"पेंशन पुरूष" और "न्याय पुरुष" बने भूपेश, बजट में की पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा से कर्मचारियों में जश्न का माहौल
"पेंशन पुरूष" और "न्याय पुरुष" बने भूपेश, बजट में की पुरानी पेंशन लागू करने की घोषणा से कर्मचारियों में जश्न का माहौल

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के साढ़े तीन लाख से ज्यादा शासकीय कर्मचारियों एवं अधिकारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल करने घोषणा की है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से प्रदेश के सभी शासकीय कर्मचारियों और अधिकारियों में जश्न का माहौल है। कर्मचारी एवं अधिकारियों के लिए मुख्यमंत्री की यह घोषणा होली और दीवाली जैसी खुशियां लेकर आया है। कर्मचारी संघों ने पटाखे जलाकर, एक दूसरे को गुलाल में रंगकर तथा मिठाईयां खिलाकर अपनी खुशियां जाहिर की।

मुख्यमंत्री जिंदाबाद के लगे नारे

इस घोषणा के बाद कर्मचारी संघों के द्वारा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को “पेंशन पुरुष” और “न्याय पुरूष” जैसी उपाधि से नवाजा जा रहा है। कर्मचारी संघों ने मुख्यमंत्री की इस घोषणा का स्वागत करते हुए उनके प्रति अपना आभार व्यक्त किया है। मुख्यमंत्री के द्वारा विधानसभा में बजट भाषण को सुनने के लिए रायपुर के कलेक्टोरेट परिसर में सुबह से ही लोगों की भीड़ इकट्ठा थी। बड़ी स्क्रीन पर बजट भाषणा सुनते हुए जैसे ही मुख्यमंत्री ने पुरानी पेंशन योजना फिर से शुरू करने का एलान किया लोगों ने मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाते हुए गले मिलकर एक दूसरे को बधाइयां दी।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ अधिकारी कर्मचारी फेडरेशन के मुख्य प्रवक्ता तथा छत्तीसगढ़ तृतीय वर्ग कर्मचारी संघ के प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार झा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने प्रदेश के शासकीय सेवकों की लंबे समय से की जा रही मांग को पूरा किया है। उन्होंने यह भी कहा कि पेंशन शासकीय सेवक की बुढ़ापे का सहारा है और मुख्यमंत्री ने इसे लागू कर प्रदेश के सभी शासकीय सेवकों को बुढापे की लाठी दे दी है। इस एक फैसले से ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का नाम छत्तीसगढ़ के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज हो गया है।

इस मौके पर छत्तीसगढ़ सर्व शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विवेक दूबे ने कहा कि मुख्यमंत्री की पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा छत्तीसगढ़ के शासकीय सेवक परिवारों के लिए खुशी की सौगात लेकर आयी है। अब किसी भी शासकीय कर्मचारी या उसके परिवार को भविष्य की चिंता करने की जरूरत नहीं है। विवेक दूबे ने कहा कि आज छत्तीसगढ़ के साढे तीन लाख से अधिक सरकारी सेवकों को सही मायने में न्याय मिला है। इस हिसाब से जहां मुख्यमंत्री ने किसानों, गरीबों, मजदूरों के लिए न्याय योजनाएं बनायी हैं, वहीं अब कर्मचारियों के साथ असल न्याय करके वे प्रदेश के न्याय पुरूष भी बन गए हैं।

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