नई दिल्ली : छत्तीसगढ़ से राज्य सभा सांसद रामविचार ने राज्य सभा के शुन्य काल में छत्तीसगढ़ में जिला खनिज मद के हो रहे दुरूपयोग के मामले से सदन का ध्यान आकृष्ट कराया, नेताम ने सदन को जानकारी दी कि “छत्तीसगढ़ खनिज बाहुल्य प्रदेश है और इस खनिज बाहुल्य प्रदेश के विकास हेतु केंद्र सरकार द्वारा प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना के माध्यम से राज्य को धनराशी आबंटित की जाती है। इसके व्यय हेतु नियम भी निर्धारित किये गए है और केंद्र सरकार ने इस राशि का उपयोग खनन प्रभावित गांव में खर्च करने का प्रावधान तैयार किया है, किन्तु इसकी अनदेखी करते हुए छत्तीसगढ़ राज्य में इस मद का उपयोग अन्य स्थानों के अलावा अन्य मदों में खर्च किया जा रहा है। खनन प्रभावित क्षेत्रों में निर्माण कार्य की जगह कंबल वितरण किया जा रहा। कलेक्टर कार्यालय का उन्नयन कार्य इसी मद से किया जा रहा है।”

नेताम ने आगे कहा कि “पूरे छत्तीसगढ़ में इस तरह की गड़बड़ी डीएमएफ मद से की जा रही, नियमानुसार सात दिन पूर्व डीएमएफ परिषद की बैठक की सूचना दिया जाना चाहिए, पर ऐसा नहीं किया जा रहा। प्रत्यक्ष रूप से बैठक किए जाने की जगह वीडियो कांफ्रेंसिग की जा रही है। खनन प्रभावित क्षेत्रों से आने वाले जनप्रतिनिधि एवं इस समिति के सदस्यों से कार्यों के प्रस्ताव भी नहीं मांगे जाते और नहीं इसके लिए अवसर दिया जाता है। कार्यों की क्रमबद्ध जानकारी दिए जाने की जगह महज औपचारिकता निभाई जाती है, परिषद के संज्ञान में लाए बिना ही कार्यों में परिवर्तन किया जा रहा। अनुमोदित कार्यों का प्रशासनिक स्वीकृति आदेश भी कलेक्टर जारी नहीं कर रहे हैं, यहाँ तक की डीएमएफ से कराये जा रहे कार्य में भारी अनियमितता होने के बाद भी उसकी किसी प्रकार की गुणवत्ता की जांच किये बगैर ही भुगतान हो जाता है। डीएमएफ की राशि केंद्र सरकार ने खनन प्रभावितों व ग्रामों के विकास के लिए खर्च करने का निर्णय लिया है। नेताम ने केंद्रीय कोयला एवं खनन मंत्री से मांग की है कि जो पैसा राज्य सरकार के प्रशासकीय समिति के पास आ रहा है, उसका सदुपयोग हो और सही जगह पर खर्च सुनिश्चित हो।

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