कांग्रेस की चिंतन शिविर में बन सकता है 50 फीसदी आरक्षण का प्लान


नई दिल्ली। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में 5 राज्यों में करारी हार के बाद कांग्रेस अब चिंतन शिविर की तैयारी कर रही है। इसकी शुरुआत इसी महीने उदयपुर में 13 से 15 तारीख तक होने वाले चिंतन शिविर से हो सकती है। सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस नेताओं का एक धड़ा इस शिविर में ओबीसी, दलित एवं अल्पसंख्यक वर्गों के लिए पार्टी में 50 फीसदी आरक्षण की मांग कर सकता है। पार्टी को इससे इन वर्गों तक पहुंच बना पाने की उम्मीद है। इसके अलावा नैरेटिव के स्तर पर भी पार्टी को मजबूती मिल सकती है।

खबर है कि बैठक में OBC, अल्पसंख्यक समेत कई वर्गों के नेता पार्टी में मजबूती के साथ 50 फीसदी आरक्षण की मांग रखने जा रहे हैं। हालांकि, अभी तक कोई भी नेता इस मांग को लेकर खुलकर सामने नहीं आया है। माना जा रहा है कि आरक्षण को लेकर पार्टी में आंतरिक तनाव हो सकता है। फिलहाल, कांग्रेस में बड़े स्तर पर इस मुद्दे को लेकर चर्चाएं जारी हैं।

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, अन्य पिछड़ा वर्ग, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक नेता संगठन में 50 फीसदी आरक्षण की तैयारी कर रहे हैं। खास बात है कि 13 से 15 मार्च के बीच होने जा रहे चिंतन शिविर के लिए पार्टी ने 6 समितियां गठित की हैं। इनमें से एक समिति सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण को लेकर भी है, जो इस समूह के मुद्दों पर बात करेगी।

हर वर्ग के लिए अलग-अलग सब कमेटी का भी हुआ है गठन

खबर है कि यह समिति सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले OBC, SC/ST और अल्पसंख्यक के लोगों से भी संपर्क साध रही है। इसके अलावा इस समाज से संबंधित कांग्रेस नेताओं से भी चर्चाएं जारी हैं। सलमान खुर्शीद के नेतृत्व वाली इस समिति में दिग्विजय सिंह, मीरा कुमार, कुमारी शैलजा, तुकी नाबाम, एंटो एंटनी, नारायम राठवा और के राजू शामिल हैं। इसके अलावा एससी-एसटी विभाग के अध्यक्ष राजेश लिलोथिया, कैप्टन अजय यादव और इमरान प्रतापगढ़ी उप समिति के सदस्य हैं।

9 मई को सोनिया गांधी सुनेंगी मांगें

एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि 9 मई को विचार विमर्श पूरा होने के बाद इस संबंध में एक मसौदा तैयार किया जाएगा, जिसे अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को सौंपा जाएगा। इस संबंध में सोनिया ने 9 मई को सुबह 11.30 बजे आवास पर बैठक बुलाई है। उसी दिन पार्टी मुख्यालय में कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक भी होनी है। खास बात है कि इस अभियान से जुड़े नेताओं का मानना है कि अगर इस प्रस्ताव पर पार्टी में विरोध होता है, तो भी इस मांग को मजबूती के साथ उठाया जाएगा।

कैसे लागू हो पाएगा फॉर्मूला, इस पर अब भी सवाल

पार्टी के भीतर आरक्षण की मांग को मजबूत करने के लिए आंकड़े भी जुटाए जा रहे हैं। इसके जरिए वे इस बात को साफ करना चाह रहे हैं कि अगर इस बहुसंख्यक समाज के वोट हासिल करने हैं, तो उन्हें संगठन में उसी तरह जिम्मेदारी देनी होगी। एजेंसी के अनुसार, कभी ब्राह्मणों की पार्टी कही जाने वाली कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव करने जा रही है। हालांकि, यह सवाल अभी भी बना हुआ है कि क्या इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलेगी? और अगर मिल भी गई तो क्या इसे सही तरीके से लागू किया जा सकेगा?

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