सरकारी जमीन पर उगाया धान और फर्जी किसानों के नाम पर बेच दिया सरकार को.. 10 लाख की हुई धोखाधड़ी... 5 के खिलाफ FIR दर्ज
सरकारी जमीन पर उगाया धान और फर्जी किसानों के नाम पर बेच दिया सरकार को.. 10 लाख की हुई धोखाधड़ी... 5 के खिलाफ FIR दर्ज

जांजगीर। धान की खरीदी में होने वाले फर्जीवाड़े को रोकने के लिए सरकार चाहे जितनी भी जद्दोजहद कर ले, लोग कमाई का रास्ता निकल ही लेते हैं। भ्रष्टाचार का गढ़ कहे जाने वाले जांजगीर-चांपा जिले ऐसा ही कुछ हुआ है। यहां धान खरीदी केंद्र के जिम्मेदार लोगों ने फर्जी किसानों के नाम से पंजीयन कराया, फिर सरकारी जमीन पर धान उगाना बताकर फर्जी तरीके से धान की खरीदी भी कर ली। इस मामले में केंद्र प्रभारी समेत 5 के खिलाफ FIR दर्ज करा दिया गया है।

किसानों की शिकायत पर खुला मामला

जिले के नवागढ़ ब्लॉक के ग्राम तुलसी और किरीत के धान खरीदी केंद्र में गड़बड़ी की शिकायत किसान उमेश सिंह ने कलेक्टर से की थी। उमेश ने बताया कि धान खरीदी केंद्र तुलसी में पंजीकृत कई ऐसे किसानों के नाम हैं, जो सैकड़ों एकड़ शासकीय भूमि के मालिक बताए गए हैं। मजेदार बात यह है कि जो जमीन धान बेचने के लिए पंजीकृत कराई गई है, वह शासन के ऑनलाइन पोर्टल में शासकीय भूमि के तौर पर दर्ज है।

मामला उजागर हुआ और आरोपी फरार

कलेक्टर जितेंद्र शुक्ला ने इस मामले की जांच का आदेश दिया। शिकायत सही पाई गई और इसमें नवागढ़ तहसील कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर राम कुमार कुर्रे, तुलसी धान खरीदी केंद्र के प्रभारी अजय नागेश, कंप्यूटर ऑपरेटर प्रहलाद कश्यप, किरीत खरीदी केंद्र प्रभारी राम नारायण कश्यप, कंप्यूटर ऑपरेटर गांधी दास महंत की भूमिका पाई गई। जिसके बाद इन सभी के खिलाफ नवागढ़ थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया गया। जानकारी मिल रही है कि गड़बड़ी उजागर होने के बाद से ही सभी आरोपी फरार हैं।

तुलसी धान खरीदी केंद्र प्रभारी अजय नागेश,कंप्यूटर ऑपरेटर गांधी दास और तहसील कंप्यूटर ऑपरेटर राम कुमार कुर्रे

खुद के नाम पर खेती बताकर 10 लाख का धान बेचा

जांच में इस बात का खुलासा हुआ है कि तुसली धान खरीदी केंद्र के एक कंप्यूटर ऑपरेटर के नाम पर एक डिसमिल जमीन भी नहीं है और उसने 10 लाख रुपए का धान बेचा है। ऐसे ही एक अन्य कंप्यूटर ऑपरेटर ने लाखों रुपए अपने खाते में ट्रांसफर किए, जबकि धान बिक्री के रिकार्ड में किसी दूसरे किसान का नाम दर्ज है। यही नहीं दोनों केंद्रों से कर्मियों के रिश्तेदारों के नाम पर भी धान खरीदी कर रुपए ट्रांसफर किए गए हैं। दोनों केंद्रों से कुल मिलाकर एक करोड़ की धोखाधड़ी की बात कही जा रही है।

इस जांच में तहसील कार्यालय नवागढ़ के एक बाबू की भूमिका भी सामने आई है। बताया जा रहा है कि इस पूरे मामले की शिकायत होने से पहले ही किसानों ने धान बिक्री कर पैसा भी उठा लिया है, और इसमें क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर ने मिलकर ही सारी साजिश रची है। इसके प्रमाण भी जांच टीम को मिले हैं और सारे दस्तावेज पुलिस को सौंप दिए गए हैं।

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