विद्युत् मंडल में अधिकारियों की लापरवाही के चलते 6 वर्षों में 7 करोड़ 10 लाख रूपये का हुआ गबन, FIR की कार्रवाई अब भी है लंबित
विद्युत् मंडल में अधिकारियों की लापरवाही के चलते 6 वर्षों में 7 करोड़ 10 लाख रूपये का हुआ गबन, FIR की कार्रवाई अब भी है लंबित

रायपुर। छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत् मंडल की वितरण कंपनी में बिजली उपभोक्ताओं के माध्यम से हर रोज लाखों रूपये जमा होते हैं, इस रकम को विभाग के खाते में जमा करने की बजाय अधिकारियों कर्मचारियों द्वारा गबन कर लिया गया। अब तक 4 जिलों में इस तरह की गड़बड़ी पकड़ में आयी, जिसमे 50 से अधिक अधिकारियों-कर्मचारियों की संलिप्तता पायी गई। इनमे विभागीय कार्रवाई के अलावा कई के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज करने के लिए आवेदन भी दिया गया मगर जाँच के नाम पर कार्रवाई अब भी लटकी हुई है।

सरकार ने विधानसभा में दी है जानकारी

CSEB में हुए बिजली बिल घोटाले के संबंध में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया है कि विगत 2017 से 2021 के बीच बिलासपुर, जांजगीर, सरगुजा और राजनांदगांव जिलों में गड़बड़ी पाई गई। इन जिलों में हुए 7 प्रकरणों में 7 करोड़ 10 लाख 84 हजार रूपये का गबन पाया गया। इन मामलों में लिप्त 50 से भी अधिक लोगो के खिलाफ विभागीय जांच के बाद कुछ का निलंबन तो कुछ के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करते हुए तबादले भी किए गए। वहीं अनेक अधिकारियों -कर्मचारियों के खिलाफ FIR के लिए पुलिस को पत्र लिखा गया है, मगर पुलिस द्वारा जांच के नाम पर मामलो को लंबित रखा गया है।

4.74 करोड़ रूपये सुरक्षित

CSEB में उजागर हुए 7 करोड़ 10 लाख के गबन के मामले में सरकार ने जानकारी दी है कि इनमे से 4 करोड़ 74 लाख रूपये सुरक्षित कर लिए गए हैं। माना जा रहा है कि इस रकम को गबन करने वाले अधिकारियों -कर्मचारियों से वसूल कर एकत्र किया गया है।

बिलासपुर जिले में सबसे ज्यादा हुई गड़बड़ी

सरकार द्वारा घोटाले को लेकर प्रस्तुत आंकड़ों पर नजर डालें तो सबसे ज्यादा रुपयों का गबन बिलासपुर जिले में हुआ है। यहां के नेहरू नगर जोन में 1 करोड़ 90 लाख रु, मस्तूरी में 3 करोड़ 6 लाख रु, मल्हार जोन में 71 लाख रु, पचपेड़ी जोन में 4 लाख 52 हजार रु और तिफरा जोन में 33 लाख 72 हजार रु का गबन उजागर हुआ। इन मामलों में डेढ़ दर्जन अधिकारियों -कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है।

घोटाले में बैंक कर्मी भी शामिल

जांजगीर जिले के शिवरीनारायण में उजागर हुए 2 करोड़ 36 लाख के घोटाले का खुलासा तब हुआ जब यहां कार्यपालन यंत्री चंद्रभान सिंह राठौर को सूचना मिली कि कर्मचारी कैलाश साहू ने बिजली बिल की वसूल की गई रकम को स्टेट बैंक के खाते में जमा नहीं कराया है। राठौर ने खुद बैंक में जाकर वस्तुस्थिति की जानकारी ली और पुष्टि होने पर रायगढ़ स्थित मुख्यालय में जाकर रिकॉर्ड का पता लगाया। तब जाकर खुलासा हुआ कि बैंक में 2 करोड़ 36 लाख रु जमा ही नहीं कराये गए हैं। इस मामले में कर्मचारी कैलाश साहू के अलावा दो महिला बैंक कर्मियों सोनम मिरि और सोनम मुर्मू की भी संलिप्तता पाई गई है। इस मामले में कार्यपालन यंत्री चंद्रभान सिंह राठौर ने तीनों के खिलाफ पुलिस में FIR दर्ज कराया है।

सौभाग्य योजना की आड़ में करोड़ों की हेराफेरी

सरगुजा जिले में हाल ही में यह घोटाला सामने आया, जिसमे बड़े ही शातिराना अंदाज में रुपयों की अफरा-तफरी की गई। इसमें उपभोक्ताओं से जमा कराये गए बिजली बिल की रकम का गबन कर लिया गया, और इस रकम का सौभाग्य योजना के तहत विद्युतीकरण और पम्प कनेक्शन में दी जाने वाली छूट से एडजस्टमेंट कर लिया गया। यहां कुल 3 करोड़ 6 लाख रूपये की हेराफेरी सामने आयी, जिसके बाद सबसे पहले यहां के मुख्य अभियंता डी एस भगत और अतिरिक्त मुख्य अभियंता आवेदन कुजूर का तबादला कर दिया गया। इस मामले में एक सहायक यंत्री सहित चार कर्मियों को दोषी पाया गया है।

दूसरे जिलों में भी हो रही है ऑडिट

करोड़ों रुपयों की अफरा-तफरी का मामला उजागर होने के बाद मंडल मुख्यालय से लगभग सभी जिलों में इंटरनल ऑडिट के आदेश दे दिए गए हैं। कोरबा सहित अन्य कई जिलों में ऑडिटर भेजकर वित्तीय जाँच कराई जा रही है। उम्मीद की जा रही है कि अभी और भी घोटाले सामने आएंगे, बशर्तें जाँच निष्पक्षता से हो।

मीटर घोटाला हो सकता है उजागर

CSEB में मीटर घोटाला, पैसे कमाने का सबसे अच्छा माध्यम बन गया है। इसमें अधिकारियों द्वारा की गई छापेमारी के बाद जब उपभोक्ताओं पर लाखों की पेनाल्टी लगाई जाती है तब वसूली की बजाय स्थानीय अधिकारियों द्वारा मीटर को ख़राब बताकर तत्काल बदल दिया जाता और उपभोक्ता से एडजस्टमेंट के नाम पर पेनाल्टी को कम करके अपनी जेब में रख लिया जाता है। ऐसा करके जिलों में अधिकारियों द्वारा करोड़ों रुपयों के राजस्व की अफरा-तफरी कर ली गई।

बचा लिया गया बड़े अधिकारियों को

करोड़ों रुपयों के इन घोटालों पर नजर डालें तो इनमे विभाग द्वारा छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों पर ही गाज गिराई गई और बड़े अधिकारियों को छोड़ दिया गया, जबकि इनमें अधिकारियों की संलिप्तता साफ़ नजर आती है। दरअसल बिजली कार्यालयों में कमाई के सारे हथकंडे अधिकारियों को पता होते हैं और उनके संरक्षण में ही सारी गड़बड़ियां होती हैं, मगर जब मामला उजागर होता है, तब छोटे अधिकारियों-कर्मचारियों को फांस दिया जाता है। इस तरह की गड़बड़ियों के पीछे अधिकारियों की पूरी लापरवाही भी होती है मगर अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर उन्हें बख्श दिया जाता है।

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