आनंदमूर्ति के जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत आयोजित हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी, छात्राओं ने दी प्रभात संगीत की प्रस्तुति
आनंदमूर्ति के जन्म शताब्दी समारोह के अंतर्गत आयोजित हुआ राष्ट्रीय संगोष्ठी, छात्राओं ने दी प्रभात संगीत की प्रस्तुति

रायपुर। महान आध्यात्मिक गुरु और दार्शनिक-विचारक आनंदमूर्ति जी की जन्म शताब्दी वर्ष के अंतर्गत राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बाबा के छत्तीसगढ़ प्रवास के 60 वी धरोहर दिवस पर प्रथम सत्र समाज में प्रगतिशील विचारों का समन्वय विषय पर आनंद मार्ग के पुरोधा आचार्य वंदनानंद अवधूत, आचार्य अनिमेषानंद, आचार्य ज्योतिप्रकाशानंद अऔर अवधूतिका आनंदरत्नदीपा आचार्या ने विचार रखे।

दूसरे सत्र में युवा छत्तीसगढ़ की चुनौतियां और समाधान विषय की अध्यक्षता प्रदीप शर्मा सुप्रतिष्ठित कृषि विशेषज्ञ, मुख्य वक्ता सुश्री मंजीत कौर बल पर्यावरण एवं महिला अधिकार कार्यकर्ता और शुभ्रांशु चौधरी वरिष्ठ पत्रकार एवं नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रहे।

आचार्य वंदनानंद जी ने बाबा के प्रगतिशील विचार दर्शन एवं नव्य मानवतावाद की संकल्पना को विश्व समाज की अमूल्य देन कहा। प्रकृति में मनुष्य और सभी समान हैं तो सामाजिक भेदभाव क्यों? हमारे मन में भाषा ,धर्म ,समुदाय जाति, को लेकर जो गाठे हैं उसे सभी को खोलना होगा। मनुष्य का मानव धर्म और समाज एक समान है। धर्म-समाज के समन्वय से भारत का नव निर्माण होगा।

अवधूत ने कहा आनंदमूर्ति जी ने पहली बार धार्मिक, सामाजिक, राजनीति और आर्थिक दर्शन का सुंदर समन्वय दिया। तारक ब्रह्म की संकल्पना और सुंदर व्याख्या देने वाला आनंद मार्ग दर्शन है।

आचार्य अनिमेषानंद जी ने समाज को उन्नति के शिखर पर ले जाने लोगों को एकजुटता का आह्वान किया, साधना और परिवेश से समाज को जोड़कर क्षमता और विश्व बंधुत्व के लिए कार्य करने की बात कही। आचार्य ज्योतिप्रकाशानंद ने बताया कि आनंदमूर्ति जी ने कहा है कि सारे लोग जब नैतिकता को लेकर चरम लक्ष्य तक पहुंचने का प्रयास करें तो यह समाज है। धर्म और जाति के आधार पर मानव समाज विभाजित नहीं होता। मनुष्य की शारीरिक मानसिक और आध्यात्मिक उन्नति का चरम निर्देश प्रगतिशील समाज है। बाबा कहते हैं कि मानवता के प्रति सच्ची सहानुभूति समाज सेवा के लिए पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

युवा छत्तीसगढ़ की चुनौतियों और उनके व्यापक समाधान के लिए आयोजित सत्र में समाजसेवी मनजीत कौर बल ने कहा कि आज हर युवा समाज के लिए कुछ करना चाहता है लेकिन उसके मन में दुविधा है वह कैसे और कहा कार्य करें। मेरा मानना है कि हम हम आगे बड़े लोगों की समस्याओं को हल करते रहे धीरे-धीरे हमें आत्मविश्वास प्रबल होता जाएगा और हमें समाज देश और अंतरराष्ट्रीय समस्याओं से जूझने की शक्ति मिलेगी। आज युवाओ की सबसे बड़ी समस्या है कि सही समय पर सही गुरु का मार्गदर्शन नहीं मिल पाता प्रगतिशील समाज रचना की जगह युवाओं को भौतिक पैकेजों में परिवारों द्वारा धकेला जा रहा है।

अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के पत्रकार और बस्तर में कार्यरत शुभ्रांशु चौधरी ने कहा कि हम एक ऐसे समाज और समय में हैं जहां विध्वंस की चुनौतियों का सामना मानवीय मूल्यों और प्रगतिशील समाज की अवधारणा से करना है। बस्तर के विशेष संदर्भ में कहूँ तो गिद्ध और पुलिस मुझे याद आते हैं । एक तरफ़ सरकारी मिलिटरी और पुलिस है तो दूसरी तरफ़ दुनिया को अपनी क्रांति से बदलने का दावा करने वाले माओवादी फ़ोर्स है । बस्तर का युवा भाग रहा है । क्योंकि उसके हाथ में हर कोई बंदूक़ थमाना चाहता है वे पलायन कर तेलंगाना और आंध्र के सीमावर्ती ज़िलों में काम कर रहे हैं उन्हें नये अनुभव हो रहे हैं। वो इंटरप्नोरशिप में आगे बढ़ना चाहते हैं। उन्हें सामुदायिक लोन भी चाहिए। बहरहाल युवाओं को शुचिता से लोगों के दर्द में मरहम लगाना चाहिए ।

कृषि विशेषज्ञ प्रदीप शर्मा ने कहा कि छत्तीसगढ़ राज्य के 21 वर्ष हो गए हैं मेरा मानना है कि समाज का बिहाव नैतिकता के साथ करना चाहिए। रेनांस यूनिवर्सल के लेक्चर में, परमपिता बाबा ने एक कॉमन बात हर जगह कहीं है कि नैतिक लोगों को इकट्ठा करो। हिंदुस्तान में पाए जाने वाले अधिकांश फोक आर्ट की जड़े छत्तीसगढ़ में है, विश्व के सबसे 3 प्राचीन जातियों में से एक छत्तीसगढ़ के ध्रुवा गोंड है। जो प्रकृति के पाँच तत्वों को पूजते है।
बाबा 18 दिसंबर 1961 में प्रथम बार छत्तीसगढ़ पधारे थे आज ही की के पुण्यतिथि में गुरु तेग बहादुर ने धर्म मानने के अपने अधिकारों की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति दी। आज ही नवजागरण के महान संत गुरु घासीदास जी का छत्तीसगढ़ की पावन भूमि पर हुआ था।

आनंद मार्ग स्कूल धनेली की छात्राओं ने प्रभात संगीत की प्रस्तुति दी। अतिथियों का स्वागत चंद्रशेखर चंद्राकर, रेनांसांं यूनिवर्सल के चेयरमैन डॉक्टर सत्यजीत साहू और सिद्धार्थ देव ने की। इस अवसर पर प्रातः 3 घंटे का अखंड कीर्तन भी किया गया।

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