सामाजिक बदलाव की दिशा में दूल्हा-दुल्हन की अच्छी पहल, शगुन में मिले तीन लाख शिक्षा के लिए किए दान
सामाजिक बदलाव की दिशा में दूल्हा-दुल्हन की अच्छी पहल, शगुन में मिले तीन लाख शिक्षा के लिए किए दान

बेमेतरा। आप लोगों ने शादी में दहेज लेते सुना और देखा तो होगा ही। लेकिन प्रदेश में एक विवाह ऐसा भी हुई जिसमे दूल्हा-दुल्हन मर्जी से शगुन में मिले रूपए दान कर दिए।

छत्तीसगढ़ के मूल निवासी माने जाने वाली हल्बा जनजाति समाज के नवदंपति ने बिना दहेज के शादी कर समाज में मिसाल पेश की है। दरअसल, नवदंपति ने खुद के 2 लाख रुपए व परिवार व मित्रों से मिली 1 लाख 11 रुपए (3 लाख 11रुपए ) की राशि को समाज के बच्चों की शिक्षा में खर्च करने समर्पित किया।

इस शादी की तैयारी के साथ खास तरीके से शादी कार्ड छपवाया, जो छत्तीसगढ़ के हल्बी थी। प्री-वेडिंग सहित शादी की पूरी थीम को छत्तीसगढ़ी व आदिवासी परंपरा के साथ जोड़ा गया। शादी के बाद नवविवाहित जोड़े ने आपसी सहमति से दो लाख रुपए व मित्रों व परिजनों से मिले एक लाख 11 रुपए को मिलाकर तीन लाख 11 रुपए को समाज कल्याण कर लिए दान करने का संकल्प लिया।

देवकर में समाज के प्रमुख व प्राचार्य एमआर रावटे के हाथों समाज के निर्धन तबके के उद्घार के लिए यह राशि खर्च की जाएगी। दूल्हा बने देवकर के हेमन्त कुमार ओएनजीसी में एक्जीक्यूटिव इंजीनियर हैं। वे बताते हैं कि वे अपने विद्यार्थी जीवन में इस विषय पर विचार करते थे कि समाज के हित में काम किया जाना चाहिए। शादी से पहले अपनी होने वाली पत्नी से इस विषय पर चर्चा की और उन्होंने भी सहयोग किया।

दहेज रहित शादी व आदिवासी परम्परा व रीति-रिवाज से किया विवाह

हम दोनों ने 3 लाख 11 रुपए समाज हित में लगाने का फैसला लिया है। हेमन्त की पत्नी बताती हैं कि उन्होंने दहेज रहित शादी व आदिवासी परम्परा व रीति-रिवाज से यह विवाह किया। समाज में दहेज अपराध है, लेकिन यह मिथक बना हुआ है। ऐसे में सामाजिक बदलाव की दिशा में हमने यह प्रयास किया।

दहेज जैसी बुराई के खिलाफ पहल करने का लिया फैसला

इस विवाह से लोग प्रेरणा ले सकें, इसलिए यह विवाह दहेज रहित किया व शगुन के रुपए समाज को समर्पित किया। हेमंत बताते हैं कि लोग अपनी शादी को यादगार बनाने के लिए बहुत महंगी गाड़ी, घोड़ी इत्यादि उपयोग करते हैं। ऐसे में समाज को संदेश देने के मकसद से हमने यह किया। चूंकि हम शिक्षित हैं और हमारा कर्तव्य है कि हम समाज को आइना दिखाए, इसलिए हमने समाज में व्याप्त दहेज जैसी बुराई के खिलाफ पहल करने का फैसला लिया।

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