राम से हमारा रिश्ता मामा-भाँजा का, हमारे यहाँ धान की नपाई के दौरान काठा में गिनती की शुरुआत राम से होती- सीएम बघेल

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने किसान सम्मेलन में राज्य भर से आये किसानों को संबोधित किया। उन्होंने संबोधन में कहा कि छत्तीसगढ़ में बीते तीन साल में रक़बा भी बढ़ा और किसानों की संख्या भी बढ़ी है। दरअसल ऐसा इसलिए हो पाया है क्योंकि अब किसानों को यह विश्वास हो गया है कि उनके लिए किसानी भी फायदेमंद है।

हमने हमारी परंपरा को हमने अर्थ से जोड़ा। आज छत्तीसगढ़ में चरवाहा की आय किसी नौकरी पेशा से अधिक हो गई है। हमारी प्राचीन परम्परा को लेकर हम संकोच न करें उन्हें हम आगे बढ़ाए। हमने छत्तीसगढ़ में लोगों को अपनी परम्परा और संस्कृति से फिर से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। अब लोग यहाँ गौरवान्वित महसूस करते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने कचरा इकट्ठा करने को भी अर्थ से जोड़ा। अब यहाँ कचरा इकट्ठा करने वालों को रोज़गार मिला है तो साथ ही कचरा प्रबंधन में मदद मिल रही है। इसीलिए छत्तीसगढ़ ने लगातार तीसरी बार स्वच्छतम प्रदेश का अवार्ड लिया।

राम से हमारा रिश्ता मामा-भाँजा का

हमारे यहाँ धान की नपाई के दौरान काठा में गिनती की शुरुआत राम से होती है। हमारी दिनचर्या के हिस्से में भी राम बसे हैं। हम सिर्फ़ अपनी परम्परा से जुड़े रहने का प्रयास कर रहे हैं। इसमें अलग से कुछ करने जैसा कुछ नहीं है। चाहे वो छेरछेरा हो, पुन्नी हो या तीजा-पोरा, इन सभी त्योहारों से भावना जुड़ी है और यहाँ इन त्योहारों में गौरव का भाव है।

कोरोना काल में भी उद्योग चलते रहें यह प्रयास हमने किया। उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए इस सरकार ने हमने जितना काम किया किसी और सरकार ने नहीं किया। गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ सबको साथ में लेकर चलने का नारा है। सभी को लगना चाहिए कि छत्तीसगढ़ हमारा है। समावेशी विकास को लेकर हम चल रहे हैं।

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़

गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ सबको साथ में लेकर चलने का नारा है। सभी को लगना चाहिए कि छत्तीसगढ़ हमारा है. समावेशी विकास को लेकर हम चल रहे हैं यही है हमारा “गढ़बो नवा छत्तीसगढ़”। बात है स्वाभिमान के-छत्तीसगढ़ के अभिमान के।

आज जितनी भी महंगाई बढ़ी है उसके पीछे बड़ा कारण ट्रांसपोर्टेशन है। फ़ैक्ट्री में जो माल का उत्पादन होता है उसका दाम फ़ैक्ट्री मालिक तय करता है। उसकी पैकिंग में लिखा होता है MRP। लेकिन किसान ही ऐसा शख़्स है जो अपने उत्पादन का रेट तय नहीं कर पाता। उन्होंने आगे कहा कि गाँधी जी स्वावलंबन की बात किया करते थे। आत्मनिर्भर सिर्फ़ एक व्यक्ति हो सकता है लेकिन स्वावलंबन पूरे समूह के लिए होता है। हमने सुराजी ग्राम योजना के जरिए गाँव, गरीब और किसानों के लिए स्वावलंबन का काम किया है।

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