नई दिल्ली। जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राजनीति तेज होने के बीच सुर्खियों में रहने वाले केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने एक कार्यक्रम के दौरान जातिगत जनगणना का भी समर्थन किया और कहा वे जनगणना के पक्ष में है साथ ही उनकी पार्टी इसके पक्ष में है। केंद्रीय मंत्री ने यह बयान ऐसे वक़्त में कहा जब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना ‘प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर’ है।
नहीं बढ़ेगा जातिगत
इतना ही नहीं अठावले ने जातिगत जनगणना का समर्थन करते हुए कहा कि जाति के आधार पर जनगणना होनी चाहिए जिससे पता चल जाएगा कि देश में किस जाति के लोगों की कितनी संख्या है। उन्होंने कहा कि यह मांग हमारी बहुत पुरानी है और जातिगत जनगणना से देश में जातिवाद नहीं बढ़ेगा। इतना ही नहीं, एनसीपी प्रमुख शरद पवार की तारीफ करते हुए अठावले ने कहा कि वो प्रधानमंत्री पद के उपयुक्त प्रत्याक्षी हैं और सोनिया गांधी को मनमोहन सिंह की जगह शरद पवार को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था।
आरक्षण की सीमा बढ़ाया जा सकता
उन्होंने दावा किया कि संविधान के एक संशोधन के बाद राज्य सरकारों का अधिकार मिल गया है कि जरूरत महसूस होने पर वे वंचित वर्गों को कुल मिलाकर 50 फीसद से ज्यादा आरक्षण देने पर विचार कर सकती हैं। जातिगत आरक्षण की अधिकतम सीमा को लेकर ऐतिहासिक इंदिरा साहनी प्रकरण की नजीर के बारे में पूछे जाने पर आठवले ने कहा, “उच्चतम न्यायालय ने बोला है कि आरक्षण की सीमा को 50 फीसद से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता। लेकिन ऐसा कोई कानून नहीं है। इस सिलसिले में उच्चतम न्यायालय ने केवल अपना अभिमत दिया है।
सोनियां गांधी बन सकती थी पीएम
मोदी सरकार में मंत्री अठावले ने कहा, ‘यूपीए के सत्ता में आने पर सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री बनाना चाहिए था। अगर कमला हैरिस अमेरिकी उपराष्ट्रपति बन सकती हैं तो सोनिया गांधी पीएम क्यों नहीं बन सकतीं, जो एक भारतीय नागरिक हैं, पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी और लोकसभा सदस्य हैं।’ अठावले ने कहा कि उन्होंने यूपीए के सत्ता में आने के बाद भी कहा था कि सोनिया गांधी के विदेशी मूल के मुद्दे को कोई मतलब नहीं है।
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