54 क्षेत्रीय पार्टियों को पछाड़, अब नेशनल पार्टी बनने को अग्रसर AAP
54 क्षेत्रीय पार्टियों को पछाड़, अब नेशनल पार्टी बनने को अग्रसर AAP

टीआरपी डेस्क। आप (आम आदमी पार्टी) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक सफर 2011 में “इंडिया अगेंस्ट करप्शन” आंदोलन से शुरू हुआ था। उस समय अरविंद केजरीवाल ने अपनी अलग पार्टी बनाई थी और उसका नाम “आम आदमी पार्टी” रख दिया और उन्होंने चुनाव चिन्ह “झाड़ू” चुना। अरविंद केजरीवाल का यह सफर इतना आगे बढ़ गया की देश की राजधानी दिल्ली और उनके गढ़ “पंजाब” में उन्होंने अपनी सरकार बना ली।

अब आप (AAP) राष्ट्रीय पार्टी बनने का दावा कर रही है। आम आदमी पार्टी देश के 54 क्षेत्रीय राजनीतिक पार्टियों को पीछे छोड़ते हुए तेजी से सबसे आगे निकलने वाली पार्टी बन गई है।

1947 में देश आजाद हुआ था तब से लगभग 2 दशक तक पुरे देश में कांग्रेस पार्टी का ही बोलबाला था। लेकिन इसके बाद 1967 के बाद देश के कुछ राज्यों में कांग्रेस कमजोर पड़ने लगी। कांग्रेस पार्टी का दबदबा कम होने लगा। इसका लाभ वहां के क्षेत्रीय पार्टियों को होने लगा। तब अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग क्षेत्रीय पार्टियां उभरने लगी। जैसे- बिहार में RJD और JDU, उत्तरप्रदेश में सपा (समाजवादी पार्टी) और बसपा (बहुजन समाजवादी पार्टी) इसके साथ ही पश्चिम बंगाल में TMC (तृणमूल कांग्रेस) हर पार्टी ने राज्य स्तर पर शुरुआत की और धीरे-धीरे अलग-अलग राज्यों में अपनी पकड़ बनाई। लेकिन इन सभी पार्टियों से आप (आम आदमी पार्टी) का सफर अलग है।

54 पार्टियों को पछाड़ते हुए ऐसे आगे बढ़ रही आप

देश की केवल 8 पार्टियों को ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा प्राप्त है। इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया (Election Commission of India) के सितंबर 2021 से प्राप्त डेटा के अनुसार देश में कुल 2,858 रजिस्टर्ड पार्टियां है। इनमें से 8 राष्ट्रिय पार्टी और लगभग 54 पार्टियों को राज्यस्तरीय पार्टी होने की मान्यता दी गई है। बता दें आम आदमी पार्टी को भी राज्य स्तरीय पार्टी का ही दर्जा मिला हुआ है। वहीं 2796 ऐसी पार्टियां हैं, जो रजिस्टर्ड तो हैं, लेकिन उन्हें मान्यता हासिल नहीं है।

साल 2014 में अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव के लिए देशभर में 400 उम्मीदवारों को मैदान में उतारा था। लेकिन इसमें केजरीवाल को बड़ी हार का सामना करना पड़ा था, क्योंकि आप के केवल चार कैंडिडेट ही चुनाव जीत सके थे। और ये चरों कैंडिडेट पंजाब से ही थे। इसे केजरीवाल का पंजाब में जीत का इरादा मजबूत जो गया। इसके बाद 2015 में दिल्ली में AAP ने 70 में से 67 सीटें जीतकर नया इतिहास रच दिया था।

केजरीवाल का “दिल्ली मॉडल ऑफ गुड गवर्नेंस” के नाम से प्रचारित दिल्ली मॉडल में उन्होंने बिजली, पानी, शिक्षा पर जनता का ध्यान केंद्रित किया और चुनाव जीत गए। इसके बाद 2019 लोकसभा चुनाव में भी AAP को करारी हार का सामना करना पड़ा। इस लोकसभा चुनाव में आप ने दिल्ली की सभी 7 सीटें तो हारी जबकि पंजाब में सिर्फ भगवंत मान ही जीत सके, बाकी सभी हार गए। लेकिन केजरीवाल का सफर यहां रुका नहीं। 2020 में आप ने एक बार फिर दिल्ली विधानसभा 70 में 62 सीटों में जीत हासिल कर ‌BJP को मात दी। इस साल पांच राज्यों हो हुए चुनाव में आप ने पंजाब में प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई, इसके साथ ही उत्तराखंड और गोवा में भी पार्टी ने अपनी मौजूदगी दर्ज करा दी है।

कैसे राष्ट्रीय पार्टी बन सकती है आप?

आप को इन तीन में से कोई एक शर्त पूरी होने पर ही राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सकता है।

1-कोई भी दल, जिसे चार राज्यों में राज्य स्तरीय पार्टी का दर्जा प्राप्त हो।

2-पार्टी तीन अलग-अलग राज्यों में मिलाकर लोकसभा की 2% सीटें (11 सीटें) जीत ले। ये 11 सीटें तीन अलग-अलग राज्यों से होना चाहिए।

3-यदि कोई पार्टी 4 लोकसभा सीटों के अलावा लोकसभा या विधानसभा में चार राज्यों में 6% फीसदी वोट हासिल कर ले।

तीसरी शर्त के मुताबिक पार्टी को 4 राज्यों में कम से कम 6% वोट चाहिए होते हैं। AAP को दिल्ली में 55%, पंजाब में 42%, गोवा में 6.77% वोट मिले थे। हालांकि, उत्तराखंड में पार्टी को सिर्फ 0.3% वोट ही मिल सके। ऐसे में आगे होने वाले राज्यों में पार्टी को किसी और एक राज्य में 6% वोट हासिल करना होगा और फिर अगले लोकसभा चुनाव में कम से कम 4 सीटें जीतनी होंगी। इसके बाद राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल हो जाएगा।

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