राजयपाल ने साल भर बाद लौटाया मंडी संशोधन बिल, कांग्रेस ने बताया दुर्भाग्यजनक तो कृषि मंत्री ने कहा - जरुरी हुआ तो दोबारा भेजेंगे विधेयक
राजयपाल ने साल भर बाद लौटाया मंडी संशोधन बिल, कांग्रेस ने बताया दुर्भाग्यजनक तो कृषि मंत्री ने कहा - जरुरी हुआ तो दोबारा भेजेंगे विधेयक

रायपुर। केंद्र सरकार द्वारा साल भर पूर्व पारित किये गए 3 कृषि बिल के प्रभाव को कम करने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार द्वारा विशेष सत्र बुलाकर पारित किये गए मंडी संशोधन विधेयक को राजयपाल ने वापस लौटा दिया है। इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने विधेयक लौटाने को दुर्भायजनक कहा, वही कृषि मंत्री रविंद्र चौबे का कहना है कि इस मुद्दे पर चर्चा के बाद जरुरी हुआ तो संशोधन के बाद विधेयक को दोबारा राजयपाल के पास भेजा जायेगा।

पिछले साल पारित हुआ था विधेयक

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक – 2020 को सरकार ने साल भर पहले पारित करते हुए इसे राजयपाल अनुसुइया उइके के पास अनुमोदन के लिए भेजा था, मगर राजयपाल ने अब तक विधेयक को अपने पास रखने के बाद सरकार के पास वापस लौटा दिया है। इसके बाद यह विधेयक राजनितिक गलियारे में फिर से चर्चा का विषय बन गया है।

जनादेश का होना चाहिए सम्मान – कांग्रेस

कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर अपना पक्ष रखते हुए कहा है कि तीन चौथाई बहुमत वाली सरकार ने राज्य के किसानों के हित में विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर विधायकों के समर्थन से विधानसभा में पारित कर मंडी संशोधन बिल राज्यपाल को भेजा था। इस बिल को अस्वीकार करना अनुचित है।
प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि राज्य की जनता ने कांग्रेस को सरकार चलाने का जनादेश दिया है। सरकार के द्वारा विधानसभा में पारित कराये गये विधेयक को इस तरह वापस किया जाना जनादेश के भावनाओं के विपरीत है। विधेयक को अध्ययन के नाम पर 1 साल तक रोके जाने का औचित्य क्या था? और केंद्र सरकार के द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिये जाने के बाद राज्यपाल द्वारा विधेयक वापस लिया जाना क्या महज संयोग है? राजभवन दल विशेष के एजेंडे का पैरोकार है ऐसा संदेश जनता में नहीं जाना चाहिये। इससे संवैधानिक पद की मर्यादायें आहत होती है।

पिछले दरवाजे से अड़ंगेबाजी कर रही है भाजपा

प्रदेश कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा है कि भारतीय जनता पार्टी राजनैतिक दल के रूप में छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी का मुकाबला कर पाने में असफल साबित हुई है। इसलिये वह अब पिछले दरवाजे से सरकार के कार्यों में अडंगेबाजी कर रही है। कभी केंद्र सरकार राज्य सरकार के कार्यों में अवरोध पैदा करती है, कभी केंद्रीय मंत्री तो संवैधानिक पदों पर बैठे लोगों को जिस ढंग से बरगलाया जा रहा, उससे प्रजातंत्र की मर्यादायें टूट रही है।

केंद्र के कृषि कानूनों के प्रभाव को रोकने का था प्रयास – चौबे

इस मुद्दे पर कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने कहा है कि पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा पारित किये गए 3 कथित काले कानूनों के प्रभाव से छत्तीसगढ़ के किसानो को बचाने के लिए हमारी सरकार ने कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक पारित करके राजयपाल के पास भेजा था, मगर साल भर तक इसके अध्ययन के बाद उन्होंने इसे वापस कर दिया। चूँकि प्रधानमंत्री ने देश से माफ़ी मांगते हुए तीनो कानूनों को वापस ले लिया है। ऐसे में अगर फिर से जरुरत होगी या फिर कोई संशोधन करना होगा तो किसानो के हित में विचार विमर्श करके विधेयक को वापस भेजा जायेगा।

मंडी संशोधन विधेयक – 2020 में क्या हैं प्रावधान..?

दरअसल केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों में व्यापारी को यह छूट दे दी गई थी कि वह कहीं भी अपना निजी मंडी स्थापित कर सकेगा, और किसान से कहीं भी जाकर उसकी उपज खरीद सकेगा। राज्य सरकार ने इससे किसानो को नुकसान होने की आशंका जताते हुए छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी संशोधन विधेयक – 2020 को पारित किया। देखें इस विधेयक के प्रावधान जिसे राज्यपाल ने ऐसे समय में वापस किया जब केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को संसद में विधिवत ढंग से वापस ले लिया :

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