Stem Cell Transplant

टीआरपी डेस्क। HIV एक ऐसी बीमारी है जिसे अब तक लाइलाज माना जाता था। मगर हाल ही में अमेरिका के वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक से HIV के तीसरे मरीज और पहली महिला का इलाज कर दिया है। डेनवर को शोधकर्ताओं ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। न्यूयॉर्क टाइम्स की खबर के अनुसार, वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट (Stem Cell Transplant) तकनीक के जरिए ये कमाल कर दिखाया है।

क्या है ये नई तकनीक

HIV से ग्रस्त महिला का इलाज एक नई तकनीक से किया गया। इसमें अम्बिलिकल कॉर्ड (Umbilical Cord ) यानी गर्भनाल के खून का इस्तेमाल किया गया। इस तकनीक में अम्बिलिकल कॉर्ड स्टेम सेल को डोनर से ज्यादा मिलाने की भी जरूरत नहीं पड़ती है जैसे कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट में होता है।

अभी तक पूरी दुनिया में एचआईवी के दो ही ऐसे मामले थे जिनमें सफलातपूर्वक इलाज हुआ। द बर्निल पेंशेंट के नाम से जाने गए टिमोथी रे ब्राउन 12 सालों तक वायरस के चंगुल से मुक्त रहे और 2020 में कैंसर से उनकी मौत हुई। साल 2019 में एचआईवी से पीड़ित एडम कैस्टिलेजो का भी इलाज करने में कामयाबी मिली थी।

हालांकि, दोनों में डोनर के जरिए बोन मैरो ट्रांसप्लांट किया गया था। इन डोनरों में ऐसा म्यूटेशन पाया गया था जो एचआईवी संक्रमण को रोक सकता था। इस तरह का दुर्लभ म्यूटेशन केवल 20,000 डोनरों में ही मिल पाया है, उसमें से भी अधिकतर उत्तरी यूरोप के हैं।

मरीज का इलाज करने वाली टीम में शामिल डॉक्टर कोएन वैन बेसियन ने कहा, ‘स्टेम सेल की नई तकनीक से मरीजों को काफी मदद मिलेगी। अम्बिलिकल कॉर्ड ब्लड के आंशिक रूप से मेल खाने वाली विशेषता की वजह से ऐसे मरीजों के लिए उपयुक्त डोनर खोजने की संभावना बहुत बढ़ जाती है।’

महिला को थी ये बीमारियां- महिला को 2013 में HIV का पता चला था। चार साल बाद, उसे ल्यूकेमिया का भी पता चला। इस ब्लड कैंसर का इलाज हैप्लो-कॉर्ड ट्रांसप्लांट के जरिए किया गया जिसमें आंशिक रूप से मेल खाने वाले डोनर से कॉर्ड ब्लड लिया गया। ट्रांसप्लान के दौरान एक करीबी रिश्तेदार ने भी महिला की इम्यूनिटी बढ़ाने के लिए उसे ब्लड डोनेट किया।

महिला का आखिरी ट्रांसप्लांट 2017 में हुआ था। पिछले 4 सालों में वो ल्यूकेमिया से पूरी तरह ठीक हो चुकी है। ट्रांसप्लांट के 3 साल बाद डॉक्टरों ने उसका HIV इलाज बंद कर दिया और वो अब तक किसी वायरस की चपेट में फिर से नहीं आई है।

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