टीआरपी सरोकार: 'छत्तीसगढ़ में शराबबंदी' विभागीय सचिव गिनाते रहे राजस्व के फायदे, समाज प्रमुखों ने कहा.परंपरा तोड़ी भी जा सकती है,पूर्ण नहीं तो आंशिक शराबबंदी जरूरी

रायपुर। शराबबंदी को लेकर सरकार द्वारा गठित कमेटी की ओर से विभिन्न समाज के प्रमुखों की बैठक बुलाई गई। इस दौरान अधिकांश लोगों ने शराबबंदी का समर्थन तो किया मगर यह भी कहा कि पूर्ण शराबबंदी किया जाना संभव नहीं है, ऐसा करने से नशे का अवैध कारोबार शुरू हो जायेगा वहीं सरकार को बड़े राजस्व की हानि भी होगी।

बता दें कि कांग्रेस पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में छत्तीसगढ़ में पूर्ण शराबबंदी का वादा किया था, मगर इस पर अब तक अमल नहीं हो सका है। इस कड़ी में सरकार ने शराबबंदी को लेकर समीक्षा बैठकें जरूर शुरू की है। पिछले दिनों कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में विभिन्न राजनितिक दलों के प्रमुखों की राय जानी गई। इसकी अगली कड़ी में बुधवार को विभिन्न समाज के प्रमुख लोगों को आमंत्रित किया गया। बैठक की अध्यक्षता आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दास ने की।

विभागीय सचिव ने गिनाया शराब से राज्य को मिलने वाले राजस्व का फायदा

बैठक के दौरान आबकारी विभाग के सचिव निरंजन दस ने आंकड़ों के साथ बताया कि राज्य सरकार को शराब की बिक्री से कितनी आय हो रही है। उन्होंने बताया कि शराब से सरकार को होने वाले आय में कई गुना वृद्धि हुई है। उन्होंने केवल कोरोना कल का उदहारण देते हुए बताया कि इस दौरान शराब के राजस्व के रूप में 300 करोड़ रूपए की आय हुई। निरंजन दास ने यह भी बताया कि किन राज्यों ने शराब पर प्रतिबन्ध लगाया और उन्हें दोबारा शराब की बिक्री शुरू करनी पड़ी।

इन्होंने पूर्ण शराबबंदी का किया विरोध

इस बैठक में शामिल सिख समाज के प्रतिनिधि जसबीर सिंह घुमन ने कहा कि पूर्ण शराब बंदी का वे विरोध करते हैं। शराबबंदी की बजाय सरकार नियम कायदों का सख्ती से पालन कराये तो स्वयमेव शराब के सेवन की प्रवृत्ति काम हो जाएगी। जसबीर सिंह ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी करने की बजाय देशी शराब की बिक्री पूरी तरह बंद कर दी जाए, वहीं ग्रामीण इलाकों में शराब की दुकानें कम कर दी जाएँ, ऐसे में जो वर्ग सबसे ज्यादा शराब का सेवन करता है उनके बीच नशे की प्रवृत्ति कम होगी। वहीं सड़क पर नशे में वाहन चलाने वालों पर सख्ती से निपटा जाये तो इस पर काफी हद तक अंकुश लगेगा।

हमारे समाज में शराब हराम, मगर…

मुस्लिम समाज की ओर से इस बैठक में शामिल शेख नाजीमुद्दीन ने कहा कि हमारे समाज में शराब को हराम कहा गया है, मगर यह भी सच है कि समाज के कतिपय लोग शराब का सेवन करते हैं। उन्होंने बताया कि छत्तीसगढ़ में लगभग 75% आबादी आदिवासी बाहुल्य है, जिस समाज में शराब की मान्यता है, ऐसे में अगर शराब को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया जाये तो व्यवस्था गड़बड़ा जाएगी। उन्होंने यह राय दी कि आदिवासी बाहुल्य इलाकों को छोड़ कर बाकी जगहों पर शराबबंदी की जाय।

आदिवासी समाज के प्रतिनिधि ने कहा-परंपरा तोड़ी भी जा सकती हैं

बैठक में पहुंचे आदिवासी समाज के प्रतिनिधि ने कहा कि हर बार शराब की मान्यता को लेकर आदिवासी समाज का जिक्र किया जाता है, समाज में अगर इसकी मान्यता है तो इसे तोडा भी जा सकता है, हमारा समाज जागरूक हो रहा है। उन्होंने सुझाया कि आदिवासियों को शराब बनाने की जो छूट मिली है उसकी मात्रा घटाकर 02 लीटर कर देना चाहिए।

खोले जाएं नशामुक्ति केंद्र

छत्तीसगढ़ी अग्रवाल समाज के प्रतिनिधि ने सवाल उठाया कि अगर सरकार की मंशा शराबबंदी की है तो बताया जाये कि प्रदेश में कितने नशामुक्ति केंद्र सरकार चला रही है। इस पर अधिकारी बगलें झांकने लगे। प्रतिनिधि का सुझाव था कि शराब पर जो सेस लगाया जा रहा है उसका एक हिस्सा नशामुक्ति केन्द्रों के संचालन के लिए किया जाये।

अवैध शराब बेच रहे कोचियों पर लगे रोक

यादव समाज के प्रतिनिधि रमेश यदु ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी संभव नहीं है, इसकी बजाय प्रदेश भर में अवैध शराब बेच रहे कोचियों पर रोक लगा दिया जाये तो सरकार के राजस्व में बढ़ोत्तरी हो जाएगी।

महिला प्रतिनिधि ने किया पूर्ण शराबबंदी का समर्थन

इस बैठक में शामिल कलार समाज की महिला प्रतिनिधि पूर्ण शराबबंदी की मांग करती दिखी। उन्होंने शराब के चलते समाज में व्याप्त बुराइयों का जिक्र करते हुए कहा कि प्रदेश में शराब पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए।


शराबबंदी को लेकर आयोजित इस बैठक में अधिकांश लोगों ने सरकार को मिल रहे राजस्व का जिक्र किया और कहा कि पूरी तरह शराब पर रोक लगाना उचित नहीं होगा। इसके अलावा कुछ लोगों ने शराबबंदी से पूर्व पूरा अध्ययन करने पर जोर दिया।

गौरतलब है कि सरकार ने पूर्ण शराबबंदी के लिए राजनैतिक दलों और सामाजिक प्रमुखों की बैठक के बाद विभिन्न विभागों के प्रमुख लोगों की समीक्षा बैठक करने की रणनीति बनाई है। हालाँकि इससे पूर्व अधिकारियों, राजनैतिक दलों के प्रतिनिधियों का एक समूह उन राज्यों का अध्ययन करने जायेगा जहां पूर्ण शराबबंदी है और ऐसे राज्य भी जहाँ पूर्ण शराबबंदी के बाद फिर से शराब की बिक्री शुरू कर दी गई है।

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