आदिवासियों के विरोध को दरकिनार कर केंद्र ने दी परसा के 841 हेक्टेयर वन भूमि में खनन की अनुमति

बिलासपुर। हसदेव नदी से लगे हुए जंगल को बचाने के लिए निकली हसदेव बचाओ पदयात्रा बिलासपुर से होते हुए रतनपुर पहुँची। पदयात्रा के बिलासपुर शहर में प्रवेश के दौरान जगह-जगह यात्रियों का स्वागत हुआ। सर्व आदिवासी समाज के विमल किशोर मरावी और उनकी टीम ने पदयात्रियों का स्वागत कर फल का वितरण किया। आम आदमी पार्टी के जिला अध्यक्ष प्रथमेश मिश्रा, अधिवक्ता प्रियंका शुकला, छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना के राजकुमार यादव, गोंडवाना स्टूडेंट यूनियन, भारतीय जनता पार्टी के सुशांत शुक्ला और उनके साथियों ने अलग-अलग स्थानों पर स्वागत कर एकजुटता प्रदर्शित की।

कैसे कटने दें अपने जंगल के पेड़ों को…

इस मौके पर बिलासपुर के सेंदरी में हुई सभा में महिला पदयात्रियों ने आदिवासी समुदायों के लिए जंगल के महत्व पर अपनी बात रखते हुए कहा कि जंगल में रहना, उसका रख-रखाव करना, ताकि हम सबका भी उस से जीवन यापन और गुजर बसर चलता रहे। ऐसे में हम कैसे अपने जंगलों को कटने और उजड़ने दें।

पदयात्रियों ने कहा कि कोयला खदानों के चलते हम अपना सब कुछ खो बैठेंगे। हम किसी भी कीमत पर अपने जंगल और जमीन को नहीं कटने देना चाहते। ये जंगल हमारी संपत्ति है, इसको नष्ट करके हम में से कोई भी कैसे संपन्न होगा।

राज्यपाल और मुख्यमंत्री से करेंगे मुलाकात

हसदेव अरण्य के समृद्ध वन क्षेत्र में कोयला खनन परियोजना निरस्त करने की मांग सहित अपने संवैधानिक और लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करने के लिए यह पदयात्रा लगातार सफर कर रही है। 13 अक्टूबर को पदयात्री राजधानी रायपुर पहुंच कर राज्यपाल और मुख्यमंत्री से मुलाकात करेंगे जल-जंगल-जमीन को बचाने के लिए गुहार लगाएंगे।

हसदेव अरण्य को लेकर गलतफहमी हुई है – अकबर

हसदेव बचाओ संघर्ष समिति का कहना है कि सरकार हसदेव के जंगल को बचाने के लिए कुछ नहीं कर रही है. दूसरी ओर से इस पूरे मामले में पर्यावरण एवं जलवायु मंत्री मो. अकबर ने कहा कि कुछ लोगों को गलतफहमी हुई है. उन्हें आशंका है कि लेमरू हाथी कॉरिडोर में कोल ब्लॉक को शामिल किया जा रहा है. जबकि ऐसा कुछ भी नहीं है. हाथी रिजर्व का दायरा सरकार ने जो पहले तय किया था, वही रहेगा।

उन्होंने बताया कि 1995 वर्ग किलोमीटर के लेमरू रिज़र्व के लिए जल्द नोटिफिकेशन जारी हो जाएगा। मंत्री ने यह भी कहा कि जो पदयात्री रायपुर पहुंच रहे हैं, उनका स्वागत है, अगर कोई प्रतिनिधि मंडल बात करने के लिए तैयार है, तो हम उनसे जरूर बात करेंगे।

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