मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने वन्यजीव बोर्डों के गठन को लेकर दोनों राज्य सरकारों से मांगा जवाब

रायपुर/भोपाल। मध्यप्रदेश एवं छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालयों ने वन्यजीव बोर्डों के गठन में नियमों का उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाने वाली याचिकाओं पर संबंधित राज्य सरकारों से जवाब तलब किया है। दोनों ही उच्च न्यायालय वन्यजीव कार्यकर्ता अजय दुबे की याचिकाओं पर सुनवाई कर रहे हैं। जबलपुर में मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय और बिलासपुर में छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में इस विषय पर सुनवाई चल रही है।

याचिका में कहा गया है कि वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 के तहत सभी राज्य सरकारों पर मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में राज्य वन्यजीव बोर्ड का गठन करने का दायित्व है, इस बोर्ड पर वन्यजीव एवं विनिर्दिष्ट पेड़-पौधों की सुरक्षा एवं संरक्षण के वास्ते सलाह देने की जिम्मेदारी होती है। राज्य सरकार द्वारा इस बोर्ड में अनुसूचित जाति के दो प्रतिनिधियों समेत मशहूर संरक्षणवादियों, पारिस्थितिकीविदों, पर्यावरणविदों को इसमें नामित करना होता है। राज्य सरकार पर बोर्ड को कानून के अनुसार अपना कामकाज चलाने के लिए नियम भी बनाने का जिम्मा होता है।

याचिका में अजय दुबे ने अगस्त, 2019 में दायर की थी।छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अपने आदेश में राज्य सरकार को जवाब दाखिल करने के लिए चार हफ्ते का समय दिया है। याचिका में यह भी कहा कि राज्य सरकारों को किसी भी राजनीतिक हित को पर्यावरण एवं वन्यजीव को प्रभावित नहीं करने देना चाहिए।

बता दें कि अजय दुबे की याचिका पर उच्चतम न्याालय ने 2012 में केंद्र को बाघ अभयारण्य क्षेत्रों में पर्यटन पर रोक लगाने के लिए दिशानिर्देश तैयार करने का निर्देश दिया था।

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