TRP Special Story : दिनेश मोंगिया इन दिनों फिर से काफी सुर्खियों में बने हुए हैं। कारण यह है कि उन्होंने कल मंगलवार (28/12/2021) को ही भाजपा की सदस्यता लेते हुए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। उनके पहले भी क्रिकेट के कई सितारे राजनीति में अपना भाग्य आजमा चुके हैं। इनमें कई तो राजनीति में भी चमकते सितारे बने हुए हैं।

भारत में क्रिकेट खिलाड़ियों का राजनीति से संबंध काफी पुराना है। भारत में कई क्रिकेट खिलाड़ी क्रिकेट मैदान के बाद राजनीतिक पारी भी खेल चुके हैं और कुछ तो अभी भी खेल रहे हैं। इनमें गौतम गंभीर और नवजोत सिंह सिद्धू का नाम हमेशा चर्चा में बना रहता है। आईये देखते हैं भारत के कुछ ऐसे ही क्रिकेटरों को जिन्होंने राजनीति में भी अच्छी पारी खेली है:-
- गौतम गंभीर – क्रिकेटर गौतम गंभीर ने मार्च 2019 में भाजपा में शामिल होते हुए अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। भजपा में शामिल होते हुए उन्होंने कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से काफी प्रभावित थे। पिछले विधानसभा चुनाव में वे दिल्ली से भाजपा का एक बड़ा चेहरा रहे। उसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में पूर्व दिल्ली लोकसभा से जीत दर्ज कर वे लोकसभा के सदस्य के निर्वाचित हुए। पूर्व सलामी बल्लेबाज ने 2011 विश्व कप में भारत की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

- नवजोत सिंह सिद्धू – नवजोत सिंह सिद्धू का राजनीतिक करीयर उनके क्रिकेट करियर से ज्यादा चमकदार रहा। राजनीति की शुरुआत तो उन्होंने भी भाजपा में शामिल होकर ही की पर बाद में आम आदमी पार्टी और वहाँ से कांग्रेस में उन्होंने अपना मुकाम हासिल किया। पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू वर्तमान में पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। इससे पहले वे पंजाब सरकार में पर्यटन और संस्कृति मंत्री रह चुके हैं।

- कीर्ति आजाद – भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी कीर्ति आजाद के पिता भागवत झा आज़ाद बिहार के मुख्यमंत्री रहे। कीर्ति ने BJP से चुनाव लड़ते हुए बिहार की दरभंगा लोकसभा सीट से तीन बार जीत हासिल की। बाद में वह कांग्रेस में शामिल हो गए और 2021 में उन्होंने अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस का दामन थाम लिया है। कीर्ति आजाद 1983 में विश्व कप विजेता भारतीय टीम का हिस्सा थे।

- अशोक डिंडा – अशोक भीमचंद्र डिंडा ने 2009 में श्रीलंका के विरूद्ध T20 मुकाबले से अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में डेब्यु किया और जल्द ही भारत के एक दमदार गेंदबाज के रुप में खुद की पहचान बनाई। डिंडा ने 2021 विधानसभा चुनाव में पश्चिम बंगाल के मोयना विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के प्रत्याशी के रूप में चुनाव जीता। 30 मार्च 2021 को जब वह चुनाव प्रचार के आखिरी दिन प्रचार से लौट रहे थे, तो उन पर टीएमसी पार्टी के समर्थकों के द्वारा हमला भी किया गया था।

- मोहम्मद अजहरुद्दीन – भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और सलामी बल्लेबाज मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 2009 में कांग्रेस में शामिल होने साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरुआत की। अजहर 2009 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद से चुनाव जीतकर सांसद बने। अजहरुद्दीन ने 1990 के दशक में 47 टेस्ट मैचों में भारतीय टीम की कप्तानी की।

- चेतन चौहान – क्रिकेटर सुनील गावस्कर के साथ अपनी सलामी ओपनिंग साझेदारी के लिए प्रसिद्ध चेतन चौहान का भी राजनीतिक करियर चमकदार रहा। चेतन उत्तर प्रदेश के अमरोहा निर्वाचन क्षेत्र से दो बार सांसद रह चुके हैं। उत्तर प्रदेश 2017 विधानसभा चुनाव में भी उन्होंने नौगाँवा सादात विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज की। 16 अगस्त 2020 में उन्होंने विधायक रहते हुए दुनिया को अलविदा कह दिया। इस दौरान चेतन योगी आदित्यनाथ सरकार में सैनिक कल्याण, होमगार्ड, पीआरडी और नागरिक सुरक्षा के विभागों को संभाल रहे थे।

- मोहम्मद कैफ – भारतीय क्रिकेट के इतिहास में सबसे अच्छे फिल्डरों के रुप में पहचान बनाने वाले मोहम्मद कैफ ने कांग्रेस का हाथ थाम राजनीति के मैदान में कदम रखा। 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के फूलपुर से उन्होंने चुनाव लड़ा लेकिन उत्तर प्रदेश के वर्तमान उप मुख्यमंत्री ने चुनावी मैदान में कैफ को बोल्ड कर दिया। कैफ ने भारतीय टीम से 2000 से 2006 के बीच 125 वनडे और 13 टेस्ट खेले हैं।

- विनोद कांबली – भारत के पूर्व टेस्ट बल्लेबाज विनोद कांबली ने स्थानीय राजनीति में हाथ आजमाया। वे महाराष्ट्र के क्षेत्रीय दल लोक भारती पार्टी में शामिल हुए लेकिन 2009 में विक्रोली, मुंबई से विधानसभा चुनाव हार गए। कांबली 1000 टेस्ट रन पूरे करने वाले सबसे तेज भारतीय खिलाड़ी थे।

- लक्ष्मण शिवरामकृष्णन – भारतीय टीम से गेंदबाज के रुप में डेब्यु करने वाले लक्ष्मण ने 2020 में भाजपा का दामन थामा था। लक्ष्मण ने भारतीय टीम के लिए 9 टेस्ट मैच और 16 वन डे खेले थे। 20 साल तक खिलाड़ी रहने के बाद लगभग 20 साल तक लक्ष्मण ने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अपनी आवाज़ भी दी। वे क्रिकेट की अंग्रेजी कामेंट्री के क्षेत्र में जाने माने नाम हैं।

- मंसूर अली खान पटौदी – भारतीय क्रिकेट टीम के शुरुआती दौर में टीम के कप्तान मंसूर अली खान पटौदी राजनीति में शामिल होने वाले पहले क्रिकेटरों में से थे। नवाब दो बार लोकसभा चुनाव लड़े और दोनो बार उन्होंने हार का स्वाद चखा। दो बार लोकसभा चुनाव में हार के बाद, पटौदी ने राजनीति से दूरी बना ली।

IPL के इन सितारों ने बदली राजनीति की ग्रह दशा
- तेजस्वी यादव – लालू प्रसाद यादव के पुत्र और RJD के अध्यक्ष तेजस्वी यादव के बारे में बहुत से लोग ये बात नहीं जानते की इनकी पहली रूचि राजनीति नहीं बल्कि क्रिकेट थी। उन्होंने पहले क्रिकेट में अपने पैशन को फॉलो किया और उसके बाद राजनीति में शामिल हुए। तेजस्वी यादव 2008 से लेकर 2012 तक IPL की प्रसिद्ध टीम दिल्ली डेयरडेविल्स का हिस्सा रहे। हालाँकि इस दौरान उन्हें कभी मैच खेलने का मौका नहीं मिला।

- लक्ष्मी रतन शुक्ला – IPL में आलराउंडर के तौर पर अपना जलवा बिखेरने के बाद लक्ष्मी रतन शुक्ला ने पालिटिक्स में भी पैर रखे। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव 2016 में TMC के चेहरे तौर पर चुनाव लड़कर हावड़ा उत्तर विधानसभा में जीत दर्ज की। इस दौरान उन्होंने राज्य मंत्री के तौर पर युवा एवं खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी भी सम्भाली। IPL में लक्ष्मी रतन शुक्ला 2008 से 2013 तक कोलकाता नाइट राइडर्स, 2014 में दिल्ली डेयरडेविल्स और 2015 में सनराइजर्स हैदराबाद की ओर से खेल चुके हैं।

- मनोज तिवारी – IPL खिलाड़ियों और पश्चिम बंगाल की राजनीति का रिश्ता बहुत गहरा है। पूर्व IPL खिलाड़ी लक्ष्मी रतन शुक्ला के मंत्री पद भार को उनके बाद आगे बढ़ाने वाले राजनेता भी IPL खिलाड़ी ही हैं। मनोज तिवारी ने 2021 में हुए पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में शिबपुर विधानसभा से जीत दर्ज की और अभी वे राज्य मंत्री के तौर पर युवा एवं खेल मंत्रालय की जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं। IPL में मनोज तिवारी कोलकाता नाइट राइडर्स, दिल्ली डेयरडेविल्स, राइजिंग पूणे सुपरजाइंट्स और किंग्स इलेवन पंजाब से खेल चुके हैं।

सरहद के पार क्रिकेटर की सरकार
भारत-पाकिस्तान सरहद के उस पार भी क्रिकेट का राजनीति से संबंध काफी मजबूत है। पाकिस्तान में तो प्रधानमंत्री इमरान खान ही पूर्व क्रिकेटर हैं। इमरान खान की तरह राजनीति में किसी ने सफलता का स्वाद नहीं चखा है। इमरान खान क्रिकेट में बेहतरीन ऑलराउंडरों में से एक हैं। कभी पाकिस्तान के पोस्टर बॉय रहे इमरान खान ने 88 टेस्ट और 175 एकदिवसीय मैचों में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने 1992 में पाकिस्तान को पहली बार विश्वकप में भी जीत दिलाई। क्रिकेट से संन्यास लेने के बाद इमरान खान ने 1996 में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ नाम से एक राजनीतिक दल की स्थापना की। 22 वर्षों के निरंतर संघर्ष के बाद उन्होंने आखिरकार 2018 में आम चुनाव जीता और पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बने।

इमरान खान के अलावा पाकिस्तान के क्रिकेटर आमिर सोहेल ने भी पाकिस्तान की राजनीति में झंडे गाड़े हैँ। वे अपने आक्रामक बल्लेबाजी कौशल के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने पाकिस्तान के लिए 156 एकदिवसीय और 47 टेस्ट खेले। सोहेल ने राजनीति में प्रवेश करने से पहले पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के लिए मुख्य चयनकर्ता के रूप में कार्य किया। बाद में वह समाज में बदलाव लाने के विश्वास के साथ पाकिस्तान के पूर्व पीएम नवाज शरीफ की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग में शामिल हो गए।

श्रीलंका के खिलाड़ी भी राजनीतिक जमीन पर रख चुके हैं पैर
1996 में अपनी कप्तानी में श्रीलंका टीम को विश्व चैम्पियन बनाने वाले दिग्गज क्रिकेटर अर्जुन रणतुंगा ने क्रिकेट के बाद राजनीति में अपने पैर जमाए। उन्होंने चंद्रिका कुमारतुंगा के नेतृत्व वाली श्रीलंका फ्रीडम पार्टी में शामिल होकर राजनीति में प्रवेश किया। 2010 में रणतुंगा सरथ फोन्सेका के नेतृत्व वाली डेमोक्रेटिक पार्टी में शामिल हो गए, और उन्हें डेमोक्रेटिक पार्टी का उपनेता बनाया गया। अर्जुन रणतुंगा ने 2005 से 2019 तक 4 अलग अलग मंत्रालयों की जिम्मेदारी सम्भाली। उन्होंने 18 साल की उम्र में श्रीलंका के पहले टेस्ट में डेब्यू किया था और अपने देश के लिए टेस्ट में अर्धशतक जड़ने वाले पहले बल्लेबाज बने थे।

रणतुंगा के अलावा श्रीलंका के सनत जयसूर्या भी राजनीति में हाथ आजमा चुके हैं।
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