समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं, अब मिलने जा रहा है "लखपति महिला" का राष्ट्रीय अवार्ड, एक संकुल संगठन को भी "आत्मनिर्भर संगठन" का पुरष्कार
समूहों से जुड़कर आत्मनिर्भर बनीं, अब मिलने जा रहा है "लखपति महिला" का राष्ट्रीय अवार्ड, एक संकुल संगठन को भी "आत्मनिर्भर संगठन" का पुरष्कार

रायपुर। अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा नई दिल्ली में आयोजित समारोह में उन महिलाओं को राष्ट्रीय स्तर का पुरष्कार दिया जा रहा है, जो स्व सहायता समूहों से जुड़कर न केवल आत्मनिर्भर बनीं बल्कि औरों के लिए भी प्रेरणाश्रोत बनीं। इसके लिए छत्तीसगढ़ से 2 महिलाओं और एक संकुल संगठन का चयन किया गया है। इन सभी को पुरष्कार के लिए दिल्ली आमंत्रित किया गया है।

महिला स्वसहायता समूहों को किया प्रोत्साहित

छत्तीसगढ़ को आदिवासी बाहुल्य राज्य के रूप में जाना जाता है और यहां विशेष तौर पर ग्रामीण इलाकों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए तरह-तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं। इसमें आजीविका मिशन की भूमिका महत्वपूर्ण रही है, जिसके अधीन गांव-गांव में महिला स्वसहायता समूहों का गठन किया गया। जिन्हें प्रशिक्षण के साथ ही छोटे-छोटे व्यवसाय से जोड़ा गया। आज प्रदेश भर में ऐसे हजारों समूह हैं जिनसे जुडी महिलाएं आर्थिक रूप से सुदृढ़ होती जा रही हैं। इन समूहों की मॉनिटरिंग के लिए क्लस्टर याने संकुल स्तर के संगठन बनाये गए। इन्हीं में से एक संगठन और दो ऐसी महिलाओं जिन्होंने स्वसहायता समूह से जुड़कर अपनी वार्षिक आय एक लाख रूपये से ऊपर पहुंचाई उन्हें राष्ट्रीय स्तर के पुरस्कार के लिए चुना गया, जिनके बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं।

सैकड़ों समूहों को बनाया आत्मनिर्भर

राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव ब्लॉक के सोनेसरार ग्राम पंचायत में संचालित है आस्था संकुल संगठन। दरअसल राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन NRLM के माध्यम से राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन “बिहान” द्वारा महिला समूहों की मॉनिटरिंग के लिए संकुल संगठनों को तैयार किया जाता है। इन्हीं में से एक आस्था संकुल संगठन द्वारा अपने इलाके की 17 ग्राम पंचायतों में गठित 443 महिला समूहों की मॉनिटरिंग करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया गया, साथ ही उन्हें व्यवसाय के लिए सरकार से मिली आर्थिक मदद भी दी गई। बाद में महिला समूहों को बैंक लिंकेज से जोड़कर उन्हें लोन दिलाया गया। आज इनमे से अनेक महिला स्वसहायता समूह अलग-अलग व्यवसायों से जुड़कर आर्थिक रूप से सक्षम हो गई हैं। इन्ही उपलब्धियों को देखते हुए आस्था संकुल संगठन का चयन “आत्मनिर्भर संगठन अवार्ड-2022 के लिए किया गया है। देश भर के 13 ऐसे संगठनों में आस्था संकुल संगठन का भी नाम है।

दूसरों के लिए प्रेरणाश्रोत बनी “शांति”

राष्ट्रिय आजीविका मिशन इस बार स्वसहायता समूहों से जुडी उन महिलाओं को “लखपति महिला”का अवार्ड देने जा रहा है, जिन्होंने आत्मनिर्भर बनने के साथ ही अपनी वार्षिक आय बढ़ा ली है। इन्हीं में शामिल है सरगुजा के ग्राम कंठी की शांति देवी राजवाड़े, जो सन 2009 से गांव की महिलाओं को जोड़कर महिला स्वसहायता समूह का संचालन कर रही है। आजीविका मिशन से समय-समय पर मिले प्रशिक्षण के बाद शांति के समूह ने सरकारी जमीन पर बने तालाब को किराये पर लेकर मछली पालन शुरू किया। इसके अलावा मुर्गी पालन, बकरी पालन, मशरूम का उत्पादन भी शुरू किया। इतना ही नहीं इस समूह ने धान और गेंहू की प्रोसेसिंग इकाई शुरू की, सिलाई मशीन की इकाई बनाई और ई रिक्शा भी लिया। आज शांति देवी विहान महिला किसान उत्पाद कंपनी लिमिटेड की चैयरमेन बन गई है और उसकी प्रेरणा से इलाके की अलग-अलग समूहों की 1700 महिलाएं रोजगारमूलक कार्यों से जुड़ गई हैं।

बस्तर की सुकदई मौर्य भी बनी “लखपति महिला”

ग्रामीण आजीविका मिशन बिहान के माध्यम से बस्तर में महिला समूहों को काफी प्रोत्साहित किया गया और इसी का परिणाम है कि बस्तर के कई प्रोडक्ट आज देश भर में मशहूर हैं। यहां के अनेक समूह आज पूरी तरह आत्मनिर्भर बन गए हैं, इन्हीं में शामिल है ग्राम मुरकुची का मां दंतेश्वरी स्व सहायता समूह, जिससे जुडी सुखदई मौर्य ने अन्य सदस्यों के साथ मिलकर लघु वनोपज के उत्पादों का व्यवसाय किया। बाद में वह भूमगादी महिला किसान उत्पादक संगठन से जुडी जिसमे 30 महिलाओं ने मक्का, इमली, अमचूर, उड़द आदि की खरीद-बिक्री शुरू की। बिहान से जुड़ने के बाद इनके उत्पादों को अच्छी कीमत मिलने लगी। आज सुकदई मौर्य की खुद की सालभर की कमाई लाखों में है। उसकी उपलब्धियों को देखते हुए उसका चयन भी “लखपति महिला”के पुरष्कार के लिए किया गया है।

छत्तीसगढ़ से चयनित इन महिलाओं और संगठन को 8 मार्च को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में अवार्ड दिया जायेगा, साथ ही इन्हें अपना अनुभव सुनाने के लिए समारोह में बोलने का मौका भी दिया जायेगा।

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