रायपुर : छत्तीसगढ़ के बीजापुर के एडसमेटा में हुई कथित मुठभेड़ फर्जी थी। सुरक्षाबलों ने बीज पंडुम का त्योहार मना रहे आदिवासियों पर घबराहट में गोली चलाई थी। इसमें 8 ग्रामीणों की मौत हुई थी। यह सच एडसमेटा विशेष न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट में सामने आया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोमवार को यह रिपोर्ट विधानसभा के पटल पर रखी। इसके साथ ही यह रिपोर्ट सार्वजनिक हो गई।

रिपोर्ट में बताया गया कि 17-18 मई 2013 की रात एडसमेटा गांव के पास से गुजरते हुए सुरक्षाबलों ने आग के पास लोगों का जमावड़ा देखा। संभवत: उन लोगों ने ग्रामीणों को नक्सली मान लिया, जिसके परिणामस्वरूप उन लोगों ने आड़ ली और भीड़ की ओर फायर करना शुरू कर दिया।

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रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है, यह गोलीबारी आत्मरक्षा में नहीं की गई थी। कोई भी तथ्य नहीं मिले हैं, जिससे पता चलता हो कि ग्रामीणों की ओर से सुरक्षाबलों पर गोली चलाई गई हो अथवा किसी तरह का हमला किया गया हो। आयोग ने माना है कि यह गोलीबारी ग्रामीणों को पहचानने में गलती और सुरक्षाबलों की घबराहट की वजह से हुई है। आयोग ने माना है कि सुरक्षाबलों के पास पर्याप्त सुरक्षा उपकरण, आधुनिक संचार के साधन और बेहतर प्रशिक्षण होता तो इस तरह की घटना को रोका भी जा सकता था।

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जानें क्या हुआ था 17-18 मई 2013 की रात

17-18 मई 2013 की रात सुरक्षाबलों की फायरिंग में आठ ग्रामीणों की मौत हो गई थी, उनमें से चार बच्चे थे। सुरक्षाबलों का दावा था कि वहां नक्सली थे। उन्होंने ग्रामीणों को ढाल बनाया और क्रास फायरिंग में उनकी मौत हुई।

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ग्रामीणों का दावा था कि उस रात गांव के लोग बीज पंडुम (स्थानीय उत्सव) मनाने वहां इकट्‌ठा हुए थे। वहां कोई नक्सली नहीं था। वहां पहुंचे सुरक्षाबलों ने उन्हें देखते ही गोली चलाना शुरू कर दिया।

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