रायपुर। पूरे देश में फैल चुकी हिजाब की आग का असर अब छत्तीसगढ़ में भी दिखाई दे रहा है। शायद किसी प्रकार के विवाद से बचने के लिए महज दो माह के लिए स्कूलों में यूनिफॉर्म को अनिवार्य कर दिया गया है। बता दें कि इससे पहले छत्तीसगढ़ के प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने इस सत्र में यूनिफॉर्म की अनिवार्यता को खत्म कर दिया था।
भाजपा नेताओं ने उठाए सवाल
भारतीय जनता पार्टी के नेता गौरी शंकर श्रीवास ने कहा कि जब देश में हिजाब पर बहस छिड़ी है। ऐसे में यहां प्रशासनिक दबाव डालकर तुष्टीकरण के लिए राजनीति की जा रही है। जानबूझकर प्राइवेट स्कूलों से इस प्रकार का सर्कुलर जारी करवाया जा रहा है, स्कूल में यूनिफॉर्म से अनुशासन आता है। ये खास वर्ग को फायदा पहुंचाने की कोशिश है।
पहले क्या था आदेश
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन के प्रमुख राजीव गुप्ता ने आदेश जारी किया था। इसमें उन्होंने लिखा कि सभी स्कूल खुल गए हैं। हमने सर्व सम्मति से फैसला लिया है कि सत्र 2021-2022 में यूनिफॉर्म की अनिवार्यता नहीं रहेगी। इसी आदेश के बाद सियासी बवाल खड़ा हुआ।
पुनः जारी किया नया आदेश
भाजपा द्वारा उठाए गए सवालों के बाद जहां हड़बड़ी में स्कूल एसोसिएशन ने आदेश को ये कहते हुए वापस लिया- पैरेंट्स की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखकर यूनिफॉर्म में छूट दी गई। अनिवार्यता को खत्म करने का आदेश जारी किया गया, मगर इस आदेश को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है, इसलिए ये आदेश वापस लिया जाता है।
उठ रहे सवाल
एक ही दिन पहले स्कूल यूनिफॉर्म को लेकर एक आदेश जारी किए जाने के महज कुछ ही घंटों के बाद ही छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन द्वारा स्कूल ड्रेस को अनिवार्य किया जाना एसोसिएशन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है।
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