उत्तर प्रदेश : प्रियंका का आगाज़ अच्छा, अंज़ाम बेहतर होगा ?
उत्तर प्रदेश : प्रियंका का आगाज़ अच्छा, अंज़ाम बेहतर होगा ?

-श्याम वेताल

उत्तर प्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन कैसा रहता है , यह तो भविष्य के गर्भ में है लेकिन यह तय है कि पार्टी पहले के चुनावों से बेहतर रहेगी। इसका मुख्य कारण पार्टी की महासचिव प्रियंका गांधी हैं। हाल के दिनों में उन्होंने अपनी जो सक्रियता दिखाई है उससे पार्टी कार्यकर्ताओं का आत्मविश्वास बढ़ा है। प्रियंका गांधी आम जनता तक पहुंचने का कोई मौका नहीं चूक रहीं हैं। हाल के दिनों में लखीमपुर खीरी का कांड हो या आगरा में सफाईकर्मी की मौत का मामला सबसे पहले पहुंचने वालों में प्रियंका ही रहीं। प्रियंका की इस तत्परता से सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी और विपक्षी दल सपा एवं बसपा में भी बेचैनी है।

इतना ही नहीं , चुनाव को देखते हुए प्रियंका ने जो घोषणा की है कि 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को दिए जाएंगे , अन्य विरोधी दलों के लिए जहाँ परेशानी का सबब है वहीं इस ऐलान से पार्टी के अंदर उत्साह की लहर है। अनुमान लगाया जा रहा है कि प्रियंका की इस घोषणा के पीछे वर्ष 2012 और 2017 के चुनावों में वोट डालने में महिलाओं की बढ़ चढ़ कर की गयी भागीदारी है। आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2012 में 60.28 प्रतिशत महिलाओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया जबकि उस वर्ष पुरुषों का प्रतिशत 58.68 ही रहा। इसी तरह वर्ष 2017 में पुरुषों के 59.14 फ़ीसदी के मुकाबले महिलाओं का प्रतिशत 63.30 रहा। हालाँकि , यह बात भी सही है कि कांग्रेस में पिछले कुछ महीनो से महिला नेत्रियों की उपेक्षा हुई है जिस कारण प्रियंका चतुर्वेदी और सुष्मिता देव जैसी धाकड़ नेत्रियों को पार्टी छोड़नी पड़ी है। उत्तर प्रदेश की दिग्गज नेत्री रीता बहुगुणा ने उपेक्षा से आहत होकर वर्ष 2016 में ही कांग्रेस छोड़ दी थी। सच्चाई यह भी है कि 2017 के चुनाव में कांग्रेस की सिर्फ दो महिलाएं ही चुनकर विधानसभा पहुंची थी। इस चुनाव में पार्टी ने 12 महिलाओं को टिकट दिया था। इसके मुकाबले भाजपा ने 46 ,सपा ने 34 और बसपा ने 21 सीटों पर महिला उम्मीदवार उतारे थे।

फिर भी , अब जबकि प्रियंका गांधी को उत्तर प्रदेश चुनाव की कमान सौंपी गयी है और उन्हें पार्टी के मुख्यमंत्री का चेहरा बनाने की कोशिश हो रही है तो तय है की उनके फैसलों को पार्टी अहमियत देगी। इसके अलावा , प्रियंका द्वारा दिया गया नारा ‘ लड़की हूं , लड़ सकती हूं ‘ भी चुनाव में कारगर साबित हो सकता है। इससे भी कहीं ज्यादा प्रियंका की वह घोषणा काम कर सकती है जिसमे कहा गया है कि कांग्रेस की सरकार आने पर राज्य में इंटर पास छात्राओं को स्मार्ट फोन और ग्रेजुएट को स्कूटी दी जाएगी। इस घोषणा से छात्राओं के वोट तो कांग्रेस को मिलने की संभावना प्रबल होती ही है साथ ही उनके अभिभावकों का भी आकर्षण पार्टी की ओर हो सकता है।

प्रियंका की सक्रियता और राजनीतिक सूझबूझ का मिश्रण हाल के दिनों में जो देखने को मिला है , निश्चित रूप से वह सराहनीय है। लखीमपुर खीरी कांड के दौरान बिना विचलित हुए गिरफ़्तारी देना और झाड़ू लगाना जैसे कई ऐसे वाकये हैं जो उन्हें अन्य नेत्रियों से अलग करता है और उनकी धीर – गंभीर छवि को उजागर करता है। खैर , यह आकलन अभी तक की स्थिति पर आधारित है। अभी चुनाव में चार – पांच महीनो की देर है। सत्तारूढ़ भाजपा के पास धनबल और मनुष्य बल प्रचुर मात्रा में है। उनके पास अच्छे चुनावी रणनीतिकार भी हैं जो किसी भी समय बाज़ी पलटने का माद्दा रखते हैं। इसके अलावा कई चुनाव जीतने वाली पार्टियां सपा और बसपा भी हैं जो उत्तरप्रदेश के वोटरों की नब्ज पहचानते हैं। उन सब के मुक़ाबले में प्रियंका का चुनावी अनुभव बहुत कम है। अतः कांग्रेस को बेहतर प्रदर्शन करना है तो प्रियंका की मदद के लिए सभी वरिष्ठ एवं अनुभवी कांग्रेस नेताओं को मैदान में उतरना होगा तभी चुनावी वैतरणी को पार किया जा सकता है।

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