रायपुर : प्रदेश को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए एक नई पहल राजधानी रायपुर से में देखने को मिल रही है। इस पहल के तहत प्लास्टिक के बदले में नाश्ता देने की शुरुआत की गई है। इससे जरूरतमंदों को पेट भर नाश्ता भी मिल सकेगा और इसके साथ ही शहर में प्लास्टिक का प्रयोग भी कम होगा और इधर-उधर फैले प्लास्टिक के कचरे की सफाई भी हो जाएगी। यह योजना रायपुर नगर निगम के द्वारा शुरू की गई है।

इस योजना की शुरुआत महापौर एजाज ढेबर ने की। महापौर ने कहा है कि “प्लास्टिक के बदले भरपेट नाश्ता देने की पहल अपने आप में अनोखी है। पहली बार इस तरह का प्रयोग किया जा रहा है। मेयर ने कहा कि प्रयोग सफल होने के बाद इसे शहर के और कई इलाकों में शुरू किया जाएगा। शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने का समय आ गया है। जो भी प्लास्टिक के सामान बेचते हैं उनके खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।

महापौर ने यह भी बताया कि फूड बैंक के संचालन की जिम्मेदारी जान्हवी महिला स्व सहायता समूह को दी गई है। महापौर ने जानकारी दी कि इस फूड बैंक में स्व सहायता समूह के द्वारा कम कीमत पर नाश्ता उपलब्ध कराया जाएगा। 1 किलो प्लास्टिक के बदले में लोगों को दो समोसा या पोहा के साथ जलेबी निशुल्क दी जाएगी। महापौर के अनुसार शहर को प्लास्टिक मुक्त बनाने के लिए जनभागीदारी बहुत आवश्यक है। तभी शहर में प्लास्टिक का नामो निशान मिट सकता है।

अंबिकापुर में पहले ही संचालित है गारबेज कैफे

प्लास्टिक के बदले नाश्ता उपलब्ध कराने का कांसेप्ट अंबिकापुर में सबसे पहले शुरू किया गया था। इसके बाद इस तरह की दूसरी शुरुआत रायपुर नगर निगम के द्वारा की गई है। निगम के इस पहल से सबसे अधिक फायदा कचरा उठाने वाले लोगों को होगा। कचरा उठाने वाले लोग कबाड़ी के पास जाकर प्लास्टिक देते हैं जिसके बदले उन्हें अमूमन 7 या 8 रुपये ही मिलते हैं जबकि यहां लाकर 1 किलो प्लास्टिक के बदले में वे अपना पेट भर सकते हैं। इसके साथ ही महापौर ने इस बात की भी जानकारी दी कि इस प्लास्टिक को रीसायकल नहीं किया जाएगा बल्कि इसे नष्ट किया जाएगा।

Garbage cafe, Ambikapur - Restaurant reviews

शहर से रोजाना 2 से 3 टन निकलता है प्लास्टिक कचरा

फूड कैफे की शुभारंभ के अवसर पर महापौर ने जानकारी दी कि “शहर में नाली जाम होने का सबसे बड़ा कारण प्लास्टिक कचरा है। रोजाना सफाई के दौरान शहर में 2 से 3 टन प्लास्टिक कचरा निकलता है। जिस भी नाली की सफाई की जाती है वह उस नाली की स्थिति 15 दिनों बाद पूर्ववत हो जाती है। जिसके कारण सफाई में नगर निगम को अतिरिक्त राशि खर्च करनी पड़ रही है। लोगों के प्लास्टिक मुक्त वातावरण बनाने के प्रति जागरूक हो जाने के बाद इस तरह की परेशानियों को कम किया जा सकता है।

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