High Court's decision on compassionate appointment, 'Family member cannot accept father-in-law doing government service, daughter-in-law should be given job'
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बिलासपुर। छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कोविड काल में शराब पर वसूल किए गए कोरोना सेस को सम्बधित मद में खर्च नही किए जाने पर मुख्य विपक्षी दल भाजपा के विधायक अजय चन्द्राकर एवं अन्य द्वारा दाखिल याचिका पर राज्य सरकार को तीन सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया हैं।

मुख्य न्यायधीश अरूप कुमार गोस्वामी एवं गौतम चौरडिया की डबल पीठ ने भाजपा विधायक अजय चन्द्राकर, बृजमोहन अग्रवाल, शिवरतन शर्मा की शराब पर वसूल सेस को सम्बधित मद में खर्च नही किए जाने को लेकर दायर याचिका पर दोनो पक्षों को सुनने के बाद राज्य सरकार को नोटिस जारी करने का आदेश दिया।

राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि राजनीतिक कारणों से इसे दाखिल किया गया हैं। उन्होंने नोटिस जारी करने का विरोध किया। अजय चन्द्राकर की ओर से पेश अधिवक्तागण विवेक शर्मा, अभिषेक गुप्ता एवं आयुषी अग्रवाल ने पीठ के सामने तर्क रखते हुए कहा कि राज्य सरकार ने कोरोना काल में अधिसूचना जारी कर देशी शराब की एक पाउच या बोतल पर 10 रूपए तथा अंग्रेजी शराब पर 10 प्रतिशत का कोरोना सेस लगाया और उससे कुल 653 करोड़ रूपए की राशि वसूले।

इस वसूल राशि में एक भी राशि सम्बधित मद में खर्च नही की गई और न ही स्वास्थ्य विभाग को ही राशि ट्रांसफर की गई। वहीं इस राशि में से 450 करोड़ रूपए मुख्यमंत्री अद्योसंरचना विकास प्राधिकरण को ट्रांसफर की गई। जबकि अधिसूचना में सेस की राशि से कोरोना के बचाव के लिए अद्योसंरचना विकसित करने में किए जाने का उल्लेख था।यह संवैधानिक दृष्टि से गलत हैं।

उन्होने पीठ से जवाबदेही तय कर कार्रवाई की याचना की। पीठ ने महाधिवक्ता के भी याचिका के विरोध में दिए तर्कों को सुनने के बाद याचिका को स्वीकारते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब मांगा हैं।मामले में अगली सुनवाई 20 अप्रैल को होंगी।

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