मुख्यमंत्री भूपेश बघेल

रायपुर। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने औद्योगिक नीति 2019-2024 की घोषणा की थी, जिसमें फूड, एथेनॉल, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस, दवा, सोलर जैसे नए उद्योगों को प्राथमिकता दी गई थी। हम चाहते हैं कि छत्तीसगढ़ में सेवा क्षेत्र को बहुत प्रोत्साहन मिले। इसके लिए पर्यटन के अलावा अन्य कार्यों को भी चिन्हांकित किया गया है। यह बातें आज मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने लोकवाणी कार्यगक्रम के दौरान कही।

एम.एस.एम.ई. सेवा श्रेणी उद्यमों में इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन, सेवा केन्द्र, बी.पी.ओ., 3-डी प्रिंटिंग, बीज ग्रेडिंग इत्यादि 16 सेवाओं को सामान्य श्रेणी के उद्योगों की भांति औद्योगिक निवेश प्रोत्साहन दिए जाने का प्रावधान किया गया है।

आज लोकवाणी की प्रमुख बातें

औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण

औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन नियमों का सरलीकरण किया गया,औद्योगिक क्षेत्रों में भूमि आबंटन भू-प्रब्याजी में 30 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों में भू-भाटक में 33 प्रतिशत की कमी की गई है। औद्योगिक क्षेत्रों एवं औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर 10 एकड़ तक आबंटित भूमि को लीज़ होल्ड से फ्री होल्ड किए जाने हेतु नियम तैयार कर अधिसूचना जारी की गई।

तीन वर्षों में 1 हजार 715 नए उद्योग हुए स्थापित

छत्तीसगढ़ में तीन वर्षों में 1 हजार 715 नए उद्योग स्थापित हुए, जिसमें 19 हजार 500 करोड़ रुपए से अधिक का निवेश हुआ तथा 33 हजार लोगों को रोजगार मिला है।

इसके अलावा 149 एमओयू भी किए गए हैं, जिसमें 74 हजार करोड़ रुपए का निवेश होगा और 90 हजार लोगों को रोजगार मिलेगा।

बायो एथेनॉल प्लांट के लिए 3 हजार 300 करोड़ रुपए का एमओयू

बायो एथेनॉल प्लांट लगाने के लिए 18 निवेशकों के साथ 3 हजार 300 करोड़ रुपए से अधिक के निवेश के लिए एमओयू किया है, जिसमें 2 हजार से अधिक लोगों को रोजगार मिलेगा। हमने तो धान से एथेनॉल बनाने की अनुमति भी केन्द्र सरकार से मांगी है।

  • विकासखण्डों में फूडपार्क की स्थापना के लिए 110 विकासखण्डों में भूमि का चिन्हांकन कर लिया है।
  • औद्योगिक नीति में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, कृषि उत्पादक समूहों, तृतीय लिंग के लोगों के लिए विशेष पैकेज हैं। इस दिशा में ध्यान देते हुए ओबीसी प्रवर्ग हेतु 10 प्रतिशत भू-खण्ड आरक्षित किए जाएंगे, जो कि भू-प्रीमियम दर के 10 प्रतिशत दर तथा 1 प्रतिशत भू-भाटक पर उपलब्ध कराए जाएंगे।
  • छत्तीसगढ़ में ईज ऑफ डूइंग बिजनेस के मापदण्डों में हमारा प्रदेश देश के प्रथम 6 राज्यों में शामिल है। उद्योग विभाग द्वारा एकल खिड़की प्रणाली से 56 सेवाएं ऑनलाइन दी जा रही हैं।
  • ई-डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 82 सेवाएं ऑनलाइन की गई हैं, जिसमें दुकान पंजीयन से लेकर कारोबार के लायसेंस तक शामिल हैं। हमने गुमाश्ता एक्ट के अंतर्गत हर साल नवीनीकरण की अनिवार्यता को समाप्त किया ताकि छोटे व्यापारियों को राहत मिले। सरकारी खरीद में पारदर्शिता लाने के लिए ई-मानक पोर्टल संचालित किया जा रहा है।
  • हमने छोटे भू-खण्डों की खरीदी और बिक्री पर पूर्व में, शासन द्वारा लगाकर रखी गई रोक को हटाने का निर्णय लिया था। इस एक निर्णय से 2 लाख 87 हजार भू-खण्डों के सौदे हुए।
  • हमने महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराने पर स्टाम्प शुल्क में छूट दी है, जिससे 50 हजार 280 पंजीयन पर 37 करोड़ रुपए से अधिक की छूट दी गई है। इस तरह हमारी सरकार की जनहितकारी योजनाओं से बाजार में पैसा भी आया तथा लोगों को रोजगार भी मिला।
  • राम वन गमन पथ के अंतर्गत कोरिया से लेकर सुकमा जिले तक 75 स्थानों का चिन्हांकन किया गया है। प्रथम चरण में 9 स्थानों का विकास किया जा रहा है।
  • चन्दखुरी-जिला रायपुर में माता कौशल्या मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार और सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर पर्यटक पहुंचने लगे हैं।
  • आदिवासी अंचलों में देवगुड़ी तथा घोटुल स्थलों का विकास किया जा रहा है।
  • सतरेंगा, सरोधा दादर, बालाछापर सरना, गंगरेल आदि स्थानों पर नए तरह के पर्यटन की सुविधाएं विकसित की गई हैं, जिससे इन स्थानों में बड़ी संख्या में लोग पहुंचने लगे हैं। इससे स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर पर भी बढ़े हैं।
  • छत्तीसगढ़ी खान-पान को प्रोत्साहित करने के लिए गढ़ कलेवा की स्थापना 16 जिलों में कर दी गई है। हमने छत्तीसगढ़ की अपनी फिल्म विकास नीति भी लागू कर दी है।
  • कोरोना काल में हमारे बेहतर प्रबंधन को राष्ट्रीय स्तर पर सराहना मिली थी। उसी समय हमने घोषणा की थी कि प्रवासी श्रमिकों के लिए नीति बनाएंगे। इस तरह हमने छत्तीसगढ़ प्रवासी श्रमिक नीति 2020 को तैयार कर अधिसूचित किया है। इस नीति के तहत वापस लौटे प्रवासी श्रमिकों का ऑनलाइन पंजीयन किया गया।
  • पलायन पंजी के ऑनलाइन संधारण की व्यवस्था की गई है। हम संगठित और असंगठित दोनों क्षेत्रों के श्रमिकों के कल्याण की योजनाएं संचालित कर रहे हैं।
  • छत्तीसगढ़ में ऐसे अवसर पैदा कर रहे हैं कि हमारे प्रदेश के श्रमिकों को अन्य प्रदेशों में जाना ही नहीं पड़े। उनका कौशल और मेहनत राज्य के विकास के काम आए। भारत सरकार द्वारा असंगठित श्रमिकों के पंजीयन के लिए जो ई-श्रम पोर्टल बनाया गया है। उसमें भी हमने 64 लाख श्रमिकों का पंजीयन करते हुए देश में तीसरा स्थान हासिल किया है।
  • हमने कारखाना अधिनियम के तहत कामगारों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी है। इसके अलावा दो नई योजनाओं की घोषणा 26 जनवरी के अवसर पर की है। प्रत्येक जिला मुख्यालय तथा विकासखण्ड स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’ की स्थापना की जाएगी।
  • श्रमिक परिवारों की बेटियों की शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ शुरू की जाएगी। इस योजना के तहत ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा।
  • प्रदेश में 21 हजार करोड़ रुपए से अधिक लागत से सड़कों के निर्माण की कार्ययोजना बनाई गई है, जिसमें विभिन्न स्तरों पर काम चल रहा है।
  • प्रदेश में सिंचाई क्षमता बढ़ाने के लिए केलो परियोजना, खारंग परियोजना, मनियारी परियोजना, अरपा भैंसाझार परियोजना को इस वर्ष पूर्ण करने के लिए तेजी से कार्य किया जा रहा है।
  • हमने विगत तीन वर्षों में डॉक्टरों तथा मेडिकल स्टाफ की संख्या लगभग दोगुनी कर दी है।
  • विभिन्न विभागों के निर्माण कार्यों से स्थानीय युवाओं को जोड़ने के लिए हमने ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था की है, जिसमें विकासखण्ड स्तर पर 5 हजार युवाओं का पंजीयन किया गया है और उन्हें 200 करोड़ रूपए से अधिक लागत के काम सीमित प्रतियोगिता के आधार पर दिए गए हैं।
  • इसके साथ ही ग्रामीण अधोसंरचना के विकास के लिए सुराजी गांव योजना संचालित की जा रही है। नरवा, गरुवा, घुरुवा और बारी के विकास से बहुत बड़े पैमाने पर ग्रामीण कारोबार के अवसर बढ़े हैं।
  • छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था के लिए चार तरह के संसाधनों का सबसे ज्यादा योगदान हो सकता है-पहला खनिज, दूसरा कृषि, तीसरा वानिकी और चौथा मानव संसाधन। खनिज आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए पूर्व में अनेक प्रयास हुए हैं लेकिन उनकी अपनी सीमाएं भी हैं।
  • कृषि, वन और मानव संसाधन की भागीदारी को बहुत बड़े पैमाने में बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिस पर पहले गंभीरता से काम नहीं किया गया। दशकों से कृषि के नाम पर धान, वन के नाम पर तेन्दूपत्ता और मानव संसाधन के नाम पर सीमित सरकारी नौकरियों से अधिक की सोच नहीं रखी गई।
  • प्रदेश में धान की उत्पादकता और उत्पादन में रिकार्ड तोड़ वृद्धि हुई है। वहीं हर साल समर्थन मूल्य पर खरीदी का भी नया कीर्तिमान बना है। वर्ष 2017-18 में सिर्फ 15 लाख 77 हजार पंजीकृत किसान थे, जो अब बढ़कर 22 लाख 66 हजार हो गए। इसमें से 21 लाख 77 हजार किसानों ने धान बेचा है।
  • खेती का रकबा 22 लाख से बढ़कर 30 लाख 11 हजार हेक्टेयर हो गया। धान की खरीदी 56 लाख 88 हजार से बढ़कर लगभग 98 लाख मीट्रिक टन हो गई है।
  • चाय, कॉफी, काजू, फल, फूल की खेती लगातार बढ़ने के साथ ही प्राकृतिक रेशों से धागे बनाने का काम भी हो रहा है। सांसद राहुल गांधी जी ने 3 फरवरी को छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान ऐसे नए किसानों और उद्यमियों से भेंट की तथा उनके उत्पादों की दिल खोलकर तारीफ भी की।
  • वन संसाधनों की बात करें तो पहले मात्र 7 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर की जाती थी। अब हमने 61 लघु वनोपजों की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने की व्यवस्था कर दी है।
  • जहां तक मानव संसाधन की उद्यमिता का सवाल है तो हमने अब छत्तीसगढ़ रोजगार मिशन का गठन कर दिया है, जिससे 5 वर्ष में 15 लाख रोजगार के अवसर सृजित करने का लक्ष्य दिया गया है।
  • हमने सरकारी विभागों तथा अर्द्धसरकारी संस्थाओं में लाखों लोगों को नौकरी देकर यह साबित किया है कि यदि सरकार की इच्छा शक्ति मजबूत हो तो नई पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित रहेगा। यही कारण है कि जब पूरा देश कोरोना और लॉकडाउन के कारण मंदी से परेशान था, तब हमारा छत्तीसगढ़ उद्योग, व्यापार और कारोबार में नई ऊंचाइयां छू रहा था।
  • न्याय योजनाओं के माध्यम से हमने किसानों, पशुपालकों और खेतिहर मजदूरों को आर्थिक संबल दिया। ऐसी कल्याणकारी पहल से 91 हजार करोड़ रुपए की राशि जरूरतमंद लोगों की जेब में डाली गई जिसके कारण खेत-खलिहानों से लेकर उद्योगों तथा बाजारों तक में रौनक बनी रही।
  • सिर्फ उद्योग लगाना ही उद्यमिता नहीं है बल्कि कला, संस्कृति, खेलकूद, शोध, अनुसंधान, शिक्षा- दीक्षा तथा कुछ नया करने का जुनून भी उद्यमिता है।

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