स्मार्ट सिटी सर्जरी

दामिनी बंजारे

रायपुर। राजधानी को स्मार्ट सिटी बनाने की सोच के साथ वर्ष 2015 में स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत करोड़ों की लागत से कई प्रोजेक्ट्स शुरू किए गए। आम लोगों को बेहतर सुविधाएं देने के उद्देश्य से 16 प्रोजेक्ट में काम आरंभ किया गया।

स्मार्ट सिटी मिशन एवं नगर निगम द्वारा शहर में नेकी की दीवार, तेलीबांधा झील शुद्धिकरण और कायाकल्प, शहीद स्मारक, टाउन हॉल, नालंदा परिसर, हेरिटेज वॉक, आनंद समाज पुस्तकालय, बापू की कुटिया, इंटर स्टेट बस टर्मिनल, वाटर एटीएम, आईटीएमएस, साइकिल ट्रैक, मल्टी लेवल पार्किंग, तालाबों का विकास, जवाहर बाजार समेत कई योजनाएं हैं। जो कहीं न कहीं शुरू तो हो चुकी हैं। मगर आज भी ये बदहाल हैं। आज टीआरपी की टीम इस भाग में आपको स्मार्ट सिटी की एक योजना नालंदा परिसर की जमीनी हकीकत से आपको रूबरू करवा रही है।

प्रदेश के युवाओं को बेहतर शिक्षा देने के मकसद से 18 करोड़ रुपए की लागत से बनाया गया ‘नालंदा परिसर’ स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत तैयार की गई बेहतर योजना है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि इसका फायदा शहर के सैकड़ों छात्रों को वर्तमान में मिल रहा है।

कई कंप्यूटर सिस्टम हुए खराब

मगर हाल ही में कुछ छात्रों ने जनरेटर खराब, थंब मशीन, लिफ़्ट, कई कंप्यूटर सिस्टम खराब, Wi-Fi , कैंपस की 50% लाइट खराब होने की शिकायत की। साथ ही कुछ छात्रों का कहना है कि लाइब्रेरी में अपडेट पुस्तकें मौजूद नहीं हैं। इतना ही नहीं बरसात के चलते इन दिनों नालंदा परिसर के चारो ओर का क्षेत्र दलदल में तब्दील हो गया है। परिसर के अंदर बने छोटे-छोटे तालाबनुमा गड्ढों में कचरे का अंबार लगा हुआ है। जिसके कारण अब यहां मच्छरों से होने वाले रोगों की आशंका भी बढ़ गई है।

करोड़ों खर्च के बाद भी गंदगी का लगा अंबार

नालंदा परिसर में बने तालाब में बरसात का पानी जमा होने से गंदगी और बदबू चारों ओर फैल जाती है। हैरानी की बात यह है कि जिला खनिज न्यास निधि और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल साथ ही स्मार्ट सिटी द्वारा नालंदा परिसर संचलित है। इसके मेंटेनेंस के लिए करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं। इसके वाबजूद भी छात्र गंदगी में आने-जाने के लिए मजबूर हैं। जबकि नालंदा परिसर प्रदेश का इकलौता ऑक्सिजोन वाला स्टडी हब है और रोजाना एक हजार से अधिक परीक्षार्थियों का आवागमन होता है।

18 करोड़ की लागत से बना था परिसर

वर्ष 2018 में नालंदा परिसर का निर्माण 18 करोड़ रुपए की लागत खर्च करके हुआ था। जिसमें जिला खनिज न्यास निधि से 15.21 करोड़ रुपए तथा छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल से 2.44 करोड़ की राशि प्रदान कर रायपुर स्मार्ट सिटी लिमिटेड द्वारा बनाया गया है। युवाओं को कम पैसों में पढ़ाई की हाईटेक सुविधा मिल सके और स्वच्छ व स्वस्थ पर्यावरण मिल सके इस उद्देश्य से परिसर में कदम, नीम और कई प्रकार के वृक्षों को लगाया गया है। मगर न तो गंदगी की सुध प्रभारी मंजुला जैन ले रही हैं और न ही प्रशासन।

छात्र कर चुके हैं विरोध

हाल ही में कुछ दिन पूर्व नालंदा परिसर में पढ़ने वाले छात्रों ने वहां की व्यवस्थाओं को लेकर विरोध किया था। जिसमें नालंदा के रखरखाव और व्यवस्था में हो रही लापरवाही का जिक्र था। छात्रों ने लिखित में आवेदन दिया था जिसमें बताया गया था कि न तो वहां वाईफाई की सुविधा है और आधे से ज्यादा कंप्यूटर बंद पड़े हैं। परिसर में बनें दलदल और कचरे के अंबार के विरोध में छात्रों ने प्रदर्शन किया था। उसके बाद भी नालंदा प्रवंधन के कान में जूं तक नहीं रेंगी और यथावत गंदगी और अव्यवस्थाओं का क्रम जारी है।

नोटः टीआरपी की टीम स्मार्ट सिटी सर्जरी के नाम से आपके समक्ष कई योजनाओं की हकीकत इसी तरह अलग-अलग भागों में लेकर आ रही है। इन योजनाओं के संबंध में जानने के लिए हमसे आगे भी जुड़े रहें और इसकी अगली कड़ी भी जरूर पढ़ें।

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