उद्यानिकी विभाग का सब्सिडी घोटाला, ठगे जा रहे छत्तीसगढ़ के किसान, फर्जी बिल के सहारे अफसरों ने किए करोड़ों पार

रायपुर। किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए सरकार छत्तीसगढ़ तमाम तरह की योजनाएं ला रही है। मगर इनका लाभ किसानों को नहीं सरकारी विभाग के अफसरों को हो रहा है। वे ठेकेदारों से मिलकर किसानों के नाम पर खुद ही सरकारी रकम डकार रहे हैं।

ताजा मामला महासमुंद में पॉलीहाउस निर्माण का है। बता दें कि छत्तीसगढ़ में सरकार किसानों को उद्यानिकी फसलों को बेहतर बनाने के लिए उन्हें ग्रीन हाउस और पाली हाउस बनाकर दे रही है। मगर वहीं विभाग के अफसर ठेकेदारों के साथ मिलकर पॉलीहाउस की जगह ग्रीन हाउस बना रहे हैं और इसके एवज में मिलने वाली सब्सिडी की रकम उनके जेब में जा रही है।

फर्जी बिल के जरिए लाखों की रकम अफसरों की जेब में

इतना ही नहीं मामले की शिकायत के बाद विभाग के अधिकारी पद पर रहते हुए जांच को प्रभावित कर रहे हैं। हैरत की बात यह है कि शिकायत के 4 माह गुजर जाने के बाद भी अब तक मामले की जांच नहीं हो सकी है। बता दें कि महासमुंद के 20 से ज्यादा किसानों के खेत में ग्रीन हाउस का निर्माण किया गया। जिस कंपनी को पॉलीहाउस बनाने का काम दिया गया था उसकी जगह किसी दूसरी कंपनी ने काम किया और किसी तीसरी कंपनी के नाम से बिल जारी हुआ।

किसानों के लिए बनाए गए ग्रीन हाउस की गुणवत्ता इतनी खराब थी की वो तेज हवा में टिक नहीं सके। वहीं विभाग ने अभी तक किसी भी कंपनी को नोटिस जारी नहीं किया है। मामले की जांच होता देख एक बार फिर किसानों से अधिकारी लगातार संपर्क कर रहे हैं और उन्हें दोबारा ग्रीन हाउस की जगह अब पाली हाउस बना कर देने की बात भी कह रहे हैं।

किसानों को मिलती है 14 लाख की सब्सिडी

बता दें कि पॉलीहाउस के निर्माण में सरकार की ओर से किसानों को सब्सिडी दी जाती है। उद्यानिकी विभाग से मिली जानकारी के अनुसार 19 लाख के पाली हाउस के निर्माण में 14 लाख की सब्सिडी दी जाती है। वहीं, ग्रीन हाउस का निर्माण में ढाई लाख की सब्सिडी दी जाती है। विभाग द्वारा 20 किसानों को पॉली हाउस की जगह ग्रीन हाउस बनाकर दिया गया है। इस तरह 2 करोड़ 80 हजार रुपए की राशि विभाग के अफसर और ठेकेदारों की जेब में गई है।

वर्जन

महासमुंद जिले में पॉलीहाउस निर्माण में गड़बड़ी की शिकायत आई है। शुरूआती जांच में कुछ गड़बड़ी की पुष्टि हुई है। मगर अब तक जांच पूरी नहीं हुई है। जांच के बाद ही दोषी अधिकारियों के खिलाफ किसी प्रकार की कार्रवाई की जाएगी।
माथेश्वरन, डायरेक्टर, उद्यानिकी विभाग

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