काबुल। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने और तालिबान का शासन कायम होने के बाद मानवाधिकार संगठन एक बार फिर देश में रहने वाली लड़िकयों-महिलाओं को लेकर चिंता जता रहे हैं। लोगों में डर है कि पहले कि तरह इस बार भी तालिबानी शासन में लड़कियों को सरेआम सजा दी जाएगी। इस बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हो रहा है। इसमें अफगानिस्तान में महिलाओं के लिए बोर्डिंग स्कूल की स्थापना करने वाली शबाना बसिज-रसिख को अपनी छात्राओं के रिकॉर्ड्स जलाते देखा जा सकता है।

शबाना का तर्क है कि ऐसा करने की वजह उनकी पहचान मिटाना नहीं, बल्कि बच्चियों और उनके परिवारों को तालिबान से बचाना है। जैसे अफगानिस्तान पर दुनिया का ध्यान नाटकीय होता जा रहा है और अफगान नागरिक बाहर निकल रहे हैं, ऐसे में वो लड़कियां जिनके पास बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है, उनके लिए निवेश करने की आग मेरे अंदर और भड़कती जा रही है।
Nearly 20 years later, as the founder of the only all-girls boarding school in Afghanistan, I’m burning my students’ records not to erase them, but to protect them and their families.
2/6 pic.twitter.com/JErbZCSPuC— Shabana Basij-Rasikh (@sbasijrasikh) August 20, 2021
20 साल पहले शरिया कानून का दंश झेल चुकी हैं महिलाएं
बता दें कि 20 साल पहले तक जब अफगानिस्तान में तालिबान का शासन था, तब शरिया कानून के तहत नियमों के उल्लंघन पर महिलाओं को कोड़े मारने से लेकर सरेआम मौत की सजा भी दी जाती थी। हालांकि, देश में अमेरिकी सेना आने और लोकतांत्रिक सरकार बनने के बाद ऐसी घटनाएं न के बराबर पहुंच गईं। इस बीच तालिबान के सत्ता में वापस आने के डर से अब महिलाओं में डर बैठा है।
लड़कियों के स्कूल की सह-संस्थापक शबाना बासिज-रसिख ने ट्वीट में कहा, कि “मैं मेरी छात्राएं, साथी सभी सुरक्षित हैं। लेकिन अभी भी यहां कई हैं, जो खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। मैं उनके लिए चिंतित हूं।” छात्राओं के दस्तावेज जलाने के मुद्दे पर उन्होंने कहा, “मेरा ध्यान मेरी छात्राओं की सुरक्षा पर है। इसलिए इस बारे में ज्यादा नहीं कहूंगी।”
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