ICHRRF

टीआरपी डेस्क। वॉशिंगटन स्थित इंटरनेशनल कमीशन फॉर ह्यूमन राइट्स एंड रिलीजियस फ्रीडम (ICHRRF) ने मान लिया है कि कश्मीरी पंडितों का 1989-1991 के दौरान नरसंहार हुआ था। कल यानि रविवार को हुई सुनवाई में करीब 12 कश्मीरी पंडितों ने गवाही दी और उनके परिजनों साथ हुए जुल्मों के खिलाफ आवाज़ उठा कर अपनी दास्तां पेश की। आयोग ने भारत सरकार व जम्मू कश्मीर की सरकार को इसे नरसंहार मानते हुए दोषियों को सख्त सजा का आह्वान किया है। हाल ही में आई चर्चित फिल्म द कश्मीर फाइल्स में कश्मीरी पंडितो के साथ हुए नरसंहार की झलक दिखाई गयी है जिससे ये उनके साथ हुए जुल्मों की दास्तां को बया कर रहा है। जिसे देख कर लोगो की आँखे नम हो गयी।

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार और धार्मिक स्वतंत्रता आयोग, मानव अधिकारों और मौलिक स्वतंत्रता को बढ़ावा देने के लिए कार्यरत है। आयोग ने 27 मार्च को कश्मीरी हिंदुओं के साथ हुए नरसंहार के मुद्दे पर सुनवाई की। इसमें कई पीड़ितों व बचे हुए लोगों ने शपथपूर्वक गवाही देते हुए साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि इस संहार के साथ उनकी जातीय व संस्कृति का भी संहार हुआ था। आयोग ने कहा है कि वह नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों के पीड़ितों और बचे लोगों की गरिमा सुनिश्चित करने और ये अपराध करने वालों को सजा दिलाने के लिए तैयार है।

आयोग ने भारत सरकार और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की सरकार से कश्मीरी हिंदुओं पर 1989-1991 के अत्याचारों को नरसंहार के रूप में स्वीकार करने का आह्वान किया है। आयोग ने अन्य मानवाधिकार संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय निकायों की इसकी पड़ताल करने और इसे नरसंहार मानने की भी अपील की है।

4 लाख पंडितों को निकाल दिया और महिलाओं के साथ किया रेप

बता दें कि 90 के दशक में कश्मीरी पंडितों के हजारों घरों और मंदिरों को उजाड़ दिया गया था। 4 लाख से अधिक कश्मीरी हिंदू पुरुषों, महिलाओं और बच्चों को आतंकवादियों ने बंदूक की नोंक पर निर्वासित करने के लिए मजबूर किया, उनके घरों और उनके द्वारा जानी जाने वाली हर चीज से बेदखल कर दिया गया। महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और उन्हें आरी से दो टुकड़ों में काट दिया गया। कश्मीर पंडित व उनकी संस्कृति बीते 32 सालों में विलुप्त होने के कगार पर हैं।

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