकर पहल करेगी मगर ऐसा कुछ भी नहीं हुआ जिसके चलते इनकी हड़ताल लगातार जारी है।
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