रायपुर : राजधानी के साइंस कॉलेज मैदान में लगी छत्तीसगढ़ सरकार के 3 साल के विकास कार्यों की प्रदर्शनी लगाई गई है। इस विकास प्रदर्शनी में विभिन्न स्टॉल्स के माध्यम से छत्तीसगढ़ की विकासगाथा को दर्शाया गया है। प्रदर्शनी में वन विभाग के द्वारा लगाई गई प्रदर्शनी में छत्तीसगढ़ के विकास में वनोपजों के महत्व को दर्शाया गया है। प्रदर्शन में विभिन्न वनोपजों से होने वाले उत्पादों और उससे होने वाली आय को दर्शाया गया है। इनमें प्रमुख उत्पाद निम्नलिखित हैं:-

खाद्य सामग्री :-

प्रदेश के वनोपजों से निर्मित खाद्य सामग्रियाँ इस प्रदर्शनी में आकर्षण केन्द्र बनी हुई हैं। इन खाद्य सामग्रियों में एलोवेरा, आँवला, महुआ से बने उल्पाद चर्चा का विषय बने हुए हैं। इनमें एलोवेरा जूस, आँवला कैंडी, नमकीन आँवला कैंडी, आँवला जूस, आँवला लच्छा, आँवला चूर्ण, आँवले का अचार, महुआ जूस, महुआ अचार, महुआ कैंडी आदि शामिल हैं। इन सब के अलावा वनोपजों में इमली, शहद, काजू, तिखुर, गिलोय, हर्रा, बहेड़ा, बेल, जामुन तुलसी आदि का प्रदर्शन भी किया गया है।

औषधियाँ :-

विकास प्रदर्शनी में वनोपजों में औषधीय वनोपजों को विशेष महत्व दिया गया है। इन औषधियों में अर्जुन, त्रिफला, शतावरी, अश्वगंधा, कालमेघ, ज्योतिषमति, मूसली आदि को स्थान दिया गया है। ये समस्त औषधीय वनोपज छत्तीसगढ़ को वनांचल में रहने वाले ग्रामिणों के जीवन से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं। और इन दिनों इस क्षेत्र को लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

कॉस्मेटिक प्रोडक्ट्स :-

छत्तीसगढ़ के वनोपजों से निर्मित कॉस्मेटिक सामग्रियों को इन दिनों देश और विदेशों में काफी पहचान मिल रही है। प्रदेश के अंदर एलोवेरा जेल, एलोवेरा शैम्पू, एलोवेरा बॉडी वॉश, एलोवेरा सोप, हनी जेल, हनी सोप जैसे उत्पादों का निर्माण किया जा रहा है।

कोसा के कपड़े :-

छत्तीसगढ़ में बने कोसा के कपड़े देश प्रदेश ही नहीं बल्कि विश्व भर में प्रसिद्ध हैं। छत्तीसगढ़ में कोसा उद्योद दिन प्रतिदिन नई उचाइयों तक जा रहा है। पारंपरिक बुनाई के औजारों के स्थान पर अब बड़ी सुगमता से कपड़े बुनने वाली ऑटोमेटिक मशीनें आ गई हैँ जिससे वनांचल में रहने वाले ग्रामिणों को काफी लाभ होने लगा है। नवाचारिक प्रयोगों के साथ कोसा बुनकर विकास की नई इबारत लिख रहे हैं।

अन्य दैनिक उपयोगी सामान :-

वनोपजों से दैनिक उपयोग में आने वाली कई अन्य वस्तुओं का निर्माण भी किया जा रहा है। जो कहीं न कहीं स्थानीय लोगों के लिए विकास का वरदान साबित हो रहा है। इनके निर्माण से वे आत्मनिर्भर होते हुए आर्थिक रूप से भी सक्षम हो रहे हैं। इन उत्पादों में दोना पत्तल, फूल झाड़ु, लाख की चूड़ियाँ, बाँस से बनी टोकरियाँ आदि शामिल हैँ।

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