मॉब लिंचिंग विधेयक : राज्यपाल रमेश बैस ने लौटाई फाइल, कहा-'भीड़' शब्द को सही से परिभाषित करे सरकार
मॉब लिंचिंग विधेयक : राज्यपाल रमेश बैस ने लौटाई फाइल, कहा-'भीड़' शब्द को सही से परिभाषित करे सरकार

रांची। मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 को झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस ने वापस कर दिया है। राज्यपाल ने इस विधेयक में ‘भीड़’ शब्द को फिर से सही तरीके से परिभाषित करने का निर्देश देते हुए राज्य सरकार को वापस कर दिया। इतना ही नहीं राज्यपाल ने हिंदी और अंग्रेजी प्रारूपों में अंतर की ओर भी राज्य सरकार का ध्यान आकृष्ट किया है।

87 दिनों बाद वापस भेजी फाइल

गौरतलब है कि पिछले वर्ष 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र में राज्य की हेमंत सरकार ने इसे सदन से पारित करा कर इस कानून पर मुहर लगाने के लिए राज्यपाल के पास भेजा था। इसके करीब 87 दिन बीतने के बाद राज्यपाल ने इसमें ‘भीड़’ शब्द को फिर से परिभाषित करने की टिप्पणी करते हुए वापस कर दिया। वहीं, राज्यपाल ने जिस ‘भीड़’ शब्द को लेकर टिप्पणी की है, उसको लेकर भाजपा पहले से भी मुखर रही है।

दरअसल, राज्य सरकार ने मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021 में जुर्माने के साथ संपत्ति की कुर्की और तीन साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया है। इसमें यह भी था कि अगर मॉब लिंचिंग में किसी की मौत हो जाती है, तो दोषी को आजीवन कारावास की सजा होगी। इसके अलावा गंभीर चोट आने पर 10 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान किया गया है। विधेयक के अनुसार, भीड़ को उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें तीन साल की सजा दी जाएगी। अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाला भी अपराधी माना जाएगा। इसके अलावा इस विदेयक में पीड़ित परिवार को मुआवजा व पीड़ित के मुफ्त इलाज की व्यवस्था का प्रावधान किया गया है।

हाल में विधानसभा में राज्य सरकार ने एक सवाल के जवाब में बताया था की 2016 से लेकर अब तक राज्य में मॉब लिंचिंग की 46 घटनाएं हुई हैं।

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