जुलुस पर था प्रतिबंध, पर बच्चे कहां थे मानने वाले, प्रदेश भर में अनेक स्थानों पर धूमधाम से मनाया गया ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व
जुलुस पर था प्रतिबंध, पर बच्चे कहां थे मानने वाले, प्रदेश भर में अनेक स्थानों पर धूमधाम से मनाया गया ईद मिलाद-उन-नबी का पर्व

रायपुर। कोरोना प्रोटो कॉल के बहाने इस बार पूरे छत्तीसगढ़ में ईद मिलाद-उन-नबी के पर्व के मौके पर जुलूस निकालने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था, मगर बच्चो की जिद के आगे बड़े भी बेबस हो गए, राज्य के अनेक शहरों में तो बच्चों और युवाओं ने जुलूस निकाला, वहीं राजधानी रायपुर में प्रशासन के दिशा-निर्देश पर मुस्लिम समुदाय के लोगों ने अपने मोहल्लों में ही जुलूस के साथ जलसा का आयोजन किया।

हजरत मुहम्मद के पैदाइशी दिन को मुस्लिम समुदाय ईद मिलाद-उन-नबी के रूप में मनाता है, और इस मौके सभी स्थानों पर जोर-शोर से जुलूस निकाला जाता है मगर इस बार वक़्फ़ बोर्ड द्वारा कोरोना गाइड लाइन के नाम पर कलेक्टरों को लिखे गए पत्र को आधार बनाकर पूरे प्रदेश में इस मौके पर निकाले जाने वाले जुलूस पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया। हालांकि समुदाय के कुछ लोगों ने इस आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में भी वाद दायर किया, मगर कोर्ट ने इसे प्रशासन का अधिकार क्षेत्र बताते हुए हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। जिसके चलते लोगों की रही-सही उम्मीद भी चली गई।


जिलों में ईद मिलाद-उन-नबी के मौके पर जुलुस निकलने पर भले ही प्रतिबंध लगा दिया गया मगर अनेक स्थानों पर सुबह के वक्त विशेष तौर पर बच्चों ने जुलूस निकाला। दरअसल इस मौके का बच्चों को बेसब्री से इंतजार रहते है, ऐसे में बच्चो की जिद और उनके जज्बे के आगे किसकी चलती, इसलिए बड़ों ने बच्चों ने जुलूस का इंतजाम किया और मोहल्लों में उन्हें भ्रमण कराया। बिलासपुर के कोटा में बच्चों का यह नजारा देखने को मिला।

युवाओ की निकली बाइक रैली

प्रशासन ने ईद मिलाद-उन-नबी के मौके पर बाइक रैली पर भी रोक लगा दी थी, मगर कोरबा में बीते 15 दिनों से इस त्यौहार की तैयारी कर रहे युवाओं के संगठन मरकजी सीरत कमेटी ने पूरे शहर को लाइट और झालरों से सजाया और सुबह के वक्त बाइक रैली निकाली। इसमें सैकड़ो युवाओं ने हिस्सा लिया और पूरे शहर का भ्रमण किया। इसके अलावा अलग-अलग स्थानों पर जुलुस भी निकाला गया।

इसी कड़ी में राजधानी रायपुर में अलग-अलग मोहल्लों में मस्जिदों में जलसे के साथ ही छोटे-छोटे जुलूस निकाले गए। यहां फातिहा पढ़े गए और फिर सभी ने एक दूसरे को मुबारकबाद दी। प्रदेश के दूसरे शहरों में भी इसी तरह जुलूस के बिना ही मस्जिदों में त्यौहार की खुशियां मनाई गई।

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