बिना अनुमति के चल रहे अस्पताल में शिक्षक की मौत के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग, अब सील करने की तैयारी
बिना अनुमति के चल रहे अस्पताल में शिक्षक की मौत के बाद जागा स्वास्थ्य विभाग, अब सील करने की तैयारी

कोरबा। ऊर्जा नगरी में गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में कोरवा महिला की मौत का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ कि इस बीच यहां के एक और अस्पताल में इलाज कराने पहुंचे शिक्षक की इंजेक्शन लगाने के बाद मौत हो गई। इस घटना के बाद हरकत में आये स्वास्थ्य विभाग ने जब प्रारंभिक जांच की तब पता चला कि संचालक ने बिना अनुमति के ही यह अस्पताल चालू कर दिया है। अब विभाग नोटिस जारी कर इस अस्पताल को बंद करने की तैयारी में है।

मिली जानकारी के मुताबिक कन्नौद निवासी संतोष डडसेना(55) शिक्षा कर्मी वर्ग-3 के पद पर कार्यरत थे और वे कोरबा में अपने रिश्तेदार के यहां आये हुए थे। इसी दौरान उन्हें पथरी के चलते दर्द होने लगा और इलाज कराने के लिए रामपुर, कोरबा के जेके अस्पताल ले जाया गया। परिजनों ने बताया कि अस्पताल में मौजूद डॉ एस भास्कर ने इलाज शुरू करते हुए उन्हें इंजेक्शन लगाया गया और कोई दवाई दी गई। इसके बाद संतोष डडसेना को बेचैनी होने लगी और उनकी हालत हालत बिगड़ गई। इसके बाद संतोष को हायर सेंटर के नाम पर कृष्णा हॉस्पिटल रिफर किया गया। मगर मरीज की हालत को देखते हुए कृष्णा हॉस्पिटल या किसी भी दूसरे अस्पताल ने अपने यहां भर्ती नहीं किया। आखिरकार परिजन वापस JK हॉस्पिटल पहुंचे, जहां चेक करके बताया गया कि मरीज की मौत हो चुकी है।

संतोष डडसेना, मृतक

पुलिस में की गई मामले की शिकायत

केवल दर्द के चलते अस्पताल में भर्ती मरीज की इलाज के दौरान हो गई। इससे नाराज परिजनों ने अस्पताल में हंगामा किया और इस मामले की शिकायत रामपुर चौकी में की। साथ ही यह मांग भी की गई कि मृतक का पोस्टमार्टम डॉक्टरों की संयुक्त टीम के माध्यम से कराया जाए और इसकी वीडियोग्राफी भी कराई जाये।

स्वास्थ्य विभाग ने जारी किया नोटिस

कोरबा जिले के CMHO डॉ बीबी बोडे ने बताया कि उन्हें खबरों के माध्यम से इस घटना की जानकारी हुई, तब उन्होंने JK अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर अस्पताल के संचालन और पंजीयन के संबंध में दस्तावेज उपलब्ध करने को कहा है।

सरकारी जमीन पर अस्पताल और संचालक झोलाछाप

दरअसल इस अस्पताल का संचालक जेके याने जय कुमार लहरे है और उसने 5 माह पहले ही JK अस्पताल की शुरुरात की। जेके लहरे खुद झोलाछाप डॉक्टर है। लगभग दो दशक पहले उसने कोरबा शहर के रामपुर में आदिवासी विभाग के सहायक आयुक्त के बंगले के बाजु में सरकारी जमीन पर झोपड़ी बनाकर छोटा सा क्लिनिक खोला, बाद में जब धंधा चमकाने लगा तब उसने यहां लेंटर का मकान खड़ा कर लिया। यहां इतना सब कुछ सरकारी अमले और स्वास्थ्य विभाग की नाक के नीचे होता रहा और किसी ने भी आपत्ति नहीं की।

जय कुमार लहरे,अस्पताल संचालक

दूसरे डॉक्टर के सहारे खोला अस्पताल

इस बीच जेके लहरे खुद को डॉक्टर बताता रहा और इस दौरान उसने अल्टेरनेटिव मेडिसिन के फर्जी कोर्स से डॉक्टरी प्रमाणपत्र भी हासिल कर लिया। बताते हैं कि इस दौरान लहरे ने एक बड़े राजनितिक दल में पदाधिकारी बनकर अपना रसूख तैयार कर लिया, जिसके चलते उस पर हाथ डालने की किसी की भी हिम्मत नहीं हुई। आज उसने इसी सरकारी जमीन पर बड़ा अस्पताल खोल लिया। चूंकि वह खुद फर्जी डॉक्टर था इसलिए उसने शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में ऑनलाइन आवेदन करते हुए अस्पताल शुरू कर दिया। सच तो ये है कि जिन डॉक्टर के नाम पर उसने अस्पताल शुरू किया वह अस्पताल में उनकी सेवाएं नहीं लेता। अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि उसने अनुमति की “प्रत्याशा” में अस्पताल को शुरू कर दिया है।

अस्पताल का बंद होना तय

CMHO डॉ बीबी बोडे ने बताया कि प्रारंभिक जांच में पता चला कि JK अस्पताल का ऑनलाइन आवेदन तो आया है, मगर उसने बिना अनुमति और पंजीयन कराये ही अस्पताल का संचालन शुरू कर दिया है। फ़िलहाल विधिवत तरीके से कार्रवाई के लिए अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी किया गया है, चूंकि यह अस्पताल बिना किसी अनुमति के चल रहा है इसलिए इसका बंद होना तय है। डॉ बोडे ने यह भी बताया कि JK अस्पताल में मरीज की मौत के मामले की जांच अलग से चल रही है, अगर इस मामले में लापरवाही पाई गई तो विधिवत कार्रवाई की जाएगी।

और भी हैं कतार में

अवैध तरीके से कोरबा ही नहीं पूरे छत्तीसगढ़ में हजारों अस्पताल और क्लिनिक ऐसे ही नियम कायदों का पालन किये बिना चल रहे हैं। दरअसल अस्पतालों और दवाखानों के संचालन के लिए सुप्रीम कोर्ट ने बाकायदा गाइडलाइन जारी किया है और इसका पालन अनिवार्य कर दिया गया है। इस वजह से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जिलों में संचालित निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किया जा रहा है, इसके तहत अब अस्पतालों में फायर फाइटिंग का पुख्ता इंतजाम और बायो मेडिकल वेस्ट को नष्ट करने की सुविधा अनिवार्य है और इसके लिए संबंधित विभागों की NOC मिली तभी संचालन किया जा सकेगा।

26 अस्पतालों को जारी किया गया नोटिस

कोरबा जिले में संचालित 26 अस्पतालों को नोटिस दिए जाने की जानकारी देते हुए CMHO डॉ बीबी बोडे ने बताया कि सभी को 15 दिनों का समय देते हुए संबंधित विभागों की NOC जमा करने को कहा गया है। अगर अस्पताल सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का पालन करते नहीं पाए गए तो संबंधित प्रावधानों के तहत उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

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